पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/४३१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

४३२ कामरूप पुरातत्वको देखते कामरूप अति प्राचीन जनपद कामरूप इति ख्यातः सर्वशास्त्रेषु नियितः " है। महाभारतके समय यह स्थान किरातपति भग- "विशन योजनविस्तीर्ण दोघे व शवयोजनम् । दत्तके अधीन था। उस समय लोग इसे परशरामका कामरूपं विनानीधि विकोणाकारमतमम् । लौहित्यतीर्थ मानते थे। थाने चव केदारी वाया गनासमः। दक्षिणे सहमे देवौ वाचाया: बहरेसमः। पुराण और तन्त्रमें कामरूप महापीठस्थान माना विकोयमेव मानौडि सुरासुरनमानम्।" गया है। गरुडपुराणमें लिखा है,- करतोयासे दिक्करवासिनी तक कामरूप विस्तृत है। "कामरूपं महातीर्थ कामाख्या सन विष्ठति । (गरुडपुराण, श१६) इसको उत्तरसीमामें कनगिरि, पश्चिम करतोया नदी, राधातन्त्रके २०३ पटलमें कहा है,- पूर्वसीमामें तीर्थ श्रेष्ठ दिक्षु नदी और दक्षिण ब्रह्मपुत्र "कामरूप' महभानि ब्रह्मणो मुखमुच्यते।" नद तथा साक्षा नदीका सङ्गमस्थल है। यह सीमा है भगवति । यह कामरूप ब्रह्माका सुख मिर्देश समुदाय शास्त्रका अनुमोदित है। यह सुरासुर- माना जाता है। पूजित कामरूप त्रिकोणाकार है। इसका देव एक स्कन्दपुराणका प्रभासखण्ड ( ७० प्र०) देखते शत योजन पौर विस्तार तोस योजन है। कामरूपके इस स्थानमें शभकर लिङ्ग विद्यमान है। ईशानकोणमें केदार, वायुकोणम गजशासन और नीलतन्त्र और वृहन्नीलतन्त्रके मतसे इस महा- दक्षिणम ब्रह्मरता तथा लाथाका सङ्गमस्थत है। तीर्थम योगनिद्रा सर्वदा विरानती हैं। कालिकापुराणमें भी लिखा है- पूर्वकालको कामरूपका आयतन इस समयको "करतोया सव्यगना पूर्वभागावधिथिता। अपेक्षा अधिक विस्तृत था। कुमारिकाखण्डमें याववलितकान्नास्ति वावद्देपुर वदा।" लिखा है, (कालिकापुराण, २८११२१०) "कामरूपे च यामाया मवलया: कोलिता।" (३००) करतोया नामक सत्यगङ्गासे पूर्वदिक ललितकाम्बा वर्तमान प्रासाम, कोचविहार, जलपाईगोड़ी और पर्यन्त यह पुर विस्तृत है। (ललितकान्ता दिक्कर- रनपुर कामरूपके अन्तर्गत था। योगिनीतन्त्र में प्राचीन वासिनोके निकट है।) कामरूपकी चतुःसीमा इस प्रकार वर्णित है,- दुरबीके मतसे भी कामरूपको उत्तर सीमा "करतोयो समाथिस्य यावहिकावासिनी। कनगिरि वा मूटानका पावत्य प्रदेश है। इसके उत्तरवां कश्चगिरिः करतोधानु परिमे । पूर्व महाचीन वा चीन-सामान्य, दक्षिण लाक्षा नदी तीर्थ श्रेष्ठा दिखनदी पूर्वस्या गिरिकन्यके । (यह नदी ब्रह्मपुत्र से पृथक् हो वङ्गदेशक सीमारूपसे दचिये नपुवस्य लामायाः समावधि ॥ प्रवाहित है।) और पश्चिम करतोया नदी है।* . येन यान्युपयोग्यानि गव्यं दैवि पयोमसम् । मार्ग मान्य तथा कागं शालन शाशक तथा। माझिप वर्मयन्मास घौरं दवितस्ततः । पचिपा प्रवामि ये प्रयोज्या मम प्रिये। हारितश्च मयुरष नारकं वर्तकन्नथा। कपिलयब चाशय काककुटकी शिक्षा बन्धक टकचव गणारिय कपोतक। विश्वका कुलिकय व रहापुच्छर टिहिमः । अचमत्याभनय व पोयाच विशियाने। चिवमव्य' रोहितच महायलच राजिवम्।" (योगिनौतन, रा८ पटल) सपुरवारी रोगकि विश्वासानुसार देवीगंजी निवभागमें प्राचीन विता (विसोवा) नदीमें पायराज नामको एक शेटौ नदी मिली है। वही करवाया नदीका पुराना गर्म है। फिर पाथराज भी कामरूपक Tanta Amali (Martin's Eastern India, Vol. III. p. 361-63.) करतोया देखो। पर वर्तमान भासाम प्रदेशके पूर्वप्रान्तमें सदियाके निकट कामरूपपुव मामको एक नदी बहवी है। इसे मौ कामरूपको पूर्व सीमा बवानेवाली कहना पड़ेगा। (Journey from Upper Assam towards Rookhoom etc, by W. Griffith ; see Selection of papers regarding the Hill Tracts between Assam ani. Burmis, p. 126.)