पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७३८

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अब्द प्राचीन खोदित लिपिसमूहको आलोचनासे समझ सकते, कि पालवंशवाले शेष नृपति गोविन्दपालके साथ मगधसे पालाधिकार विलुप्त होते भी जैसे मगध वासी कुछ दिन “गोविन्दपालदेवानामतीतराज्ये" वा "गोविन्दपाल- देवानां विनष्टराज्ये” इस तरह पालवंशका अतोत-राज्याङ्क व्यवहार करते ; उसौतरह लक्षणसेनने जब मुसल- मानोंके हाथ गौड़-मगधका अधिकार ११८८ ईस्वोमें खो दिया, तब जनसाधारण "लक्ष्मणसनदेवानामतीतराज्ये' वा "श्रीमल्लक्ष्मणसेनस्यातीतराजो" इत्यादि कोई स्वतन्त्र अङ्क कुछ काल लिखते रहे। वही अब्द पौछे मुसलमानों के अमलमें “परगणातिसन् के नामसे चला था। राजशक वा राज्याभिषेकाब्द। महाराष्ट्र-राजा-प्रतिष्ठाता छत्रपति शिवाजौके राजपाभिषेकसे हो यह सवत् चला है। १५१६ शकाब्दमें आनन्द संवत्सरको जाष्ठ शुक्ल त्रयोदशी तिथिसे यह अब्द प्रारम्भ हुआ था। दक्षिणापथके अमान्त चान्द्रसौर वर्षकी भांति इस अब्दको भी गणना की जाती है सन्, अमली सन्, फसलो सन्, इलाहो सन् आदि विभिन्न सनोंको उत्पत्ति हुई। सूर सन् वा शाहुका सन्-असली अरबी सन् है। सन् १३४४ ईस्वी या ३४५ हिजरीमें इसका प्रारम्भ हुआ था। महाराष्ट्र- प्रभावकालपर महाराष्ट्रपति शाहुके नामसे सम्भवतः यह “शाहुका सन् समस्त महाराष्ट्र अधिकारमें चलते रहा। बम्बई अञ्चलमें जो फसली सन् चलता, उसमें और इसमें , वर्षका अन्तर है। यह सौर वर्ष है। सूर्यके मृगशिरा नक्षत्रमें गमन करनेपर इसका वर्ष प्रारम्भ होता है। बंगला सन्। हिजरी सन्। सन् किसी मुसलमानी वर्षका ज्ञापक है। सन् कहनेसे असलमें हिजरी सन् ही समझा जाते रहा । पैगम्बर ५०४ शकके श्रावण शुक्ल १ गुरुबारको रात (६२२ इस्खौको १५वीं जुलाईको) मक्के से मदीने भाग गये थे। उसी दिनसे हिजरी सन् आरम्भ हुआ। इस अब्दको गणना चान्द्रमानसे लगती, इस- लिये ३५४ या ३५५ दिनका एक हिजरी वर्ष होता है। शुक्ल प्रतिपद वा शुक्ल द्वितीया तिथिको चन्द्रमा देखनेपर महीना लगता है। १ला चांद, श्रा चांद इत्यादि रूपसे गिनते हैं। सुतरां चन्द्रसे २८ वा ३० दिनमें एक हिजरी महौना होता है। सूर्यास्त और चन्द्रोदय अवलम्बनकर दिन और तारीख रखी जाती है। हमारे बृहस्पतिवारके रात्रिकालमें हिजरी शुक्रबारको रात होती है सूर सन्। यह मुसलमानोंके संश्रवसे ही भारतमें प्रचलित हुआ था। इसी सन्से सूरसन् वा शाहुका सन्, बङ्गला इस वर्ष यह सन् १३२२ और हिजरी सन् १३३३-३४ है। मुसलमानी पञ्चाङ्गकारोंके मतमें हिजरीसे १० वर्ष कम रखकर अकबर बादशाहने यह बंगला सन् चलाया था। किन्तु बात सच नहीं जान पड़तौ। अकबर सन् ८६३ बंगला या १५५६ ईखीम सिंहासनपर बैठे रहे। परन्तु हमने सन् ८४५ बंगलाको हस्तलिपि देखी है। ऐसे स्थलमें यह स्वीकार करना होगा, कि अकबर बादशाहसे पहले हो यह अब्द प्रचलित था। प्रथम ही कहा जा चुका है, कि हिजरी सन् चान्द्रवर्ष और बंगला सन् सौरवर्ष है। सौरवर्ष से चान्द्रवर्ष १०-११ दिन कम होता है। वर्तमान वर्ष बंगला और हिजरी सन्में ११ वर्ष ६ महीना १० दिनसे कुछ कम प्रभेद पड़ता है। सुतरां प्रश्न है, कि हिजरी सन्के किस अब्दसे बंगला सन् पृथक् होते चला आता है? पहले देखना चाहिये, कि प्रति वर्ष १० दिन होनेसे कितने वर्षमें ११ वर्ष ६ महीना १० दिन होता है। ११४१२+६४३०+१० = ४१५ वर्ष पहले अर्थात् ८१८ हिजरी सन्से बंगला सन् मिल जाता है। इधर फिर देखा जाता है, कि किसी-किसी वर्ष में ११ दिन कम हैं। तब औसतमें और भौ १०।१२ वर्ष बढ़ जाता है। ऐसे स्थल अधिक पौछे लौट कर ८०६७ हिजरी सन्में (प्राय १५०० ईस्वीमें) बगला सन्का आरम्भ मानना पड़ता है। इधर हमारे देशमें प्रवाद भी है, कि गौड़ाधिप मुलतान् अलाउद्दीन हुसेन शाहने देशी १०