पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७३४

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अब्द ७२७ महावीरने मोक्षलाभ किया। ऐसी अवस्थामें सन् ईस्वीसे ५२७-१५५ = ३७२ वर्ष पहले चन्द्रगुप्तका अभिषेक वा मौर्याब्द प्रारम्भ हुआ था। at (Era of Seleukidae) फाइनेस क्लिण्टनके मतमें ईसा-मसौहके जन्मसे ३१२ वर्ष पहले १लो अक्तूबरको यह अब्द पहले पहल प्रचलित हुआ। उलाघ-वेगको गणनासे प्रकट है, कि सिकन्दरको मृत्यु के १२ वर्ष बाद यह अब्द प्रवर्तित हुआ था। ईसा मसीहके जन्मसे ३२४ वर्ष पहले सिकन्दरको मृत्यु हुई। उसके १२ वर्ष बाद अर्थात् सन् ईस्वीसे ३१२ वर्ष पहले इस अब्दका प्रवर्तनकाल होता है। सलौकस्ने जिस वर्ष अन्ति- गोनासके सेनापति निकानोरको युद्ध में परास्त किया था, उसी वर्ष से उनके नामानुसार यह अब्द चला। यहां सलौकस (Seleukus )का कुछ परिचय दिया जाता है। इनका पूरा नाम सलौकस् निकतर (Seleukus Nicator) है। यह सलौकी (Seleu- kida) राज्यके प्रतिष्ठाता रहे। किसी-किसी प्राचीन मुद्रामें इनके प्रवर्तित अब्दका परिचय मिलता है। पूर्वकालमें हाड्रियान ( Hadrian ) नामक एक राजा थे। १७१ ईस्वीको १२वीं अगस्तको इन्हें राज्यभार प्राप्त हुआ था। इनके समयमें जो मुद्रा प्रचलित थे, उनमें सलौको मुद्राका निदर्शन है। उसके बाद कारकला ( Caracalla) नामक एक राजा २१७ ईखोकी ८वों अप्रेलसे राजसिंहासनपर बैठे, इनके समयमें भी उक्त अब्द प्रचलित था। माकिदोनके पञ्चाङ्में जिन महीनोंके नाम हैं, सलौकाब्दमें भी उन्हीं सब महीनोंके नाम लिखे जाते रहे। यह अब्द अक्तूबर महीनेसे आरम्भ हुआ था। मकदूनियाके पञ्चाङ्गमें अक्तूबर महीनेका नाम हाइपारवेरेतिउस् ( Hyperbereteus ) है। हिब्रू भाषामें अक्तूबर महीनेका नाम तौसरी (Tisri) रखा गया है। इसी हाइपारवेरेतिउस् महीनेसे सलौ- काब्दका आरम्भ हुआ है। इस अब्दके मास चान्द्रमानसे गिने जाते हैं। सिरीयामें मास-गणना मिटोनिक-चक्र ( Metonic Cycle )के अनुसार प्रवर्तित होती है। काबुल और उत्तर-पश्चिम भारतमें सलौकाब्द प्रचलित था। सिन्धुनदके पश्चिम तटवाला भूखण्ड सलौकस के शासनाधीन था। इसलिये वहां भी सलौकाब्द प्रचलित था। भारतीय यवन और शक (Indo- Scythian) राजाओंके शिलालेखोंमें इस विषयके बहुत निदर्शन पाये जाते हैं। काबुल और तक्षशिलामें अनेक शिलालेख मिले हैं, उनमें सलौकाब्दका हो प्रचलन देखा जाता है। qufe a r'aa ( Era of Parthia ) मि० जार्जस्मिथको बाबिलनके कुछ विवरणपत्रों में पहले पहल पार्थिव संवत्का परिचय मिला था। बाबिलनमें इनकी तीन तालिकायें पायी जाती हैं। उनमें दो अधूरी और एक पूरी है। ईसा मसीह के जन्मसे २४७ वर्ष पहले यह संवत् प्रवर्तित हुआ था। द्वितीय अन्तियोकको मृत्यु के बाद ही पार्थिव-संवत् प्रवर्तित हुआ। ष्ट्वावो, एरियान और सुइडास प्रभृति ऐतिहासिकगणने एक वाक्यसे स्थिर किया है, कि ईसा-मसीहके २४६ वर्ष पहले जनवरी महीने में द्वितीय अन्तियोकको मृत्युपर पार्थिवगणने राष्ट्र- विप्लवको सूचना की। इसी समयसे पार्थिव राज्यके इतिहासमें एक नया अध्याय प्रारम्भ हुआ। सुतरां ईसा मसीहके जन्मसे २४७ वर्ष पहले अप्रेल या अक्त बर महीनेमें यह सवत् प्रवर्तित हुआ था। मालव-काल वा विक्रम-स'वत् । गुजरातसे लेकर वङ्गतक सारे हिन्दुस्थान में विक्रम- संवत् चलता है। नमैदाके उत्तरमें यह वर्ष चैत्रादि और पूर्णिमान्त, किन्तु गुजरातमें कार्तिकादि और अमान्त है। फिर काठिवाड़में यह वर्षारम्भ आषा- ढादि और मास अमान्त देखा जाता है। अध्यापक किल्होनने ८८८से ११७७ तक विक्रम- संवत्में खुदी हुई प्रायः डेढ़ सौ वर्ष वाली प्राचीन लिपिको आलोचना करके स्थिर किया है, कि पहले कार्तिकसे ही इस वर्ष की गणना की जाती थी। पौके शकाब्द विशेषभावसे प्रचलित होनेपर नर्मदाके उत्तर भागमें चैत्रमाससे हो गणना चलने लगी। किन्तु