पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१८०

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सजावद-लटकन १८५ क्षतके ऊपर इसका रम देनेसे बहुत उपचार होता है। लजितमार-प्रहोंके छ मावों से पर भार। फलित पथावप्रदेशम भी पूत रूपसे रवायतीचे मूल और ज्योतिपके अनुमार कोइ मइ यनि रोनस पञ्चम गृहमें पश व्यवहार होता है। आ कुमकारापन मनु य राहुरे साथ मिला रहे अथवा रविया पनि विद्या मल- निर्दिए ऋतु में पत्त को तोडत और जहको उखाड़ते हैं। के साथ मिल कर रानादि द्वादश स्थानके वार क्सिी पस ममय शुभ मुहत्तम ये पर उत्सव मनाते हैं। उस स्थाना रहे, तो वह ग्रह लजित कहलाता है। मनुष्यके मामके प्रथम मप्ताहमें जो मूल उघाडा पाता है, यह पुन (पञ्चम) स्थानमें लजित ग्रह रहनेसे उसके सर पित्तज पीडा और रादिमें बहुत उपकारी है। द्विताय सतान मर जाते हैं, मिफ एक नावित रहता है। सप्ताहम उवाडा हुआ पत्र मूलादि कामला, अशं आदि जरो (सस्त्री०) लजाउग, रजालू । रोगी काम थाता है। तृतीय सप्ताहके मूगदि इष्ट, रिज्या (स. खालसा, शम । वसात और Scah रोग अति फलदायक है । कोहण लशा (सो०) १ उपहार, उपतीकमा उत्कोर, घूस । निलेमें इसकी पत्तियों को पीस कर कोरएड (पोत) पर लच्छन (सको०) शस्यभेद। लगात हैं। इसके रम, उतना ही घोडे । मूत्र मिला लज (सपु०) रखयति गोमते इति लक्ष अच् । १ पद पर जो अबन बनाया जाता है यह नर पक्ष्मक त्वम् पाय! पच्छ काछ । ३ पुच्छ पूछ। ४ अनिद्रा। गेगा (Corne1 ) बहुत लाभदायक है। चमदे पर ५ लाम्पत्य, ल पटना । ६ स्रोत, सोता। (स्त्री०) लगानेसे पहले जलन देती, पाछे रार हो कर यह स्थान लक्ष्मी । सूज आता है। कुछ समय बाद कुल घेदा जाती लक्षिका (म. स्त्री०)रयति प्रोभते इति र वुल, रहता है। राप्त सागणिका, वेश्या रखी। ___ रासायनिक पराक्षा द्वारा नागा गया है कि लबालु ल्ग (दि० पु०) प प्रकारका वास जो परमामें होता है। स्ताकी पतली पतलो पहमें सैक्डे पोछे १० भागस्ट (स० पु०) ल्रति यथेच्छाया वदति स्ट्म च। tannia रहता है। हाराफ्सास (Salt of iron ) के प्रमादयचन, येतवर हो कर पहना १२ दोष । ३ पागल। साथ मिनिसे अच्छी कारण बनती है। ४ निवोध । ५ चौर, चोर। २रजालुभेद । दुग्धका शब्द दसा। (वि.) लबाट (हिं. स्त्री०) १ सिरके वालोंका समूह नो नो ता सस्त्यय मालु। ३ एजागीर नीश। हरके, वरोका गिरा हुआ गुच्छा ।२ एफम 3 में हुए रजायत् (स०नि०) रजा विद्यतेऽस्य मतुए मस्यय । घालोका गुच्छा परस्पर चिमटे हुए बाल प्रसार लबायुन, मीला। सूतके से महान की जो मनुष्यका सातों पर जाने रारती (म०नि० खा० ) रनार, गमींग। है और मरक साथ निस्लत हैं । इस नूना भ कहते रजात (सं०सि० ) १ बजावत् देखो। २ल्लाका हैं।४ एक प्रकारका घेत । यह मासामी और बहन पीधा लावता। होता है। परपरारी, अग्निानखा। रसायान (स.नि.)रजीत, शमदार। Dr (R० पु०) पटनोनि स्ट् ( क नशिल्पिसनयोरपूम्यापि । रखामाल (स.नि.) रजा एरोल पम्य । लजा। उण, २६३२) इति कुन् । दुनन नार, दुष्ट। युत, नो बात बातमें शरमाता हो। सरक (दि० स्त्री०) १ररकनेकी मिया या भाव, नीचेकी राशय ( स० वि०) निकाज, जिस रबा न हो,। गोर गिरता सा रहना मार। २ भुसाव। भगांकी दाया। मनोहर गति पाचेष्टा, उभारनी चाल। ४ बाट जमीर, जाहान (मनिराशय, येहाया। हार। रजिका (मो०) जालमा पाया। लटकन (दि० पु. १ रखनेकी प्रिया या भार, नीचे लखित (स.नि०) जाके यामून गर्भ में पहा दुआ के मोर गिरता सो रहोसमाव । २ मनोहर लगभगो' Tol x 2