पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/६९३

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अफ़रोका में होवोंने खुष्टीय धर्म ग्रहण किया था। अब फिनिकीय नाइगेर प्रान्तका भी अस्पष्ट वृत्तान्त फ्रान्सीसियोंने गुलामी और नवाबी उठा दी है। जानते थे। उत्तर-पूर्व और दक्षिण-पूर्व सागरतटपर अरब भी इसी बीच युरोपके पहले उपनिवेश-स्थापक अफ- खूब बसते हैं। रोकामें जा बसे। सन् ई०से ६३१ वर्ष पहले यूना. अफरीकामे पूर्णरूपसे अनुसन्धान न लगते, इसको नियोंने ग्रीक होपपुञ्जके पास अफरीकामें किरेनी सम्पूर्ण जातिका विवरण बता नहीं सकते। जहां शहर खड़ा किया था। किरेनौका शीघ्र ही समृधि- लोगोंका नाम मालूम होता है, वहां भी जातीय शाली उपनिवेश बना, किन्तु उसको चारो ओर जङ्गल सम्बन्धका कोई ठिकाना नहीं लगता। होनेसे मध्य अफरीकापर उसका कोई प्रभाव न पड़ा। असलमें रोमकोंने इस महादेशका नाम अफ.. हेलेनिष्टिक वंशके राज्यकालमें यूनानी अबसीनिया- रोका रखा था। सुदूर पूर्वकालपर निम्न नाइलको तक आ पहुंचे थे। सन् ई०से १४६ वर्ष पहले उपत्यकामें कोई सभ्य जाति बसते रही। मिश्र और कर्थेजका पतन होनेपर किरेनयका, कथैजिनिया अफ.रीकाके बीच घना जङ्गल होनेसे और रोमका सारा झगड़ा निबट गया। रोमकोंके इतिहास मिश्रको शिक्षा यहां पहुंच न सकी थी। समय अफरौका ख ब चढ़ा-बढ़ा रहा। फेज़न तो ले यदि पुराने मित्र ईथिवोपियाका नाम न लें, तो लिया, किन्तु रोमकोंने दूसरी जगह सहारको अगम्य अफ.रोकाके विषयमें एशियायी और युरोपीय पाया था। नूबिया और अबसोनिया तक पहुंचते विजेतावों और उपनिवेश स्थापकों कोही कहानी भी नेरो नृपतिको मुहीम नाइल-मुख न टूढ सकी। सुनाना पड़ेगी। केवल एक अबसोनिया राज्य ही सन् ई के २२ शताब्दमें टोलेमिने अफरीकाका जो ऐसा समझिये, जिसने सम्पूर्ण ऐतिहासिक समयमें हाल लिखा, उससे उनका भौगोलिक ज्ञान प्रमाणित अपनी स्वतन्त्रता अक्षुस रखो। भूमध्यसागर किनारके होता है। उन्होंने नाइलके पास बड़ी बड़ी झीलोंका देशमें प्रथम फिनिकीय घुसे, जिन्होंने सन् ई. से रहना अनुमान किया और नाइगर नदीको बात १००० वर्ष पहले यहां अपनी बसती जमायी थी। सुनौ। उस समयतक अफरीकामें भूमध्यसागर- सन् ई० से कोई ८०० वर्ष पहले कारथेजका पता किनारके देश हो सुसभ्य बने थे। लगा, जो देखते-देखते बड़ा शहर बन गया। सन् ई०के ७वें शताब्दमें यहां खुष्टीय युग लगा। फिनिकीयोंने यहांके निवासी बर्बरीको दबा ग्रेट किसी अरबी सरदारने कट्टर मुसलमानोंको ले सिरटिस्से पश्चिम समग्र उत्तर अफरोकापर अपना लोहितसागरसे अटलाण्टिक महासागरतक समग्र देश अधिकार जमाया और बाणिज्यसे मालामाल जीता था। सिवा मिश्र, नूबिया और अबसोनियाके हो गये थे। मित्रवासियों और करथिजीयों दोनो समग्र उत्तर-अफरौकामें खुष्टीय धर्मपर बड़ा धक्का ने समुद्रको राह इस महादेशके अज्ञात अंशोंमें बैठा। सन् ई०के वें, वें और १० वे शताब्द समय पहुंचनेको चेष्टा को। हिरोदोतस्का कहना है, कि अफरीकामें अरबोंको संख्या घटी और उनके अधोन सन् ई०से ६०० वर्ष पहले मिश्रके नृपति नेकोने तलवारसे जीते देश ही रह गये थे। किन्तु ११वें जहाज़ोंको कोई मुहीम भेजी, जिसने लोहितसागरसे शताब्दमें अरबोंका खूब दबदबा बढ़ा और बर्बरों- भूमध्यसागर तक तीन वर्ष चक्कर लगाया था। सिवा ने उनके वचन और धर्मको स्वीकार किया। इसतरह इसके केप-नन तक पश्चिम-सागरतट फिनिकौयोंको अरबो और मुसलमानधर्मका प्रभाव उत्तर अफ़रोकामें अच्छी तरह मालूम रहा । सन् ई०से ५२० वर्ष पहले खूब जम गया था। इसौके साथ-साथ अरब दक्षिणको हबी नामक किसी कर्थेजीयने बाइट-अव-बैनिन ओर सहारके पारतक फैल पड़े। वह पूर्वोय तटके भी और सौरा-लिवोन तक सागरतट देखा-भाला। प्रभु बने, जहां अरबों, ईरानियों और भारतीयोंने 1