पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६४०

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अपस्मार इन भोजन, सर्वदा आबाद-आमोद एवं यत्सामान्य परि श्रम करनेसे शरीर अपेक्षाकृत सुस्थ रहेगा। तम्बाकू, मदिरा प्रभृति सब तरह नशेकी चीजोंको छोड़ देना बहुत अच्छा है। एलोपैथी-मृगीरोग अच्छा करनेके लिये एलोपैथी चिकित्सामें नाना प्रकार औषध देते हैं। उनमेंसे कुछका विवरण नीचे दिया जाता है। १ डाकर फिलण्टने मृगोरोगमें नाइट्रेट आव् सिलवर ( Nitrate of silver ) औषधका व्यवहार करनेको व्यवस्था दी है। इसको तेजी अतिशय उग्र होगी, इसलिये खाली पेटमें खाना उचित नहीं। एक ग्रेनके आठ भागका एक अंश और जेन्सियानका सार दो ग्रेन एक साथ मिलाकर भोजनके बाद सेवन करना चाहिये। डाकर पेरी, क्लोराइड प्राद सिलवर (Chloride of silver ) को प्रशंसा करते हैं। सकल रौप्यघटित औषधोंको अधिक कालतक सेवन करनेसे शरीर विवर्ण हो जाता है। इन्हें दो तीन महीने सेवन करके कुछ दिनके लिये छोड़ देना चाहिये। २ अक्साइड् आव् जिस (Oxide of zinc )। हार्पिन् प्रभृति अनेक सुविज्ञ चिकित्सक इस औषध- को प्रशंसा करते, डाकर बैरिङ्गटन सल्फेट अव जिङ्काको अधिक हितकर समझते, और डाकर बार्नेस फस्फेट अव जिङ्गको अधिक उपकारी बताते हैं। किन्तु आजकल मेलिरियानेट अव जिङ्कका अधिक आदर देखा जाता है। जस्ता घटित औषध- का प्रयोग इस तरह करना चाहिये,- अक्साइड् अव जिङ्क २४ ग्रेन एन्यिमिडिसका सार २४ इन दोनोंको एक साथ मिलाकर बारह गोलियां भोजनके बाद प्रति दिन दो गोली खाते हैं। मेलिरियेनेट अव जिङ्क १२, पिल् वियाइ कम्प २४, इन तीनो चौजीको एक साथ मिलाकर बारह गोलियां बना ले। प्रति दिन दा गोली सेवन करना चाहिये। फस्फट अव जिङ्क १८ ग्रेन। पिल् वियाइ कम्प २४, इन दोनोको एक साथ मिलाकर बारह गोलियां बांधे। प्रति दिन दो गोली खानेसे लाभ होगा। ३ तूतिया-मृगोरोगका तूतिया भी एक उत्तम औषध है। हमारे देशके संन्यासी करवाले सारके साथ इस औषधका प्रयोग करते हैं। एलोपैथोके चिकित्सक भो इसे काममें लायेंगे। डाकर हापिन् एमोनियेटेड कापरके अधिक पक्षपाती हैं। तूतिया १ ग्रेन, कर सार १२ ग्रेन एक साथ मिलाकर चार गोली बना ले। प्रति दिन दो गोली खाना चाहिये। ४ डिजिटेलिस्-आयर्लेण्डमें बहुत दिनोंसे मृगौ- रोगपर यही औषध दिया जाता है। डाकर शार्के, क्राम्पटन, कर्माक्, करिगान् प्रभृति चिकित्सक इसको बहुत प्रशंसा करते थे। इसका फाण्ट हो शायद अधिक उपकारी होगा। बहुत दिन तक डिजिटेलिस् व्यवहार करनेसे विषक्रिया कर सकता है, इसलिये इसे सावधानौके साथ प्रयोग करते हैं। ५ ब्रोमाइड् अव पोटास्-सर चार्लस् लक्क, डाकर रेनल्डस्, डाकर विलियम्स प्रभृति अनेक विज्ञ चिकित्सकोंने मृगीरोगमें इस औषधका प्रयोग करके विशेष फल पाया है। ब्रोमाइड् अव पोटास ५ ग्रेन, कलम्बोका फाण्ट आधा छटांकको एक प्रति दिनमें तीन बार सेवन करे। इस औषधको अधिक मात्रामें प्रयोग करनेसे शरीर निस्तेज हो जायेगा, इसलिये इसे सावधानीके साथ व्यवहारमें मात्रा " लायेंगे। बनाये। १२ ग्रेन सलफेट अव कुइनाइन् ६ आइयोडेड आव पोटास-मस्तकको हड्डी बढ़ जाने अथवा पुराना प्रदाह आदि रहनेपर इस औषधसे बहुत उपकार होता है। चिरायतेवाले फाण्टके साथ तीन ग्रेनको मात्रामें प्रतिदिन दो तीन बार लेना चाहिये। वैद्यक-अपस्मार रोगमें वैद्य लोग कई मुष्टियोग