पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६८२

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अफगानस्थान और गजनौके पास कोयला निकलता है। दक्षिण उत्तर कोहदामनमें कई पुराने शहरों के निशान पश्चिम अफगानस्थानमें शोरा खूब पायेंगे। पायेंगे। शाक्यमुनिके भिक्षा मांगनेका पत्थरवाला वृक्षलतादिके विषय में यह देश बहुत विचित्र है। कमण्डल कन्धारको किसी मसजिदमें रखा है। कहीं तो सघन वन अपनी शोभा देखाये और कहीं गन्धार देखो। पत्तीका नाम भी न सुन पड़ेगा। अफगान इतिहास-लेखक अपनेको इजरायलका देशके अधिक भागमें दो फसल होती हैं। गर्मी में सन्तान बताते हैं। सन् ई०से ५०० वर्ष पहले गह, यव और मसूर कटेगा । वसन्त ऋतुमें दरायुस् विस्तास्यके ( Darius Hystaspes) फसल इतिहास चावल, बाजरा, मकई, ज्वार, तम्बाकू, समय अफगानस्थानमें सारङ्गी, अरिय, सलगम और चुकन्दर होता है। ऊंचे पहाड़ पर एक सत्तगिदीय, अपरित, ददिक, गन्धारी और पक्तेस हौ फसल उपजेगी। शहरों के पास खरबूज, तरबूज, लोग अलग-अलग राज्य करते थे। सन् ई० से ३१० ककड़ी वगेरह खूब बोते और उसे निराली फसल वर्ष पहले ष्ट्राबोने सिन्धु नदके पश्चिम मौर्यसम्राटको समझते हैं। उपजाऊ हो जमीनमें ऊख लगायेंगे। कुछ भूमि दहेजकी भांति दी। इससे कोई साठ वर्ष रूई बहुत उपजती है। गजनी, कुन्धार और पश्चिममें बाद बक्ट्रियामें यूनानी बश प्रतिष्ठित हुवा होगा। मझौठ ख ब हो और भारतको भेजा जायेगा। केशर नहीं कह सकते, इस वंशने कितना राज्य फैलाया भी लगाते और बाहर चालान करते हैं। था; किन्तु जो पुराने सिक्क. मिलते, उनसे प्रमाणित मेवेको फसल सबसे अच्छी होगी। ताजा मेवा होता, कि यूनानी बहुत चढ़े-बढ़े रहे। सन् ई०से लोग खाते और सूखा, बाहर भेजते हैं। काबुलमें १९. वर्ष पहले बट्रियासे निकाले जानेबाद शहतूत सुखा जाड़ेके खानेको रख छोड़ेंगे। प्रायः देमेत्रियसने अरखोसियेमें वैसे ही राज्य किया, जैसे लोग शहतूतको रोटी बना-बना खाया करते हैं। समरकन्दसे निकाले जाने बाद काबुल पर बाबरने अङ्कर खूब पैदा होगा। अपना दबदबा जमाया था। सन् ई० से १४७ वर्ष अफगानस्थानका ऊंट बहुत मजबूत होता और पहले हेलिवोक्लिसके अधीन पार्यिवनोंने काबुल जौता बड़ी होशियारीसे पाला जाता है। कितने ही घोड़े और भारततक बढ़ आये। सन् ई०से १२६ वर्ष पहले यहांसे भारत बिकने आयेंगे। किन्तु सबसे अच्छे मेनन्दरने भारतपर आक्रमण मारा और उसी समय घोड़े अफ.गान रिसालेके लिये रखते हैं। यहां दो यची जातिने श्रीक्सस किनारे सोगदियानामें अपनेको तरहका दुम्बा मेढ़ा मिलेगा। एकका पशम सफेद पांच भागमें बांट प्रतिष्ठित किया था। सन् ई० लगते और दूसरेका काला होता है। समय कुषन नामक इनके प्रधानने हिन्दूकुशसे दक्षिण उत्तरीय प्रान्तमें चमड़ेका रोज़गार खूब चलेगा। सिन्धुतक मूमि जीती। सन् ई० से १२५-५८ वर्ष हेरात पौर कन्धारमें रेशमके गलीचे और जालियां पहले कनिष्क नृपतिने अपर ओक्सस, काबुल, अच्छी तैयार होती हैं। हेरात और वाचिध पेशावर, काश्मीर और भारतमें भी अपना आधिपत्य कुन्धारका जन भी मशहर पड़ेगा। फैला दिया था। कन्धारको राह जन, रेशम, सूखा मेवा, मीठ और सन् ६३०-६४५ ई० में चौनपरिव्राजक यूयन् होंग भारत आती है। चुअङ्गने तुर्की और भारतीय राजावोंको अफ.गान- काबुल नदौके किनारे बौद्ध समयके कितने ही स्थान में राज्य करते पाया। यद्यपि सोस्थान और चिड मिलेंगे। बमियनमें दीवार पर खुदी बौद्ध मूर्ति अरकोसियामें बहुत पहले मुसलमानोंका राज्य रहा, प्रसिद्ध हैं और हैबकमें बौद्धोंके कितने ही किन्तु वह अफगानस्थानका दूसरा भाग जीत न सके प्रधान वस्तु बचे हुये पड़े हैं। काबुलसे थे। सन् ई० के १० वें शताब्दमें हिन्दूवाका राज्य पुराकीर्ति