पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष भाग 4.djvu/६२५

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काशी काशीखण्ड में कहा है- 'पभोवरणयोर्मध्ये पचनी महारम् । "बसिय बरणा यव पेवरवाकवी कृते । एमरा मरणमिछन्ति का कया इतरे मना।' वाराणसौति विखवाता तदारम्य महामुमे । बरणामागोशब्दयोः प्राचिनिमित्त पृच्छति।" असेच वरणायाच सनम प्रापा काधिका" (.14.) बारोंके आधिपत्यकाल शाक्यसिंहने उस वाराणसी सत्ययुगमें जिस दिन काशीक्षेत्र रक्षा करनेके प्रदेश के अन्तर्गत ऋषिपत्तन मृगदाव नामक स्थानमें लिये असि और वरणा नदी निकली, हे मुनि ! उसो जाकर धरौपदेश प्रदान किया था । (खलितविस्तर ९५ प.) दिनसे काशिका वरणा और पसि नदीका सङ्गम लाम यहां तक कि खुष्टीय षष्ठ शताब्दके शेष भाग चौन• कर वाराणसी' नामसे विख्यात हुयी है। परिव्राजक युयनचुयान जब वाराणसीस्थ बौद्ध तीर्थ किसी किसी पाश्चात्य पुराविद के मतमें वरणा और दर्शनको गये, तब वाराणसी-राज्य प्राय: ३३३ कोस असिके मध्य रहनेसे ही काशीपुरी वागणसी नामसे (४००० नि ) और वाराणसी नगरी डेढ़ कोस (१८. प्रथित हुयी है। किन्तु यह मत नितान्त पाधुनिक है। १८ लि ) दीर्घ तथा प्रायः पाधकोम (५६ नि) किन्तु हमारी विवेचनामें काशी नितान्त आधुनिक विस्वस थो। नहीं ठहरती। पुराणको कथा छोड़ उपनिषदकी बात अकबर बादशाइके समय बनारस एक खतना मानते भी इस राणिक मत समधिक प्राचीन समझ सरकार रहा। आईनमकावरीमें लिखा है- बनारस पड़ता है। यथा,- सरकारका परिमाण ३५८५८ बीघा है।८महल छ "प हि जन्तोः प्राणेष नकममाणेषु रुद्रहारकं वध व्यापटे, चैनासावमू सरकारके अधीन हैं। प्रधान स्थान प्रफराद, बनारस वो भूत्वा मोची मवति । समादविमुवमेव निवे नेत; पविमुक्त', विमुक्षेत नगर और उसका सन्निहित स्थान बियालिसी, पन्दरता, एवमै नद, पाशवराय ..सोऽविमुताः कस्मिन् प्रतिष्ठित इति । वरणार्या कसवार, कहर,राया है। नाम्याच मथे प्रनिहित इति। कायरया कानायौति । सर्वामिन्द्रिय- पालकस भी बनारस एक स्वतन्त्र विभाग है। वह मतान् दोषान् वारयतोति तैन परणा भवतीति । सर्वामिन्द्रियकृतान् पापान नागयतीति तैन नागी भवतीति ।" (जावालोपनिषद् १-२) युक्तप्रदेशवाले लाटके अधीन है। एक कमिशनर उसपर उस स्थानपर जन्तुके मरण कास रुद्र "तारका तत्वावधान रखते हैं। भूमिका परिमाण १८३३७ वर्ग- नाम कीर्तन करते हैं। जिस हेतु इसके द्वारा जीव मील है। पाजमगढ़, मिर्जापुर, बनारस, गाजीपुर, गोर- अमृतत्व लाभकर मोक्ष प्राप्त होता है। अतएव इस खपुर, बसती और बसिया निसास विभाग अन्तर्गत पविमुखक्षेत्रमें वास करना एकान्त कर्तव्य है; अवि है। उनमें बनारस निसा 2८८ वर्ग मीत विस्तृत है। मुक्तको कभी छोड़ना न पाहिये । १ यात्रवला! जब जिलेको उत्तरसीमा गानोपुर तथा बौनपुर, पूर्व हमने को कहा, उसे सस्य समझियेगा । वा पविमुक्त शाहाबाद और दक्षिण एवं पत्रिम मिर्षापुर है। प्रधान पेव कहां प्रतिष्ठित है ! वावरणा और माशी दो नगर बनारस ( काशीपुरी) है। पाजकस इसका. नदीके मध्य प्रवस्थित है। किसीको वरणा और किसी प्रायतन३४४८ एकर मात्र है।वह पचा. २५.१८ को नापी करते हैं ! समस्त इन्द्रियकृत दोषराशि ३१. पार देशा. ८५'४" पू. पर अवखित निवारण करनेवानीको “वरणा" और समस्त इन्द्रिय है। नगर हिन्दू जातिके निकट सुपवित्र महापुरुष बत पाप नाशकरनेवालीको "नाशी' कहते हैं। प्रद काशीतीर्थ नामसे परिचित है। युक्तप्रदेश में बनारस नावासदीपिकामें नारायणने लिखा है- सबसे बड़ा शहर है। पबध-रुहेलखण्ड रेसवेका "तर वरचा माझाति यथा स्कान्दे- टेशन बना है।

• Ror. Starling's Sacred City of the Hindus, in- tro. by F. Hall, p. XVIII ; Förher's Archäological Sarroy Repta; N. W. P. Vol. II, p. 196. बीम परिबानकोत पौ-सी-मि-सम्बाराषमी। See Beal's Records of the Western Countries, Vol. II. P. 4 D.