पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१५८

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

सगाम-लग्नी ममिमा करना। ५नियत स्थान या काय पर पहुं । गालगा (हि. खी०) १ लाग, लगन। २ सम्बध, चाना ! २ गो भैस, वरा आमि दुध देनेवाले पशुमोको। मेल जोल । दहना। २७ पद परला ।२८ अग पर पहनना भोढना गालिका (स. स्त्री० । १५ छन्दका नाम । इसके प्रत्येक या रसना1२६ पिसी चीजका विशेषतः मानेको बाजा चरणमें चार र हाते हैं। पहला और तीसगधर्ण गुरु मम्यस्त करना, परवा सबाना । ३० गाहना, घसाना| और याकी दो लघु होते हैं। ३१ ज एकी पाजी पर रखना, दाव पर रखना । ३२ अपने लगा (हि.पु.) लगे हानेका भाव वास्ता । साथ या पोछे ले चल ना |३३ खरीदोके समय चीजका लगायट (हि • स्त्री०) १ सम्याध, यास्ता। २ प्रेम, प्रीति, मून्य पहना, दाम मारना । ३४ पिसी प्रकार साथम मुहम्वत । सम्बध करना । ३५ पिसा कामें प्रवृत्त या तत्पर लगायना (हि० कि०) लगाना देखा। करना, नियुक्त करना। ३६ सश करना, छुमाना। ३७ लगित (स० वि०) लग कर्मणि न । सङ्गयुक्त। पिसोफे मनमें दूसरे के प्रति दुभाव उत्पप करना, कान सरना। ३८ वदले में ला मुजरा 11 ३६ समाप रगुट (स० पु०) १दएड, डहा, लाठी। २ लोहमय मन मेद, एक विशेष प्रकारका रोहेका मुसा इसकी यादति पहुचाना, पास ले जाना। ४. धारदार चीजकी धार ते करना, सान पर चढाना । ४१ भक्ति करना, और परिमाण आदिका विषय शुक्रनीतिमें इस प्रकार चिह्नित करना। ४२ पाल पर चढाना । ४३ जहाज लिखा है,यह प्राय दो दायका होना चाहिये। इसका को छिछली या किनारको जमीन पर चढाना। निचला भाग पतला और मूह माटी तथा लोहसे वाधी ४४ फैलाना, विछाना । ४५ सभोग करना, मैथुन करना।। रहनी चाहिये । इसका व्यवहार प्राचीनकालमें पैदल ४६ करना। ४७ प नहाजको दूसरे जहाजके सामने या 3 सैनिक भत्रोंके समान करन थे। ३लाल कनेर। घरावर ले जाना । लगुल (हि.पु.) शिश्न, लिग। एगाम (फा० स्त्री०) १ इसके दोनों मोर यधा हुमा लगीही (दि. वि०) जिसे लगन लगाने की कामना हो, रस्मा या चमका तस्मा पोसवार या हारनेवालके | रिझारना। हाथमें रहता है। मवार या हाक्नेगलाइसी रस्से या रगा (हि.पु०) १लया दौस २ हरपायाम जिस तस्मेकी सहायतासे घोडे को 1,रोक्ता इधर उपर के सहारेसे डिन्छले पानो नाव चलाते हैं, लगी । मोडता और अपने वशमें रपता है, पाग, रास लोहे । ३ घास या कोवष्ठ आदि हटानका एक प्रकारका फरसा का यह काटदार ढाँचा जो घोडे के मुहके यदर रखा जिसमें दस्तको जगद पासवा वासरगा रहता है। पाता है और जिसके दोनों ओर रस्मा या चमडे का। ४ पक्षोसे फर आदि तोडनेका यह रवा पास जिसके आगे तस्मा आदि यधा रहता है। एक म कुसा लगी रहती है, लकसो । ५कार्य भारम्भ लगार (दि. स्त्री०) १ नियमित रूपसे कोई काम करने या करना, कामम हाथ लगाना। कोई चीज देनेका क्रिया या भाव, पयो । २ यह जो किसी लग्गी ( हिं० स्रो०) लयायाम! लग्गा दाना। को मोरसे भेद लेनेके लिये भेजा गया हो, वह जो रघह (हि.पु.) १ थान, शवान । २ प प्रारका किसाफेमनकी बात जानने के लिये किसीकी ओरस गया | चौता । यह सामान्य चौतेसे बडा होता है। इसे शिकार हो। ३ वह जिससे घनिष्ठताका व्यवहार हो, मेलो करना सिखाया जाता है। यह प्राय ६ फुट लया होता ४ सगनेकी क्रिया या भार, लगाय । ५लगन प्रीति ।। है। इससे आग्यो पर एक जजीरस पहिश यधी रहती ६ तारा, क्रम, सिलसिला।गस्त में पाचका यह स्थान है। इसीको लाडवाया भी कहते हैं। जहासे जुमारी लोग जूमा खेल्ने स्थान तक पावापे लामा (हि.पु०) लगा देखो। झाते हैं टिकान। लग्घा (हि.स्त्रो०)लगी देखा।