पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१३०

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१२७ लतसिंह-लक्ष्मण घनिवासी शादुल रानपूर्तीको पराजित और चशी | राणाके अनेक सन्तान सतति थी। चण्ड ही सव भूत दिया था। सम्राट् महम्मद शाह लोदीने इस [ से बड़े थे। कितु उन्हे पितृसिंहासन नहीं मिला था। समय जय राजपूना पर माक्रमण कर दिया, तब राणा| | आज कल अगुणा, पानोर और आरावलीके नाना उसके विरुद्ध सड़े हो गये । येइनीर दुर्गके सामने | प्रातवासी लूणावत् और दुरावत् पशीय सरदार लक्षके मुसलमान सेनाके माथ राजपूतसेनाकी मुठभेड हुई। घशधर कहलाते हैं। सैकडों पठान सेना युसक्षेत्रमें खेन रही । जो कुछ यत्र लक्षा (स. स्त्री०) रक्षयतीति रक्ष मच टाप् । लक्ष, गह यह हार खीवार जान ले कर मागी) एक लाखकी सच्या लक्षके राज्यकालमें विधमा मुसलमानाने हिर्के रक्षा तपुरो ( स०सी०) एक प्राचीन नगरका नाम । पवित्र तीर्थ गयाधाम पर चढाइ कर दी। धर्मक्षेत्र लक्षि (स० सी०) सदमी देखो। २ लक्ष्य देग्यो । गयापुरीका मुसलमान वलसे उद्धार करनेको कामनासे लक्षित (स.नि.) लश च । १ भालोचिन, विचारा रोणा दल बल के साथ उस ओर रवाना हुए। इस युद्ध हुआ। २ हप, देसा हुआ। ३ वित, बतलाया हुआ। याता साप तीर्थयात्रा करना भी उनका उद्देश्य था! ४ रक्षणाय, मिस पर कोह लक्षण या चिह्न बना हो। बहुत दिन रायशासन कर जय लक्षसिह बूढ़े हुए, ५ अनुमित, अनुमासे समझा या जाना हुआ।(पु.) तष मेवाडके भाषी राणा चण्डको जामाता वरण र ६ वह यर्थ जो शम की रक्षणाशक्ति द्वारा शात मारधाडपति रणमलने विवाह प्रस्तारके माथ नारियल | होता है। भेजा। उस समय चण्ड राजसभामें उपस्थित नहीं रथितय (सं०नि०) निदेश्य, बतलाया हुआ। था, पिसी जरूरी काममें यादर गये हुए थे। अतएव लशितलक्षणा (स. स्त्री०) लक्षित लक्षणा। रक्षणाभेद, पृद्ध राजान कहीं रणमल्ल गुम्सा न जाये, इस भयसे एक प्रकारको लक्षण । जहा लक्षिन मथ में लक्षण होती है मारिपलको ले लिया। उस कन्याके गर्भसे मुकूलजी । उसोको लक्षितलक्षणा फहन हैं। लक्षणा देतो। । काजाम हुमा । मुम्लनीने जय पाच वर्षमें कदम | रक्षिता (स० स्त्री०) रक्षक, स्त्रिया टाप । परकीया तगंत बदाया, तब राणा उसके ऊपर प्रना पारका भार सौंप नायिकाभेद, यह परकीया गायिका जिसका गुप्त प्रेम पर जगल चले गये। जितेन्द्रिय घोर चण्ड वालक | उसकी सखियोंको मालूम हो जाय। यह नायिका मुक्लका पक्ष पररानकाय चलने लगे। पुश्लोमायनिपुण है। रक्षणसिद्द सनातन हि दूधमके विरुद्धाचारी इस्लाम उदाहरण- धमावलम्बियों के विरुद्ध गयाधाम गये। यहीं मुसल "यद्भुत तद्भूत य यात् तदपि या भूयात् । मानोंके हारते उनको मृत्यु हुइ । यद्मरतु तद्भानु वा विफलस्तर गोपनोपाप ।" (समरी) ___महाराणा रक्ष शिपो नतिको घडी महायता पर लथी (सं० स्त्री०) पर पणत्त, इसके प्रत्येक चरणम गये है। मका उदो तने विजातीय विद्वेपने निस मेवाड । माठ रगण होते हैं। इसे गगोदक, गगाधर और खान राज्यको श्मशानभूमिर्म परिणर कर दिया था, राणा उस भो कहते हैं। मम्भूमि अमरापुरी सट्टा एक नगरी दमा दो। उस लक्षीमरायल्सासराय देवो । नगरीशे सुन्दर सुन्दर सीधमाला और मन्दिरसे परि लणी-युक्त प्रदेशातर्गत पक जिला और नगर । शोमित कर दिया। बहुत रुपया वर्च करके उन्होंने एक सनऊ देखो। सुन्दर प्रासाद और एकेयरकी उपासनाफरिये एक लक्ष्मन् (स० की०) क्षयत्यनेन रक्ष्यते इति या लक्ष वहा मजा मन्दिर बनाया था। यह मनिर शाज भी। मनिन् । विह, निशान १२ प्रधान, मुख्य। विद्यमान है। स्थानीय रोगांशलाभादर करनेके लक्ष्मण (स० को०) १ चिड़, लक्षण। २ नाग|३सरसा रिये उन्हान रख प्राचीर परिवपित कुछ दिग्गा सुदया। (पु.) ४ कुरुराज दुर्योधनफे एक पुत्रका नाम । (नि.) पर राज्यको शोमा डा। १५धारिशिष्ट, जिसमें शोमा और काति हो।