पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/५९३

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५६६ कालिदास कालिदास नामके हिन्दी में भी कई कवि हो गये हैं। ले जाता है। कान्तिदासने उस चान्तको कविको दृष्टिसे उनकी कविता हृदयग्राही और मनोरञ्जक है। देखा है। नाले घूम घूम कर वहते हैं। कालिदासने कालिदासको ग्रन्थालोचना। उनको सांप जैसो चार बड़े ध्यानसे देखी है, जो युवा कवि कालिदासको अपनी उम्मेदवारी एका मेढ़कों को डरा देता है। एक बात पक्की है। कान्ति- ऐसा देशमें करना पड़ी थी, जो सुन्दर और पर्वत, दासको आदि कविताका अनोखापन यह है कि खाड़ी, मैदान तथा छोटी नदियों से परिपूर्ण था। उन्हों ने स्त्रीसे अधिक प्रकृतिको प्रशंसा की है। कालिदास ब्राह्मण थे ।इसी कारण वह युद्ध और राज फिर उन्होंने अपने देशके पुराण पड़े, शिक्षा समाप्त नीतिसे अपनको अलग रखते थे। हां, देशके साहित्य की और अपना ध्यान रङ्गमञ्चपर नगा दिशा । उनका से सम्बन्ध रखनेवाले युद्धविग्रहमें वह सम्मिलित थे । दूसरा ग्रन्य देशहितैषितापूर्ण एक नाटक है। विदिशा उन्हें क्या लिखना था ? पूर्वावस्था और प्रकृति दोनों मालवका एक भाग है। कान्तिदासके प्रथम ऐतिहा- ही सुन्दर होती हैं। प्रकृति पदार्थों का वर्णन करना सिक ग्रन्थमें विदिशाका इतिहास परिपूर्ण है। मानवसे युवा कविके लिये सबसे पच्छौ चीज है। कालिदासने आगे वह भ्रमणको न गये थे। उन्होंने अग्निमित्रका अपनी उम्मेदवारी ऋतुसंहार लिखने में वितायो । इतिहास लिखा और नायिकाका नाम माविका वास्तवमें उन्हें ऋतुवर्णन लिखनेका प्रलोभन शिला रखा है। उन्जनका प्रद्योतवंश पतित हो गया था। फलकोने दिया था। कारण देशमें चारो पोर नो मालवदेश मगधमें मिला लिया गया था । उसो शिताफलक मिलते थे, उनसे प्रत्येकमें ऋतुवर्णन समय पग्निमित्र ब्राह्मणके आधीन विदिशां राज्य वर्तमान था । उन्होंने अपने मनमें विचारा-यदि स्थापनका वर्णन कर उन्होंने मालधके लोगोंको प्रसव वह सम्पर्ण ऋतुवों का वर्णन एक साथ लिख सकते, करने की चेष्टा को हैं। वास्तव में पथोकके बौहराज्यका ती देशका बड़ा उपकार करते। इसीसे कालिदासने पतन और ब्राह्मणमाम्राज्य का पभ्युदय युवा कवि ऋतुसंहार लिखनेका काम अपने हाथ में ले लिया। कालिदासके लिये एक अच्छा विषय बन गया । इस 'भाषा परिमार्जित नहीं है। उसमें पुनरुप्ति, व्याकरण ग्रन्थमें भी कालिदासने प्रकृतिक सौन्दर्यको पधिक अप- लेखन प्रणाली और भाव सम्बन्धी त्रुटियां बहुत हैं। नाया है। उन्होंने प्रायः इसप्रकारके वाक्य लिखे हैं। अंगरेजी कवि टामसनने “सिजन्स" नामक ऋतुवर्णन- 'फूलदार पेड़ोंको डालियांका हिलना सुन्नना देख का एक ग्रन्थ लिखा है। उक्त अन्य ऐतिहासिक घटना. माचनेवाली लड़कियां सन्नामें आ जाती है। पनन्तर वोंसे परिपूर्ण हैं । फिर स्थान स्थान पर टामसेनने उनके ममयको परिसीमा बढ़ती चौर "मेघदूत में विभिन्न ऋतुवों में प्राचीन समयके दृश्य दिखाने की वह मालवसे आगे निकलते हैं। मानवको पूर्व सीमासे चेष्टा की है। किन्तु कालिदासने अपने ग्रन्य ऋतुसं. वह उसकी चारों बार घूमते, कई प्रावश्यक स्थान देख हारमें कहौं इतिहासको पोर ध्यान नहीं दिया है। भाल पूर्वमें वह फिर उसमें पहुंचते पौर उत्तर उन्हो ने ग्रीष्म ऋतुसे प्रारम्भ किया है। कारण उत्तर उससे बहुत आगे निकल चलते हैं। किन्तु उनको भारतमें ज्योतिषी वर्षाऋतुसे ही वर्षारम्भ करते हैं। प्रीति अभी मानसिक है, वह अभी प्रकृतिको बहुत यद्यपि उनकी प्रतिभा कवित्वपूर्ण और कुशाग्र थी, प्रशसा करते हैं। किन्तु उनकी भाषा बहुत परिमार्जित तथापि पूर्णरीतिसे परिमार्जित न थी, स्त्रीत्व वा प्रकृति हो गयी है। और उनकी लेखन प्रणाली बहुत अधिक का सौन्दयं उन्होंने भली भांति नहीं बताया। परन्तु चित्तको पाकर्षण कर लेती है। उनका हृदय बहुत चुलवुला था। जहां दूसरे कुछ नहीं उनको कविताका भाव बदल जाता है । वस्तुओं देखते, वहां उन्हें सुषमा देख पड़ती है। गहरी दृष्टिका पौर मानुषिक लालसावों का वह अधिक विचार पहला झड़ कोड़ा, घास और धूल सबको बहा करते और मनुष्य के दुखोंपर ध्यान नहीं देवे । वह 1