पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३८६

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CO कान्दाहार अलेकसन्दर या सिकन्दर शब्दका : पप है। तरनक, परगन्दाब, दोरी, प्रगप्तान पोर कदमाई मकदूनियाके प्रसिह वीर अलेकसन्दर (सिकन्दर )ने | नदी प्रवाहित है। अपने नामसे वहां एक नगर- स्थापित किया था। प्रधान मगर-कान्दाहार, फरा, खिलात-ए-धिर- उन्हींके नामानुसार उहा नगरका भी नामकरण हुआ। जाई और मारूफ हैं! वहां करीब चार लाख पादमी 'किन्तु यह बात समीचीन नहीं जान पड़ती। ऋग्वेद, रहते हैं। उनमें अधिकांथ दुरानो जाति है। फारसी (१२१२६७) एवं अथर्ववेद (२२२॥१४ )में गन्धारि और घिनजाई जातिको भी कमी नहीं। प्राय प्रायः और ऐतरेयब्राह्मण (३४), शतपथब्राह्मण २१ लाख रुपये है। (८1१।४।१०), छान्दोग्योपनिषत् (६।१४।१), पथर्व २ अफगानस्तानके अन्तर्गत कान्दाहार प्रदेशका परिशिष्ट (५६), रामायण (४४२२४,महाभारत, प्रधान नगर। वह पक्षा. ३१.३७३० पोर देशा हरिवंश तथा पाणिनिसूत्र में गन्धार वा गान्धार ६५४३. पू. पर परगन्दाच तथा तरनक नदीके जनयदका उल्लेख है। महाभारत, विष्णुपुराण और मध्य काबुलसे ३८० मील दक्षिणपूर्व अवस्थित है। वराहमिहिरको वृहत्संहिताके अनुसार वह जनपद वर्तमान कन्चार नगर बहुत अधिक दिनका सिन्धुनदके पथिम अवस्थित जान पड़ता है। निर्मित नहीं है। आधुनिक नगर अरगन्दाब नदीको ऋक्संहितामें लिखा है, वाम दिक, पर प्रवखित है। किन्तु वह विलकुद "महिमधि रोमया गन्धारोपामिवाविका ।" (चक् ॥१३६०) तौरवर्ती नहीं। नदी और नगरके मध्य एक. पर्वत

हम गान्धार देशीय पीकी भांति चोमपूर्णा और

श्रेणी है। उस पर्वतमालाके मय एक स्थानमें विच्छेद पूर्णावयवा है। पान भी अफगानस्थानमें लोमय रहनेसे लदीतौरके साथ नगरका संयोग हो गया मेष देख पड़ता है। एतव्यतीत :ऋक्संहिताम है। प्राचीन कान्दाहार नगर वर्तमान नगरसे ४ मोल गान्धारदेशीय कुमा नदीका उल्लेख है। जिस समय पथिम चेचजिनाक पर्वतके मून. पर अवस्थित था। अलेकसन्दरका गमन उस पञ्चचमें हुवा, इस उसकी तीनों और समतल क्षेत्र और चौथी और उच्च समयके यूनानियांने उक्त नदीका नाम 'कोफेन' और दुरारोह पर्वत था। इसोर चोग उसे अजेय समझते 'कोफेस'.. लिखा है। आजकच उसे कावुल थे। किन्तु नादिर शाइने बहुत दिन अवरोधके पीछे कहते हैं। नगर. अधिकार कर वह विश्वास दूर किया। फिर '. उप प्रमाण द्वारा समझ सकते हैं कि अलेकसन्दरके | प्राचीन नगरसे दक्षिणपूर्व दो मोल दूर चतुर्दिक पानसे वहुपूर्व संस्कृत शास्त्रमें गान्धार कहानेवाले | पर्वत वनादिशून्य परिष्कृत समतल भूमि पर दूसरा राज्यका ही पपन्नश कान्दाहार है। कान्दाहार प्रदेश नगर निर्मित हुवा और उसका नाम नादिराबाद रखा आजकल पूर्वकालको भांति विस्तीर्ण नहीं है। फिर भी गया। किन्तु.अहमदशाह अबदालीने नादिरावादको चीनपरिव्राजक फाहियान, मुङ्ग्युन और युएन-चुयाङ्कः भी गिरा कर १७४१ ई. में वर्तमान कान्दाहार नगर प्रतिके समय वह जनपद. वर्तमान पैशावर और स्थापन किया था। प्राचीन कान्दाहारका वहुविस्तृत .कान्त तक विस्त त था। गान्धार देखो। ध्वंसावशेष देख कर विस्मित होना पड़ता है। वर्तमान कान्दाहार प्रदेश खिलात-ए-घिल्लनाईके प्राचीन कालावधि, कान्दाहार नगर विख्यात ५ कोस दक्षिणसे लेकर उत्तरमें हजारा प्रदेश, वाणिज्य केन्द्र गिना जाता था। उस नगरमें हेरात, गोर, दक्षिण, बलचिस्तानके सीमान्त और पथिमम इसमन्द | सौस्तानः ( पारस्य ), कावुल पोर भारतयं पांच तक विस्तृत है।.. बड़ी बड़ी राह:गाई है। फिर उन सकन स्थानोंका इस प्रदेशमें पाहमकसूद, गुलको, खुकरेज और पस्य -शंके बाजार में पहुंचाता:ौर. विशता है। गानते नामक कर गिरिमार है। फिर इसमन्द, वह पहले. अलेकसन्दरके और पीछे को मैनापति