पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/२७७

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२७५ कांगड़ी-कांटा चिकित्मा निकाली। अकबर बादशाहने गुणकौशवसे जानेवाला धोतीका किनारा। २ लंगोटा, चिट । सन्तुष्ट हो उन्हें कांगड़ेका कुछ स्थान नागोर दिया था। (स्त्रो०) ३ आकांक्षा, खाहिय । इस जिले में स्वर्ण, रौप्य, लोह, ताम्र, रसाचन, | कांजी (हि. स्त्री० ) १ कालिक, एक रस या खट्टी होरक, ममर प्रभृति नानाप्रकार वडु मूल्य द्रव्य रहती और कई प्रकारसे वनती है। इसमें प्रदार और उत्पन्न होते हैं। वड़ा भी भिगोया जाता है। कांजी बनाने के चार विधि उभिन्न और पखयमें यव, गई, चना, शण, नीचे लिखते है- कार्पास, इक्षु, तमाखू, चाय, मधु, लवण, और १ चावलका माड़ किसी मृत्पात्रमें दो-तीन दिन धान्य प्रधान है। रख लवणादि डालने से यह तैयार होती है। कांगड़ी (हिं. स्त्री०) सन्तप्त क्षुद्र पात्र विशेष, एक २ राई पीसकर पानीमें घोल दी जाती है। फिर छोटी अंगोटी। काग्मोरके अधिवासी शीतसे परिवाण सवत, जीरक, शुण्डो प्रभृति पीसकर मिला उसको पानको इसे कण्ठमें बांध वक्षः स्थलपर लटका लेते हैं। मृत्यावमें रख छोड़ते हैं। खट्टी होनसे पहले बड़ा यह अङ्ग रके काष्ठसे प्रस्तुत होती है। कांगड़ीके भीतर और प्रचार मी डाल दिया जाता है। मृत्तिका चढ़ा देते हैं। ३ दहीका पानी राई और नमक मिचकर रखनेमे कांगक, संगार देखो। उठनेपर कांजी कहता है। कांग्रेस (१० स्त्री०= Congress) सभा, परिषद, ४ शर्करा और निम्ब कका रस अघवा सिरका मुल्कीका प्रदेोका जलसा। इसमें विभित्र प्रदेशक मिलाकर पकाया और किमाम बनाया जाता है। प्रतिनिधि एकत्र, हो राजनीतिक विषयोपर प्रपना मढे, दही या फटे दूधके पानी को भी कांजी कहते अपना मन्तव्य प्रकाश करते हैं। संयुक्ता पमेरिकाकी है। काधित देखो। २ कारागारका एविशेष, कैद राजसभा भी कांग्रेस ही कहाती है। भारतमें खानको एक कोठरी। इसमें को दियोको मांड पिलावा प्रति वर्ष जातीय कांग्रेस ( National Congress) जाता है। होती है। कांजीवरम् (हि.) काशीपुर देखो। कांच (हिं. स्त्री०) १ लांग, धोतोका एक छोर। यह कांजी हाउस (५० पु० = Kine-house) पयशाला दोनों टांगोंके वोचसे निकाल कमरपर खोसी नाती है। विशेष, मवेशीखाना। इसमें कृषि पादिको क्षतिग्रस्त २ गुदावत, गुदाका भीतरी माग। कभी कभी नीरसे करनेवाले पश सरकार रखती है। फिर प्रभु दण्ड कांखनेपर यह बाहर निकल पाती है। खरूप कुछ पैसा रुपया दे उन्हें छोड़ता है। जिनको (पु०) ३ मिय धातुविशेष, एक मिलावटी धात। कृषिको हानि पहुंचाते, वह पशुओंको पकड़ कांगी- यह बालुका पौर क्षारको अग्निमें गन्नानसे प्रस्तुत होता हाउसमें हांक पाते है। है। इसमें काय, पावं, दर्पण प्रमृति अनेक द्रव्य कांट (हिं. ) करा देखो। बनते है। वाच देखो। कांटा (हिं.पु.) १ कण्टक, खाट। यह तीखाय कांचरी (हिं. स्त्री० ) कञ्चं लिका, सोपको केचुन । अहुर होता है। कतिपय वनों की पाचशेपर सूचीको कांचली, कांचरो देखो। भांति कोटा निकलता पोर पुष्ट होनेपर कठिन पड़ता कांचा, कथा देखो। है। २ पदकण्टक, पैरका खाट। यह मोर, मुरगे, कांचू (हिं० पु.) १ कञ्चलिका, केचुत। (वि.) तोतर वगैरह नर चिड़ियोंके पैरमें निकलता है। २ कांचका रोगी, जिसके कांच निकर पड़े। सड़ाई में उस पक्षी इसीसे प्रहार करते है। कटिका ३गलरोग विशेष गरेकी कांना, काचना देखो। एक बीमारी। या पक्षियोंके गवदेशमें उत्पन होता कांछा (हिं. यु.) १ कांच, कमरमें पोछे खोसा। 1 दूसरा नाम खांग है।