पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१०५

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

गहतक-राहताग यतासे अंगरेजराजमी यहा शान्तिस्थापन करने में समर्थ स्कूल, दो लोय फ्यु-टर मिडिल स्कल तथा ६ वर्ना हुए थे । झाझर और वहादुरके नवाब पकडे जा कर प्युलर मिडिल स्कृट है। अंगरेजविचारसे दण्डित हुप । दिल्ली नगरम झाझरपति- उत जिलेकी पन तामील । यह अक्षा० २८३८ से को फांमी हुई। उनके यात्मीयगण लाहोर नगर में कैट २६६ उ० तया देशा० ७६१३ से ६४५ पू०के मध्य किये गये। मिन्द, पतियाला और नामा राजविद्रोहक अस्थित है। भूपरिमाण ५६२ वर्गमील और जनसंख्या समय अङ्करेजराजने उनकी सहायता की थी, इस कारण लाग्यके करीब है। इममे ५ शहर और १०२. ग्राम पारितोषिक म्वरूप झाझर राजसम्पत्ति उन्हें मिली। लगने है। इसके बाद रोहतक पक्षाव गवर्मएटके अधीन था। उन जिले का प्राचीन नगर और विचारमदर। यह १८६० १०में झाझर जिलेका कुछ रोहतक जिलेम अक्षा० २८५४ उ० नया देशा० ३५ पृ०के मध्य मिलाया गया। अवस्थित है। जनसंग्या २० हजार के करीब है। इस जिलेमे २१ शहर और ४६१ ग्राम लगते है। जन- यह नगर वान पुगना है, किन्तु दुपका विषय है, संख्या साढ़े छः लाग्बक करीव है । हिन्दुको संख्या कि इसका यह प्राचीन इतिहास नहीं मिलता। वर्तमान सैकडे पीछे ८५ है। । नगर के समीप उनकी ओर पोकरा कोट नगमा म्यान. गणिज्य ध्यवमाय और कृषि कार्यकी यहा बड़ी उन्नति में बटनसे प्राचीनत्य के निदर्शन दग्व जाते हैं। एक देखी जाती है। यहां सजाना देनेकी दो प्रथा ह, भाया- समय यह स्थान विशेष समृद्धिशाली था. उत्त, गण्डहर. चारा और तप्पादारी । जो मन प्रजा वेशीवारी नहीं से उसका पता चलता है। कहते हैं, कि इस प्रकार करती, उन पर जमीदार एक ग्वतन्त्र कर लगाते है जिसे १९६० ई० मे दिल्लीश्वर पृथ्वीर जके शासनकालमें इस 'कामिनी' कहने है । अनावृष्टिके कारण यहा अफसर सौन्दर्या भ्रष्ट नगरका फिरसे जार्णसंस्कार हुआ था। दुर्मिन हुआ करता है। १८२४, १८३०, १८३२, १८३७, दुसरेका कहना है, कि ई०सन के ४ सदी पहले यह १८६० ६१ और १८६८-६६, १८६५, १८६६ भार १६०० स्थान मम्कन और समृद्धिसम्पन्न हुआ था। मुंगले ६०में यहां दुर्मिक्ष पहा था। १९०० ई०का दुर्मिक्ष वडा साम्राज्य के अधःपतनके समय यह स्थान मिन्न भिन्ने भयदर था। हजारों यादमी कराल कालके शिकार बने सरदारीके अधीन होता गया। १८२४ ई०में यह अदरेजा- थे। बताने अन्नके कष्टले चोरी डकैनी करना शुरू कर धिकृत एक जिलारूपमे गिना जाने लगा। तभोसे यह दिया था। इससे मी संतुष्ट न हो कर जाटोंने बालीका बहारेजोंके ही अधिकारमे चला आ रहा है। प्रति वर्ष धाजार लूट लिया था। इस समय लोगोकी ऐमी दुर्दशा अक्तूबर के महान यहां पक घोडे का मेला लगता है। हो गई थी, कि वे एक चैने के लिये ऊंट बेचने और एक शहरमे एकलोव फ्युलर हाई स्कृट है। माम रोटीके लिये एक गाय बेच डालने थे। इस प्रकार रोहतको-उत्तर-पश्चिम भारतवासी बनिये जातिकी एक पक एक कर जिलेकी गाय मैंस सभी नष्ट हो गई थी। शाखा। जातियोंमे २४ जातिया लोप हो गई थी, सिर्फ दो रोहतार-पञ्जादप्रदेशके हिमालयन के ऊपर एक गिरि- जातियां रह गई थी, एक क्साई और दूसरी व्यत्रमायी। सङ्कट । यह अनील जिले में अक्षा० ३२२२२०” उ. इस जिलेमें पांच म्युनिस्पलिटियां हैं, रोहतक, वेगे, तथा देशा० ७७१७२० पू.के मध्य अवस्थित है। यह झजर, बहादुरगढ़ और गोहाना । विद्याशिक्षामे यह जिला रास्ता लाहुल अन्तर्गत कोकसरसे कुल विभागके पल. पिछड़ा हुआ है । पञ्जावके २८ जिलों में इसका स्थान। यान तक चला गया है। इममा सर्वोच्च स्थान ममुद्रकी २ध्या पाया है। अभी जिले मरम १० सिण्डी , ७०, तहसे १३ हजार फुट ऊंचा है। इसके दोनों किनारेको प्राइमरी, २ च श्रेणीके और ४२ पलिसेण्ट्री स्कृल है। : पर्वतमाला १६ हजार फुट ऊंची दीवारकी तरह खड़ी इनके सिवा रोहतक शहरमे एक एङ्गालो वर्नाक्युलर हार्ड-1 है। प्रायः २० हजार कुर उच्च एक एक यह मस्तक