पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 1.djvu/७७२

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अभिनवनारायणेन्द्र सरखती-अभिनिवर्त विशेष। काव्यकार। अभिनव-नारायणेन्द्र सरखती-कोई प्रसिद्ध वैदान्तिक । विशेष, किसी कार्यके समाप्तिकालका पाठ्य साम- यह कैवलेन्द्र सरस्वतौके शिष्य और शिवेन्द्र-सरस्वतीके गुरु रहे। इनको बनायो आनन्दलहरी, ऐतरेयोप- अभिनिधान (सं० लो०) आभिमुख्य न निधानम्, निषत्भाष्यटीका, प्रश्नोपनिषत्भाष्यटोका और मुण्ड अभि-नि-धा भावे लुट्। १ अभिमुख स्थापन, सम्मुख- कोपनिषत्भाष्यटौका मिलो है। प्रतिष्ठा । २ सुश्राव्य सम्मन, खुशआवाज़ोका हज़फ। अभिनव-नृसिह भारती आचार्य-शङ्कराचार्य के शृङ्गेरि प्रधानतः इकार और ओकारके बाद प्रारम्भिक अकार मठवाले २४वें और २६वें महन्तका नाम । पश्चिम बोलनमें दब जाता है। घाटपर तुङ्गभद्राके निकट शङ्कराचार्यने मठ बनवाया अभिनिधीयमान (स. त्रि.) स्तम्भन किया जाते था। यह उसी स्थानके मठधारी हो शिष्योंको शैव हुआ, जो दवाया जा रहा हो। धर्मका उपदेश देते रहे। अभिनिपीड़ित (सं० त्रि) अतिशय दुःखी, निहायत अभिनवभट्टवाण-वीरनारायणचरित नामक संस्कृत सताया हुआ, जिसे हदसे ज्यादा तकलीफ दौ गयी हो। अभिनवयौवन (सं० त्रि.) युवा, जवान्, जिसपर | अभिनियुक्त (वै त्रि०) अध्यासित, व्याप्त, आश्रित, जवानीका नया रङ्ग चढ़ता रहे। कला किया हुआ, जो घिर गया हो। अभिनववैयाकरण (सं० पु०) व्याकरण पढ़नेवाला | अभिनिर्जित ( स० वि० ) स्वायत्तीकत, फतेह किया नया व्यक्ति, जिस शख सने हालमें नव पढ़ना शुरू हुआ, जो हार गया हो। किया हो। अभिनिर्मित (सं० वि०) घटित, आत्मक, रूप, बना अभिनवशङ्कराचार्य-कद्रभाष्यकार। हुआ, पैदा किया गया। अभिनवशाकटायन-शब्दानुशासन-रचयिता । वोपदेवने अभिनिर्मुक्त (सं० पु०) अभितः सर्वतः निनिश्चयेन इनका नामोल्लेख किया है। निद्रावशात् शयनादिवशाहा सायन्तनकर्मणि निर्मुक्का अभिनवीभूत (स• त्रि०) पुनः प्रारम्भ किया गया, विरतः, मध्यमपदलोपौ ५-तत्। निद्रावशतः सायन्तन जो फिर नया हुआ हो। कमहीन ब्रह्मचारी, जिस शयनकारी व्रतनिष्ठ व्यक्ति- अभिनवोद्भिद् (सं० पु.) अभिनवं उद्भिनत्ति, अभि का मुख देख सूर्य अस्त हो जायें। (त्रि.)२ सूर्यास्त- नव-उद्-भिद्-क्विप् क वा। अङ्गुर, उद्भिद्से निकला कालमें निद्रित, आफ़ताब गुरूब होते वक्त सोनेवाला। हुआ नया अंश, नया शिगूफा, ताजा गुच्चा । ३ परित्यक्त, छोड़ा हुआ। 'अकुरोभिनवोझिदि' (अमर) 'सुप्त यस्मिन्नस्तमिते सुप्ते यस्मिनुदेति च । अभिनहन (स० लो०) अभि-नह भावे लुपट् । मशुमानभिनिमुक्ताभ्युदिती ती यथाक्रमम् ॥' (अमर) समीपका बन्धन, दृढ़ बन्धन, आंखपर बांधौ जाने- | अभिनिर्याण (सं० लो०) अभि लक्षीकृत्य शत्रुन्। निनिश्च- वाली पट्टी। येन यानं गमनम्, अभि- निर्या-लुपट्। युद्दयावा, अभिनासिकाविवर (सं० अव्य.) नासिकाके विवरको शत्र जयेच्छासे सैन्यके साथ गमन, हमला, धावा। ओर, नथनेको तर्फ। अभिनित्त (सं० वि०) अभि-निर-वत्-त । निष्पत्र, अभिनिधन (सं. त्रि.) अभिगतं निधनं मरणम्, सिद्ध, पूरा किया हुआ, तैयार। अतिक्रा०-तत् । १ नाशोन्मुख, मरणोन्मुख, मिट जाने- | अभिनिर्वृत्ति (सं० स्त्री०) अभि-निर-वत-तिन्। वाला, जो मर रहा हो। (अव्य.) निधनावसानयो निष्पत्ति, तकमौल, निबाह । राभिमुख्यम्, अव्ययौ । २ मरणके आभिमुख्य, खू तम अभिनिवर्त (सं० पु०) अभि-नि-वृत भावे घञ् । होते वक्त । (को०) ३ मरणकालका पाठ्य सामगान सम्मुखको निवृत्ति, सामनेका फेर। Vol. I. 192