पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१५२

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लावन और पर दर अयोध्याके रेगुराश पदातिक रहता। ११वीं जूनको सामरिक पुलिस और देशी घुडमगार था। तात्पम यह कि, उस समय वहा ७२० अगरेज और विद्रोही सेनादल खुरमखुला अगरेजी पर गोला परसाने प्राय ७००० भारताय सेना था। मपिट मासके आरम्भमें लगे। दूसरे दिन देशी पदातिर दल्ने उहे साप दे हो देशी सिपाहियों में विद्वेषभाव दिखाई दिया। इस पर नगरको गथ डाला । २० जूनको कानपुर समय म गरेजॉन पो नातिनाशका उपाय अवलम्बन दिया विद्रोहि दर के हाथ लगा जान कर सिपाही लोग फूले था, उसका बदलान्युकानेके लिये मिपाहियोंने ४८ नभ्यर न समाये । २६ जूनको ७००० हजार विद्रोहियोंने पदातिक दल के साननका घर जला दिया। सर हेनरी फैजायादके पथसे अग्रसर हो रेसिडे सीसे मार गरेसने उपस्थित विपद्को आशा र रेसिडे सीको मोल दूर किाहाट ग्राम पर चढ़ाई कर दो। सुरक्षित करने और रसद जुगनेको व्यवस्था रही।) सर हेनरी लारेस युद्ध के लिये अग्रमर हुए। वितु घे ३०वीं अप्रिलको नम्बर गयोध्याके गुलाशा सेनादल। शवुवे सामने बहुत देर तक ठहर न सके । हार स्वीकार कादिममें गायको ची मिली 1 कर उसे काटनेसे | पर लौट आपे। उही ने शत्रुपक्षका वल अधिक देश पर इनकार चला गया। फिर भी उन्हें भुलाया द पर सेना | मचीभवनशे छोड दिया और रेसिडे सौवी वलपुष्टि पनिकी आमा माननेको पाप किया गया। रीमाको करनेके लिये वहा पुल सेना सट्ठी की। ली जुलाइयो हेनरीने उन लोगोंके अवशरन डोन रेका हुकुम नारी शत्रुदल रेसिडेसीको घेर कर गोला परसाने एगा।२१ किया । तदनुसार सभी देगी सिपाहियोंसे हथियार छीन शवपक्षका एक गोला सर हेनरीफे सोनेकी कोठरी में लिये गये। घुसा जिससे ये बुरी तरह घायल हुए और ४थी जुलाइको १२वी मागे सर हेनगे रेसने एक दरवार पर इमी यात्रणासे परलोक सिधारे । अनन्तर मेजर वायस के अनताको हिदीमापामें समझा दिया, कि अगरेनी | सिभिल विभागके भीर ब्रिगेडिया इनम्लिम सामरिक शासन हिन्दू और मुसलमान लिये बहुत लाभदायक विभागके अध्यक्ष हुए । २०ी जुराइको शत्रओ ने फिरसे ६। मतपय सबोंको अगरेजो शासनका पक्षपाती हो। म गरेनो पर हमला कर दिया । दूसरे दिन मेजर वापस उसोको अनुगामी होना चाहिये। उसके दूसरे दिन | मारे गये। अब कुल यधिकार निगेडिया इगलिश हाय सवेरे मोरटके हत्याकाएडका सवाद द रखनऊ मगर| १० और १८ अगस्तको लगातार दो भागरण करके पहुवा, सब सेमादलम बडी मनसनी फैल गइ। वो भी शवदल अगरेजो को परास्त न कर सका। रेसि महको सर हेनरी लारेसने अयोध्याके सेनादरशा डेसीमें जो अगरेन थे, कहोंसे मदद मिलनेकी भाशा न पत्य लाभ कर रेसिडे सीमें यूरोपीय मर नारीकोरपा| देय हताश हो रहे थे। इसी समय पाउनेम और हाय भीर दुग तथा मच्छिभवनको सुरक्षित कर दिया। ३०वी | लकफे आनेको खर सुम पर घेरोग यहुत उत्साहित माको रातको लखनऊ नगरमें निद्रोहरहि जो इतने हुए । २२वीं सितम्बरको हायल कने मान्मवागमें पाच दिनोंस मुलग रहा थो, पकाएर धधक उठी । ७१ नम्बाके पर यहाके विद्रोहियो को दान दिया।२५ सितम्बर तक सेनादल तथा अन्या । दलके लोगोंन मिल कर अभ्य शत्रुयो के साथ युद्ध करने हुए ये रेसिडे सके दरवाजे पर की कोठीमें भाग लगा दी तथा घरके लोगों को मार पहुचे। उसके पहले हो त्रु ओके हाथ से जेनरल मील माला। दूमरे दिन सरेरे यूरोपीय सेनादलने उन्हें मारे गए थे। गत दग्ने अगरेजो को शक्ति कमजोर देस माक्रमण पर पोडे हटा दिया । किन्तु यर वा पर फिरसे नगर पर धावा बोल दिया। आउट्रम और रोहिदल विद्रोहिदलम मिर कर सीतापुरकी और रवाना हायलपने बडी वीरतास दिन रात युद्ध कर नगरकी रक्षा हुए । १२वीं जून तर रखनऊ नगर मगरेजोंके अधिकार की थी। में रहा सहा पर अयोध्या के दूसरे मरे मेंश विद्रोहियोंक अक्टूबर मास त म गरेज लोग असीम उत्साहसे हाय लगे। । युद्ध कर आत्मरक्षा दरले रद । १०यों नवम्बरशे सर