पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१६५

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१७० लन-लग्नकाश्रम अनिष्ट करता है। किसी व्यवसाय द्वारा धन और तस्या नत्वं । २ स्तुतिपाटक, वंदोजन । पर्याय-प्रातय प्रतिपत्ति मिलती है। लग्नाधिपके आठवें स्थानमें रहने- स्तुतिव्रत, सूत । (जटाधर) ३ विवाह, शादी । ४ विवाहके से मानव रुग्न, अल्पायु, शोकार्त, भया और सर्वदा दिन, सहालग। ५विवाहका समय 1 (लि.) ६ लगा विपदापन्न होता है। किन्तु लग्नाधिपति यदि शुभ और हुआ, मिला हुआ। ७ लजित, शरमिंदा । ८ आसक्त । बलवान हों, तो उसे स्त्रीधन वा कोई सम्पत्तिलाम होता | लग्नक (सं० पु०) १ प्रतिभू, वह जो जमानत करे, जामिन । है। लग्नाधिपके नवम स्थानमें रहनेसे जातक भाग्यवान, २ एक राग जो हनुमत्के मतसे मेघरागका पुत्र माना विद्वान्, शास्त्रानुरागी, धार्मिक वा पोतवणिक होता है। जाता है। दशम स्थानमें रहनेसे मान्य, उच्चपद, कार्यसफलता और लग्नकङ्कण (सं० पु०) वह कङ्कण या मङ्गलसूत्र जो विवाह- किसी समाजकी प्रधानता लाभ होती है। गवारहवें के पूर्व वर और कन्याके हाथमें वाधा जाता है। स्थानमें रहनेसे वहुमित, प्रचुर अर्थागम, उत्साह, वृद्धि लग्नकाल (सं० पु० ) लग्नस्य कालः । लनका समय । और उत्तम वाहन लाभ होता है। लग्नाधिपके वारहवें लग्नकुण्डली (सं० स्त्री०) फलित ज्योतिपमें वह चक्र स्थानमें रहनेसे दुर्भावना, वन्धनभय, ऋण, निर्वासन, या कुंडली जिससे यह पता चलता है, कि किसके क्षीणदेह, शोक और गुरुशत्रु होता है। जन्मके समय कौन कौनसे प्रह किस किस राशिमें थे, द्वितीय पनिके लग्नमें रहनेसे मनुष्य धनी और सौभाग्य | जन्मकुण्डली । शाली होता है , तृतियाधिपतिके लग्नमें रहनेसे वहुभ्रमण | लग्नग्रह (सं० पु०) १ दृढसंश्लिष्ट । २ लग्नस्थित प्रह। और वासस्थानका परिवर्तन, परिजन द्वारा वेष्टित, कुल- लग्नदण्ड (सं० पु० ) गाने या वजानेके समय स्वर के मुख्य श्रेष्ठ और पराक्रमशाली , चतुर्थाधिपके रहनेसे वन्धुवाहन संशों या श्रुतियोंको आपसमें रह दूसरेसे अलग न होने और स्थावरसम्पत्तिका लाभ, पञ्चमाधिपतिके रहनेसे देना और सुन्दरतासे उनका सयोग करना, लाग डांर । जातक बुद्धिमान्, विद्यानुरागी, पुत्रवान, विलासप्रिय, लग्नदिन (सं० क्लो०) ल नस्य दिनं । लग्नका दिन, विवाहके प्रफुलचित्त और अपने वंशका भूपणस्वरूप, पठाधिपति | लिये निश्चित दिन । के रहनेसे क्लेशयुक्त, शत्रु द्वारा पीड़ित, अल्पायु और लग्नदिवस (सं० पु० ) लग नदिन । सर्वदो असुम्थ, सप्तमाधिपतिके लग्न रहनेसे थोड़ी उमरमें लग्नदूष्टि (सं० स्त्री०) लग नमें नक्षत्र आदिकी दृष्टि । विवाह, वाणिज्यकुशल और विदेशयाता, अष्टमाधिपतिके लग्नदेवी (सं० स्त्री० ) पुगणवर्णित पत्थरकी गाभी या रहनेसे विषद्, शोक, अल्पायु वा दीर्घस्थायो पीडा, गाय ।। नवमाधिपतिके रहनेसे जातक भाग्यवान, बुद्धिवान, प्रम- लग्नपत्र (सं० पु० ) लग्नस्य पत्र। वह पत्रिका जिसमें परायण, विद्या वा वाणिज्य द्वारा धनी और वहुभ्रमण- विवाह और उससे सम्बन्ध रखनेवाला दूसरे कृत्योंका शील, दशमाधिपतिके रहनेसे मानव क्षमताशाली, गण्य- लग न स्थिर करके ध्योरेवार लिखा जाता है। मान्य और कीर्तिशाली, एकादशाधिपतिके रहनेसे प्रचुर लग्नपत्रिका (सं० स्त्री० ) लग्नपत्र देखो। आय, बहुमिन और पद पदमें उत्साह तथा द्वादशाधि लग्नफल (सं० पु० ) लग नविशेषमें जन्मके लिये जीवका पतिके लग्नमें रहनेसे जातक अपथ्ययी, हमेशा विपदापन्न शुभाशुभ फलभोग। और अल्पायु होता है। लग्नवेला (सं० स्त्री०) लग नस्य वेला। लगनकाल, ___ लगन और लगनपति शुभ ग्रह द्वारा वेष्टित होनेसे लग नका समय। सातक सौभाग्यशाली और यशस्वी होता है। इसी लग्नायु (स० स्त्रो०) फलितज्योतिषमें वह आयु जो प्रणालीसे लगनका फल विचार करना होता है। लगनके अनुसार स्थिर की जाती है। (दीपिका, नातकको• इत्यादि) लग्नका (सं० स्त्री०) लगि नका, नंगी स्त्रो। (पु०) लग्नत निपातनात् साधुः, यद्वा लस ज-क | लग्नकाश्रम (स० पु०) एक मठका नाम । (वृहन्नीम• २०)