पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७२१

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७१४ अबू मूमा जाफर अल् सूफौ-अबोधनीय नष्ट कर दिया। दमास्कस मिलने के दिनही यह मरे। क्या इस विषय और मेरे व्यवहारका हाल पहले किन्तु मृतासे पहले खट्टाबके बेटे जमरको अपना आपको मालूम हो गया था ? इन्होंने शीघ्र ही उत्तराधिकारी बना गये थे। इन्होंने दो चान्द्र वत्सर अपनी पट्टिका मंगायी, जिसमें इस अपूर्व विषयका तीन महीने नौ दिन राजत्व किया और सन् ६३४ सम्पूर्ण वृत्तान्त लिखा मिला। यह ४० वर्षतक ई०को २३वीं अगस्तको चल बसे । मदीने में मुहम्मद भारतसे देश-देशान्तर आते-जाते रहे थे। इन्होंने की कबरके पास यह गाड़े गये थे। कितने हो ग्रन्थ लिखे, कई यूनानी पुस्तकोंका अनुवाद अबू-मूसा-जाफ.र-अल्-सूफौ-अरबी रसतन्त्र-विद्या- किया और टलेमोके अलमजष्टको संक्षेपमें समझा लय के प्रतिष्ठाता। इनका कविता-सम्बन्धीय उपनाम दिया। इनके बनाये ग्रन्थ किसी ऊंटके बोझसे भारी 'जबर' रहा और सन् ई०के ८वें शताब्दान्त या ८वें बताये जाते हैं। इनके सब पुस्तकोंमें 'तारीख-उल- शताब्दप्रारम्भ वैभव बढ़ा। प्रमाणानुसार इन्होंने खुरा हिन्द' पतिशय मूल्यवान् निकलेगा। इन्होंने दूसरा सान्के टूसमें जन्म लिया था। इन्होंने रसविद्यापर पुस्तक 'कबून-मासूदी' गजनौके सुलतान मासूदको अनेक प्रबन्ध लिखे और ज्योतिषका भी कोई ग्रन्थ लिखकर समर्पण किया था, जिसके लिये इन्हें एक बनाया। इनके प्रबन्धोंका अनुशासन सन् १६६२ ई०के हाथी भर रुपया मिला। यह सुलतान् महमूद और समय डेञ्जिक्में लेटिन भाषासे छपा था, सन् १६७८ मासूद गजनवौके समय जीते थे, सन् १०३८ ई में ई० में वह फिर रसल द्वारा अंगरेजीमें छापा गिया। मर गये। अबू-रेहान् अल्-बोरूनो-कोई सुप्रसिद्ध दैवज्ञ, गणि- | अबू हफ़स जमर-अहमदके पुत्र। इन्होंने ३३० ग्रन्थ तज्ञ, ऐतिहासिक, विद्वान् और नैयायिक । इनका लिखे थे, जिनमें 'तरगीब,' 'तफ़सोर' और 'मसनद' जन्म सन् ८७१ ई के समय बोरून्में हुवा होगा। को बड़ी प्रसिद्धि रहो। सन् २८५ ई०में यह आत्मतत्व और न्यायशास्त्रके अतिरिक्त इन्होंने मरे थे। अभिचार (जादू) का कौशल भी सीखा था। उसी अबे (हिं. अव्य०) ओ, ए, अरे, क्योर। यह की प्राप्तिसे सम्भवतः इन्हें ओजस्विता मिली। इस अव्यय अपनेसे छोटेके सम्बोधनमें आता है। विषयमें हम अपने पाठकोंको एक बात सुनाते हैं, अबैध (हिं० वि०) अविड, छेदा न गया। किसी दिन सुलतान् महमूदने इनसे पुछवाया,- अबेर, अबार देखो। सम्राट्को सवारी सभासे कैसे निकलेगौ ? जब इन्होंने अबेश (हिं० वि०) वेश, ज्यादा, अधिक, खूब । इस प्रश्नका उत्तर कागजपर लिख कर रख दिया, तब अबोटाबाद-पञ्जाबके हजारा जिलेका हेडक्वाटर सम्राट ने कितने ही लगे हुये दरवाजोंको छोड़ दीवार या सदर। यह समुद्रतलसे ४१२० फीट ऊंचे बसा तोड़वायी और उसी गहसे निकल गये थे ; किन्तु और रावलपिण्डोसे साढ़े इकतीस कोस दूर है। इसमें कागज पढ़कर वह बड़े हो आश्चर्यमें पड़े। उनके सरकारी छावनी पड़ी है। दीवार तोड़वाने और बाहर जानेका ठीक ठोक | अबोध (स'० वि०) नास्ति बोधो यस्य, नज-बहुव्रीः । हाल इन्होंने पहले ही लिख दिया था। १ अज्ञान, नासमझ, जिसे तमोज न रहे। (पु.) सम्राट्ने भीषण रूपसे इन विद्वान्को जादूगर बताकर अभावे नज-तत्। २ बोधका अभाव, नादानी, निन्दा को और उसी समय खिड़कोसे नीचे डाल देने बैसमझो। की आज्ञा लगायो। यह कठोर दण्ड उसी समय अबोधगम्य (सं० त्रि.) न बोधने गम्य ग्राह्यम्, दिया गया ; किन्तु नीचे एक मुलायम गद्दी लगी नञ्-तत्। ज्ञानके अगमा, जो ज्ञान द्वारा समझ न थी, जिसमें गिरनेपर साधुके कोई चोट न आयो। पड़ता हो, समझमें न आने काबिल । उसके बाद सम्राट ने अबू रेहान्को बुलाकर पूछा,- 'अबोधनीय (सं० त्रि.) १ समझानेके अयोग्य, जिसे ? इसपर