पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६९०

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अफ रोका अफ.रौकाको अरबोंने बरबाद तो नहीं किया, किन्तु सोदानको एक ओरसे मुसलमान बना डाला है। अफरीकामें बाहरी लोगोंने पहुंच सभ्यता फैलायो थी। कोङ्गोके जङ्गल और गौनीकोष्टको खाडीमें इस सभ्यताका चिह्न मिलता है। यहा लोग खेती करते और केला, रतालू आदि खाते हैं। नरमांसभुक्का जोर रहता है। मकान सौधा और छत किनारे दार रहती है। बकले या खजू रके रेशेका कपड़ा पहनते हैं। बेतको कमान खास हथियार है। लोग काठको ढाल बांधते और मृत्युका कारण जादू मानते हैं। किन्तु बन्तू बड़े किसान होते, पशु पैदा करते और ज्वारदूध खाते हैं। इनके मकान गोल और गुम्बददार होते हैं। यह सादे या कमाये हुये चमड़ेका कपड़ा पहनते हैं। भाले बांधना, कमानपर रगका रोदा चढ़ाना, चमड़ेको ढाल रखना और जादूगरको पानी बरसानेवाला समझना इनका सीधा काम होगा। कहीं-कहीं लोग अपने पूर्वजोंको पूजा करते हैं। सिवा उपर नाइलके पश्चिम प्रान्तसे बाहर नौग्रो भी ऐसी ही चाल चलते हैं। लोग लोहेके गहने बहुत पहनते हैं। बोरन और हौसादेशके बीच कोई रेखा खींचिये। इससे पूर्व लोग बीन बजाते और लठ- कुरी चलाते हैं। पश्चिममें कटार और कमानका जोर रहता है। सोदानके वाकी हिस्से में लोग तरवार बांधते हैं। मुसलमानी सब लोगोंको होती है। शिरको रक्षाके लिये कुलह लगाया जाता है। मकानोंको बनावट बेलन या मक्खौके छत्ते जैसी रहती है। सिवा नौची नाइल उपत्यका और रोमन अफ़री- काके यहांका इतिहास बहुत कम मिलता है। लोग जो बात कहते, वह पुराने ज़मानेको नहीं ठहरती। पुरातत्वसे भी क्या पता लगेगा ! नाइल उपत्यका, सोमालोदेश, जम्बजी, केपको- लोनी और कोनो स्वतन्त्र राज्यके उत्तर अंश, अलजीरिया और तूनीशियामें जो पत्थरके अस्त्र मिलते, उनसे कोई सम्बन्धीय प्रमाण नहीं निकलता। सिवा इसके पथरीले अस्त्र और किसी गड्ढे में नहीं, जमनीपर ही पड़े मिल जाते हैं। भूतत्व- सम्बन्धीय कोई तर्क-वितर्क ऐसी अवस्था में निकालना सम्भव नहीं होता। नाइल उपत्यकाके निम्नांशको दशा इससे उलटी होती है। थोब्सके पास जमीन्पर ही नहीं, किन्तु तह जमाये हुये ककड़ोंमें भी चकमकके अस्त्र मिले हैं। कितना हो कागज, भी वहां निकला था। किन्तु पत्थरके अस्त्रका समय ठीक नहीं होता। नाइल उपत्यकामें भी प्राचीन समयके चिह्न कुछ कुछ वर्तमान हैं। मकलङ्गा लोग अपने कड़े बर्तनोंपर लोहे के औजारसे नक्काशी करते थे। जङ्गलो, सन् ई०के १८वें शताब्द तक लौहेके औजार काममें लाते रहे। दूसरी पुरानी चीजें अलजीरिया, क्रास नदी और गमबियाके पथरीले घेरे हैं। मशोना देश, जि.मबवे और दूसरी जगहके किले और टूटे-फूटे शहर पुराने नहीं ठहरते। इसका कोई ठिकाना नहीं, कब अफ़रोकामें पत्थर और कब कांसा औजारके काम आया था। कारण सीधा ही होता है। अफ.रीकामें लोहा बहुत होता और बड़ी आसानीसे निकल आता है। स्मरणा- तौत कालसे हबशी लोहा गलाते और उससे कोल- कांटा बनाते रहे हैं। ऐसी अवस्थामें जातिको उत्पत्ति और प्रसारके प्रश्नका उत्तर देना कठिन पड़ता है। जङ्गली आदमी असलमें अफ.रौकाके दक्षिण प्रान्तका निवासी है। हबशी झीलोंके पाससे पश्चिम सहारा किनारे और दक्षिण पूर्वीय उच्च भूमिके पार फैल गया है। अफ.रौकाका होनं ही हमाइटोंका घर है। इन्होंने हबशियोंको मार भगाया था। हबशियों और बन्तुवोंके मेलसे हटन्टट बने हैं। लिबीयोंने भी रेगस्थान पारकर उत्तरसे हब- शियोंको दबाना शुरू किया था। इसी मेल-जालसे फला, मन्डिङ्गो, वोलफ, और तुकूलोर निकले। नाइल कोङ्गोके सायवान्पर जो जनदेह रहते, वह पुरातत्त्व