पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७३३

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निर्वाण हुआ। 99 " वर्थ चक्र - ७२६ अब्द यही अब्द व्यवहारमें आता है। परशुरामचक्रको शिलालेख मिला था, उससे प्रकट होता है, कि ईसा- गणना सौर अब्दके अनुसार होती है। यहां सन् मसीह के जन्मसे प्रायः ५४३ वर्ष पहले शाक्यमुनिका ईखोके साथ परशुराम-चक्रको तुलना की जाती है। परशुरामी श्म चक्र ११७६ ईखोसे पहले। बौद्धग्रन्थोंसे जाना जाता है, कि अशोकके राज्या- श्य चक्र १७६ ई०से प० भिषेकसे २१८ वर्ष पहले शाक्यमुनिका निर्वाण ३य चक्र ८२५ ईखो। हुआ था। ऊपर कही हुई गणनामें ईसा-मसौहके १८२५ जन्मसे ५४३ वर्ष पहले शाक्यसिंहको निर्वाणप्राप्ति भारतवर्ष में दूसरी जगह इसका प्रचलन नहीं है। ही बहु विचारलब्ध सिद्धान्त अनुमित होती है। बुद्धनिर्वाणाब्द। महावीरका मौक्षकाल वा वौरमोचाब्द । जैनगण अपने शेष तीर्थकर महावीरके तिरोभाव शेषबुद्ध शाक्यमुनिके निर्वाण-दिनसे बौद्धसमाजमें एक अब्दको गणना की जाती है। सिंहल और ब्रह्म- वा निर्वाणके समयसे इस अब्दको गणना करते हैं। देशक बुद्धसम्बन्धीय इतिहासको पढ़नेसे मालूम होता खेताम्बर-सम्प्रदायको गणनाके अनुसार मालूम होता है, कि ईसा मसीहके जन्मसे ५४३ वर्ष पहले शाक्य है, कि विक्रमाब्दसे ४७० वर्ष पहले अथात् ईसा. मुनिका तिरोभाव हुआ था। किन्तु कहा जाता है, मसौहके जन्मसे ५२७ वर्ष पहले महावीरका तिरो- कि शाक्यसिंहको मृत्युके २१८ वर्ष बाद अशोकका भाव हुआ था। दिगम्बर जनगणके मतानुसार राज्याभिषेक हुआ। इससे पहले कही हुई गणनामें शकाब्दसे ६०५ वर्ष पहले महावीरने तिरोधान कुछ भ्रम दिखाई देता है। क्योंकि इस समय किया। सुतरां उभय मतसे यह स्थिर है, कि अशोकका समय-निरूपण एक प्रकार निश्चितरूपसे विक्रमाब्दके ४७० वर्ष पहले (सन् ईखोसे ५२७ निर्धारित हो चुका है। पहले अशोकके भाइयों में वर्ष पहले) महावीरका निर्वाण हुआ था। किसे राजतिलक दिया जाय, इस बातको मीमांसा करने में चार वर्ष बीत गये थे; उसके बाद अशोकको खण्डगिरिको सुप्रसिद्ध हाथौगुफ़ामें कलिङ्गके जैना- पिताका राज्य मिला। अशोक-प्रियदर्शी देखो। धिप खारवेल-भिखुराजका जो सुबहत् शिलानुशासन बुद्धनिर्वाणाब्दके दो शिलालेख मिले हैं। रूप खुदा हुआ है, उसमें एक अङ्क पाया जाता है। कितने नाथ और सासेरामवाले अशोकके शासनपत्रमें इस ही इस अङ्कको मौर्याब्द कहते हैं। उन लोगों के अब्दका उल्लेख है। गयाके सूर्यमन्दिरमें भी बुद्ध मतानुसार माकिदनवीर सिकन्दरके समसामयिक निर्वाणाब्द दिखाई देता है। मौर्याधिप चन्द्रगुप्तने मौर्याब्द चलाया। हमने शाक्यमुनिकी निर्वाणप्राप्तिके समय-सम्बन्धमें अशोक-प्रियदर्शी शब्दमें दिखाया है, कि महावीर भिन्न-भिन्न कालका उल्लेख है। कोई कहते हैं, ईसा. सिकन्दरसे बहुत पहले चन्द्रगुप्तका अभ्युदय हुआ, मसीहके जन्मसे ८५० वर्ष पहले ; कोई कहते हैं, सुतरां सिकन्दरके पहले भारतवर्ष में मौर्याब्द प्रचलित ६५० वर्ष पहले और किसी-किसौका मत है, कि था। सुप्रसिद्ध जैनाचार्य हेमचन्द्र-रचित परिशिष्ट-पर्वमें २५० वर्ष पहले शाक्यसिंह अन्तहित हुए । चीनपरि लिखा है- व्राजक यूअन्-चुयांके समय भी बुद्धनिर्वाणकालके "एवं च श्रीमहावीरमुक्त वर्ष शते गते । सम्बन्धमें ऐसा ही मतभेद था। फा-हियान् कहते हैं, पञ्चपञ्चाशदधिके चन्द्रगुप्तोऽभवन्न पः ॥” (परिशिष्टपर्व प२१९) चौनसम्राट पियाङ्गके शासनसमयमें (७७०-७१८ अर्थात् महावीर-निर्वाणके १५५ वर्ष बीत जानेपर ईखोसे पहले) बुद्दका निर्वाण हुआ। भगवत्-परि चन्द्रगुप्त राजा हुए थे। वीरनिर्वाणाब्दके प्रसङ्गमें निर्वाणके १८१३३ वर्षसे अङ्कित अशोकचल्लका जो श्रा लिखा गया है, कि सन् ईखोसे ५२७ वर्ष पहले मौर्यान्द।