पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/३८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

किया। इ कान्दाहार सिमिकरके अधीन रहा। • उस समयका इतिहास भाना कान्दाहार पर चढ़े, किन्तु परास्त हो डौट विशेष नहीं मिलता। उसके पीछे पारद और सामान पड़े। फिर सादोजाइयोंने उसे जीतनेको पेटा को 'गीयोंने उसे अपने अधीन किया। किन्तु उनके यो। १८५० को भायजा फिर पंगरेजोंबा समयका भी विवरण विदित नहीं। फिर हिजरी साहाय्य ले कान्दाहारमें घुसे। उन्होंने सिन्धु नदीके सनकी प्रथमावस्था में समरमान धर्मप्रचारक मुहम्मदके तौरवी सैन्यसाहाय्यसे २०वौं अपरेलको उमे नीता 'वंशधर वहाँ पाये। ८६५१० को याकूब बिन-लिस पौर नगरमध्यस्थ पहमदयाइके समाधिमन्दिर नामक 'साफोरी'देशक प्रतिष्ठासाने उस पर अधिकार ८वी मईको राजपद पर अभिषेक पाया! उसके सासामबंशीयोंने उनके साथ उसे पौछ उनका सैन्यदन्न समुदाय अफगानस्थान अधिकार छीन लिया। फिर गज़नबी वंशीयोंने सासानीको करनेके लिये काबुल और गजनोकी ओर अग्रसर कान्दाहारसे भगाया था। पोछे गोरी वशीयोंने हुआ। सैन्यका कुछ अंश कान्दाहारमें शुजाके पास गज नबियों को खदेड़ वहाँ अपना अधिकार जमाया। रह गया था। उसी समय दुरानियोंने विद्रोही हो उनके अनन्तर कान्दाहार सेवजुकीयोंके हाथ लगा। सादीनाई जातीय अकबर खान और सफदरजाके अवशेष, ११५३ १ को तुर्को ने कान्दाहार पहुंच अधीन कान्दाहार आक्रमण किया। पक्ष में नगर अधिकार किया था। फिर कई वर्ष पीछे वह १८४३ ई० को नाना युधविषादिके पीछे सफदर गयास्-उद्दीन मुहम्मद गोरोके इस्तगत दुवा। जाने उसे मोता यो। किन्तु पति अब दिन यौछ. १२१० ई० को खौरिनमके सुलतान अलाउद्दीन ही कारनदिन खानने उन्हें वहांसे भगा दिया। मुहम्मदने वह स्थान पधिकार किया था। १२२२ ई० कोनदिव प्रति अत्याचारी था। १८५५ ई. को उनके पुत्र जहागीर खानने उन्हें वहांसे निकाल की कोहनदिच खानको मृत्यु दुई। उनके पुत्रः भगाया। फिर मलिक कुतर्वधीयोंके हाथ जवानगीर सुहम्मद सादिकने पित्यक सम्पत्तिको लूट लिया- खान्के उत्तराधिकारी दूरीभूत हुये। और पिय रहीमदिन खान पर अत्याचार शिया,. मक्षिक कुर्तीय स्थानीय सरदारोंसे हार और नगर इसीसे सोमदिन खानने अफगानस्थानके प्रमोर .छोड़ भाग गये। अवशेषमें १३८८ ई. को तैमूरनाने दोस्तमुहम्मदको साहाय्य भेजनेको लिखा था। दोख- सरदारोंके हाथसे कान्दाहार होना था। १४६८ मुहम्मद खानने जा नगर अधिकार किया और अपने तक वहां तैमूर के वंशीयोंका अधिकार रक्षा। फिर पुत्र गुलाम हेदरको शासनकर्ताक पद पर रख दिया। अबू सैयदके मरनेसे कान्दाहार और कतिपय पाख. गुलाम हैदरकै पोछे थेर पत्ती प्रथम कान्दाहारके वर्ती स्थान स्वाधीन हो गये। १५१९१० को भारतके शासनकर्ता रहे, फिर वह काबुल चले गये। उन्होंने मुगल राज्यस्थापयिता बाबरने शाहवेग नामक अपने धाता पमौन खानको कावुनसे भासनकर्ता स्वाधीन रानाको हरा उसे भारतके राज्यमें मिला बना वहां भेना था। पमीन चान्ने शेर.पोक लिया। कुछ दिन यौछे पारसिकों (ईरानियों) ने विका पत्र धारण किये और १५६५० को बाज- वह स्थान अधिकार किया। इसी प्रकार एक बार वालके युइमें मारे गये। अमीनके कनिष्ठ मुहम्मद पारस्य (ईरान) और दूसरी बार भारतको प्रधानता भरीफने एक बार तथा पेश की, पाविरोधको बीकार करते करते कान्दाहारको राजसभी कुछ अधीनता स्वीकार की। अजीम खान नामक र पीक वैचित्रेय भाताने विद्रोही बन १८६५.. दिन स्थिर रही। अवशेषमें १५२.ई. को फिर ईरानियोनि से अधिकार किया था। १५१७१० को को खिसाति-ए-घिसजाई नामक स्थान पर सोको रा दिया। उसके पोछे और पसौके पुत्र याकूब. मादिरशाने दश साख फौजके साथ १८ मास भवरोध कर कान्दाहार जोता। १६३४० को | खान्ने विवराय उडार किया। .. कुछ दिन पीछे