पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५०२

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कायस्थ ५.०३ वहां भटनागरोंने गौड़ोसे पहले ही मुसनमानी | गये थे, दिल्ली के भटनागरों ने उनके भो त्तान्त सरकारके अधीन कार्य को स्वीकार किया था। फिर सम्राटसे कह दिये। बादशाहने उन्हें पकड़ वुलाने के लिये पादमी मेने थे। उस समय उन्होंने ब्राह्मणों का “मुसलमानोंके संसवसे गौड़कायस्थ मी उनमें मिल गये। भटनागर वाममार्गी रहे। उस . समय उनके पाश्रय लिया। राजपुरुष मब पकड़ने के लिये साथ सम्मिलित होने पर गौड़कायस्थ भी वाममार्गी पहुंचे, तब ब्राह्मणों ने उन्हें अपना आत्माय बताया था। किन्तु उससे राजपुरुषां का विश्वास न हुवा । बन गए और भैरवीचक्रमें पूजा करने लगे। गौड़कायस्थों ने जब भटनागरांका पाहार करने के समय ब्राह्मणों को गौड़कायस्था के साथ एक पात्र में लिये निमन्त्रण दिया, तब भटनागग'ने तो उन खाना पड़ा। इसी प्रकार गौड़ कायस्थ वहां बच गये। घर जा कर खा लिया, किन्तु पौके जब भटमागगेन अभियुक्तों को निकाल न सकने पर बादशाहने विरक्त गौड़कायस्थोंको अपने घर खाने पीने : निए वुन्ताया, हो भटनागरों का आवेदन अपाच किया था। उसीक सब बहुत थोड़े लोगोंको छोड़ कर अधिकांय गौड़ोंने साथ दूसरे भटनागराने भो उन्हें समानयत कर निमन्त्रणमें जानेसे अपना मुंह छिपाया; फिर जिन दिया। उक्त. समाजच्य त भटनागर गौड़भटनागर और लोगोंने भटमागरोंके घरमें जा कर खाया था, उन्हें दूसरे (गौड़ों का पत्र ग्रहण न करनेवाले) विशुद्ध भट- समाजच्यु त मी ठहराया। इससे भटनागर बहुत नागर समझ गये। इसी प्रकार गौड़कायस्थ चार चिढ़े थे। उस समय दिल्लीमें नसौर-उद-दीन् समाद श्रेणियों में बंटे थे-१म आदि गौड़ हैं। वह रहे। गौड़ और भटनागर उभय श्रेणोके कायस्थ बङ्गालक सीमान्तपर निजामाब.द, जौनपुर..प्रति उनके अधीन कर्म करते थे। दिल्लोके भटनागरों ने स्थानों में कानूनगोईका पद भाग करते थे। रय जब सुना कि उनके ज्ञातिकुटुम्बके धर गौड़कायस्थोंने भटनागरों के घर खानेवाले, श्य ब्राह्मणों के घर पाहार किया न था, तब उन्होंने गोडोके घर खाने. आश्रय लेनेवाले और ४थं ब्राह्मणग्टहमें पुत्रप्रसव वाले सकम्त भटनागरों को समाजच्य त कर दिया। कारिणी रमणोको समान में मिला लेनेवाले हैं। उक्त बात ठहर गयो-गौड़ जितने दिन उनके घरमें न चारो श्रेणियोंमे पहले पादानप्रदान बन्द रहा। खायेंगे, उतने दिन वह भी समानमें मिलाये न आयेंगे। फिर बदाय के गौड़ निजामाबादमें जा कर रहे और इस पर समाजच्युत भटनागरोंने मुसलमान-सम्राटके बदायूंक ब्राह्मण उनके पुरोहित बने । २य श्रेणौके निकट नालिश को घो। सम्राटको गौड़कायस्थों के अन्याय गौड़ोंने श्य श्रेणीवानों के मिलनेको आचरणका परिचय मिला। उन्होंने दिल्ली में रहने चेष्ठा की. थी। पहले काई वाले गौड़ों और भटनागरों को एकत्र आहार करनेके निकला। अवशेषको बदायूं के ब्राह्मणों को लिये आदेश दिया था। उस समय वाध्य हो दिल्लीवासी चेष्टासे होड़ाहोड़ो मिट गई। यहां अनेक गौड़ों ने भटनागरों के घर जा कर खा लिया कि उभय श्रेणियों में विवाह के समय आदान-प्रदान किन्तु कई गौड़ भटनागरों के घर जा कर खानेके भयसे चलने लगा। किन्तु ४र्थ श्रेणो बहुदिन कन्यादान दिलो छोड़ कर चले गए। उनमें एक पूर्णगर्भा रमणी करनेको सम्मत न हुई। अवशेषको श्य सेयोको रहीं। किसी ब्राह्मणशे घर पाश्रय लेने पर उनके एक चेष्टासे ४थ श्रेणो भी दक्ष में मिन.गयो। पुत्र उत्पन्न हुवा। बड़ा होने पर उसके साथ ब्राह्मणने उक्त तीनों श्रेणियों को कुलमें होन समझ उतने दिन अपनी कन्याका विवाह कर दिया था। अपरापर अलग रही थी। अन्ततः जंब उसने देखा गौड़ बदायूं जिलेमें जा कर रहने लगे। कि तीन श्रेणियां परस्पर मिली हैं, तब वह भी भटनागरों के घरमें भोजन करनेवाले गौड़कायस्थ क्रम क्रम सवमें मिलकर एक हो गयो। गौड़भटनागरी गामसे ख्यात हुये। मो बदायू भाग बाज कल चारो श्रेणियोंम पादान-प्रदान चलता है। गौड़- । साथ फच तक १म श्रेणी