पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१४३

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।
१४२
लक्ष्मीनारायण पायालङ्कार लक्ष्मीपल्ल

अर्थात् वनमाला-चिह्रयुक्त होते हैं उन्हें लक्ष मीनारायण | घोघटीका, पोडशयोगव्याख्यान, सम्रायन्न, सारणी, कहते हैं। २ लक्ष्मी और नारायण । (ब्रह्मवैवर्तपु०), हिल्लाजदोपिका टीका आदि ग्रन्थ इन्होंने लिखे। लक्ष्मीनारायण न्यायालङ्कार-व्यवस्थारत्नमाला नामक २ नृपनीतिगर्भित नामक वृत्तकार । ३ शिक्षानीति नामक दीधितिकार ये नवद्वोपके प्रसिद्ध नैयायिक गदाधर तर्क- काध्यके प्रणेता। ४ श्राद्धरत्नके रचयिता । ये इन्द्रपति- वागीश भट्टाचार्गके पुत्र थे। के शिष्य थे। ५ छन्दोनाम विचरणाके प्रणेता रामचन्द्र- लक्ष्मीनारायण यति-न्यायामृतके रचयिता घ्यासतीर्थ | गुरु । विन्दुके गुरु । लक्ष्मीपति ( सं० पु० ) लक्ष म्याः पतिः । १ वासुदेव, लक्ष्मीनारायण ( राजा)-कोचविहारके एक राजा तथा ! विष्णु । २ नरपति, राजा । ३ लवङ्गवृक्ष, लौंगका पेठे। पालगोस्वामी के पुत्र और नरनारायणके पौत्र । धे राजा ! ४ पूग, सुपारी। मानसिंहको १००५ हिमें बड़े सम्मानसे अपने राज्यमें लक्ष्मीपाशा-बंगाल के यगोहर जिलान्तर्गत एक भारी ले आये तथा १६१८ ई० पर्यन्त राजसिंहासनको अलं- वस्ती। यह मधुमतीके तट पर अवस्थित है। यहां कृत करते रहे। राढीय श्रेणीके बडे कुलीन ब्राह्मण बास करते हैं। लक्ष्मीनारायणव्रत--एक प्रकारका व्रत। लक्ष्मीपुत्र ( स० पु० ) लक्ष म्याः पुत्रः। १ कामदेन । २ लक्ष्मीनिधि (सं० पु० ) राजा जनकके पुत्रका नाम I घोटक, घोडा। ३ सीताके पुत्र लय और कुश 18 लक्ष्मीनिवास-शिष्यहितैपिणी नाम्नी मेघदूतकी टीका- धनवान् व्यक्ति, भागीर आदमी । के प्रणेता। ये रत्नप्रभासूरिके शिष्य और श्रीरङ्गके पुत्र लक्ष्मीपुर ( स० क्ली० ) आसामके एक प्राचीन नगरका थे। १४५८ ई०मे इन्होंने उक्त पुस्तक लिखो। नाम | लक्ष्मीनिवास (स० पु०) लक्ष म्याः निवासः । लक्ष मीका लक्ष्मीपुर-मन्द्राज प्रसिडेन्सीके विजागापट्टम जिलान्त. "निवासस्थान । र्गत एक घाट या पहाडी रास्ता । यह समुद्रपीठसे तीन लक्ष्मीनृसिंह (सं० पु०) लक्ष मीयुतो नृसिंहः । एक प्रकारके हजार फुट ऊंचा है और अक्षा० १६६ उ० तथा देशा. शालग्राम जिन पर दो चक्र और एक एक वनमाला धनी ८३ २० पू०के वीच पडता है। इसी रास्तेसे पार्वतीपुर होती है। ऐसे शालग्राम गृहस्थोंके लिये बहुत शुभप्रद से जयपुर जाया जाता है। माने जाने हैं। (ब्रह्मवैवर्तपुराण ) लक्ष्मीपुर-एक प्राचीन देवतीर्थ । ब्रह्माण्डपुराणके लक्ष्मी लक्ष्मीनृसिंह-१ सर्वतोविलास नामक सत्यनिधि | पुर-माहात्म्यमे इस तीर्थाका वर्णन है। विलासके टीकाकार। २ अनङ्गसर्वस्य भानके रच- लक्ष्मीपुष्प (सं० पु०) लक्ष मीयुक्त सौन्दर्यविशिष्ट पुष्प- यिता। ये नृसिंहाचार्य के पुत्र थे। ३ अमलानन्दकृत मिवास्य । १ पद्मरागमणि, लाल । (क्ली०) २ पद्म, घेदान्तकल्पतरुको आभोग नामक टोका और तर्क- कमल । दीपिकाके प्रणेता। इनके पिताका नाम था कोण्डभट्ट । लक्ष्मीपूजा (सं० स्त्री०) लक्ष म्याः पूजा। १ लक्ष मोदेवीकी लक्ष्मीनृसिंहकवच ( स० लो०) एक मन्त्रोपध जो पहना पूजा । २ व्रतविशेष । लक्षमी देखो। जाता है। | लक्ष्मीफल (स० पु०) लक्ष म्याः स्तनजं फल यत्र । विल्व, लक्ष्मीनृसिंहभट्ट-एक प्रसिद्ध पण्डित । ये रमलसारके | वेल । रचयिता श्रीपतिके पिता थे। लक्ष्मीमल्ल (दीवान)-एक सिख सरदार । सिन्धुप्रदेशमें लक्ष्मीपनि-१ एक प्रसिद्ध ज्योतिपो । इन्होंने इष्टदर्पणो जव सिखोंका अधिकार जम गया तव वहांका शासन दाहरण, जातकचिन्तामणि, जैमिनिसूत्र टीका, ध्रुव- करनेके लिये नाना स्थानों में शासनकर्त्ता नियुक्त भ्रमण, नीलकण्ठोटोका, पद्मकोपप्रकाश, पाराशरो-टोका, होने लगे। सावनमल्ल और मूलराज जिस समय मूल मकरन्दसारिणी, मुहर्तसंग्रहटीका, शकुविचार, शीघ्र तान प्रदेशके शासनकर्ता थे उसी समय उत्तर देजातका