पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१६

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रोती-गोड चनी रोटी रुपी, १५ और रवपित्तना, भारी, कोई विश्वस्त प्रमाण नहीं मिलता। पाश्चात्य जाति निशमी तथा नेवोंको तीफ देनेगालो होता है। तत्वविदोन पूर्वाञ्चलवासी रोडाजातिसे पश्चिम पवार तिलकी रोटीमें भी यही सब गुण हैं। यासी रोडोंने अज्ञारन मजयत देख कर दोनों पृथ जाति बताया है कि तु दोनोंके आधार आदि देखनेस रोटो (हि. ना.) १ गुधे हुए माटेका मात्र पर सेंको ये पर समझ जाते हैं। सामानिक आचारमें जा के हुला या रिदिया। यह नि-पर्क सानेके कामम साथ इनकी कोई विशेष पृथरता रही है। आती है। इसे पुरका भी कहते है। २ भोजन मुरादाबासी आमोन प्रामके राडोका कहना है कि रसोइ। वैलोग मी स्थानीय चौहान रानपूतो एक शाखा है और रोटोफल (हि • पु०) १ - जो सानेमें बहुत अच्छा सम्य-से यहा आकर वस गये है। दूसरे रोड पहले होता है। २इस फरका पेड़ जो मझाल आकारका है कि राहत जिले के झामर तहसीठमा यदली प्राम होता है और दक्षिणम मन्द्राजकी ओर होता है। इसक ही इन गोका आदि यासस्थान है। फिर कोइ काइ पसे बडे पहे होते हैं। राजपूताने अपना आदि स्थान तलाते हैं। राडा (हि.पु.) वाजरेकी एक जाति । इन रोगों, सागपाल माइणा, सोची और रोड (म.नि.) १ तुम, सतुष्ट। याद चूण किया। | जगरान आदि का योग हैं। विधवा विवाह चलता है। टुआ। .. नाहगनपुरक राहीका कहना है कि भारतयुद्धमा रोह-पक्षाव और युवपदेशनासो इपिजीवि जातिविशष।। 4 ममय श्रारणने पागवलसे कैथलप्रामम इनको सृष्टि की पभावके कार और सम्याला मिलेके सीमास्तपत्ती तथा थी। इन लोगोंको विवाहप्रया जाट और गुजरजाति थानेश्वरफ दक्षिगस्य सुविस्तृत धारजङ्गल प्रदशर्म | मी है , विधवाविवाह चरता है । विधया देवरसे इन लगाका वास है। भारतयुद्ध समय पायोने हा विवाह करता है। ये लोग मछली, मास, बकरे और कुरुकुलका समूल निमू ल करनेको आसे नदा से सूमरका मास सात हैं। इसटी की थी यही प्रामरीन ग्राम इन लोगोकी आदि इनमेस कोइ कोइ दल अपनेको तोमर राजपूताश दासमूमि है। इस स्थानसे ये रोग प्रार धोरे पश्चिम का पतलाता है। दिल्लीक तोमर राजय श प्रभाव हास यमुनाबालके किारे निम्न कांठ और मिन्द आदि होने पर वे लोग नाना स्थानोम जा पर बस गये। कोई नाना निलों में जा कर बस गये हैं। कोई कहते है, कि मुगल बादशाह औरङ्गजेबके शासनमें पे लोग मजवून और सुशील होते हैं। नाट गोर उत्पीडित हो ये लोग दूमगे जगह जा कर बस गये हैं। नमें प्रभेद केवल इतना हो है, शियेशात, नम्रप्रति । बिजनौर रोड कहत हैं, लिये लोग श्रीराम के के भऔर पिश निरन है। जाट जातिको तरह पे लेोग पत्र का घर है। गत चार सदी पहले ये लोग युद्धप्रिय घायरम्वापदारी नहीं होते। पाल जिले क फनपुर पुण्डा नामक स्थानसे या माये इनकी उत्पत्ति सम्व घमें पोइ विश्य घोपा पान हैं। इस प्राममें सैयदोंका वास था। आगे चल पर मदा है। अरोरा ( पूर्वपधावप्रदेशम रोटा नामसे सैयद और रोड़ों में विवाद बाहुमा। रोड पर दल गसिद्ध) रागाकी तरह पे लोग भी अपनको क्षत्रिय पति महानादके अधीन अपन जार बस गये। षतगते है। परशुरामा भयमे इन लोगान 'आर' पेलोग विवाह तथा दूसरे दूसरे मियाकलापादि (दूसरा) नाति का का परित्राण पाया था। इस कारण सम्भ्रान्त हिन्दूक जैस करते हैं। विधमा देवरम विवाह तमोमेडनको पा स्वनम्न जातिम गिनता हुआ है। युक्त पर सटी है, किन्तु या विधयाक इच्छाधीन है। यो प्रदेश भरोडा और पञ्चायपे पूर्वाञ्चलवासा रोडासे चरित्रके सम्म में मंदाजनक प्रमाण मिलन पर जातीय थानेश्वरमाम्तयासा सहा सम्पूर्ण पृथक् माति है, इस समासे उसे जातिव्युत करनको शपथा है, किन्तु Polxl, 4