लताकर-लनाक
क्या और इलायुधकी स्त्रीका नाम । २० एक प्रकारका लतानन (म० पु०) नाचनेमे हाथ हिलानेका एक 'ग।
छन्द । इसके चार चरण होते हैं। प्रत्येक चरणम | लतान्त (म क्ली०) १ पुष्प, फूल । २ लताकी फुनगी।
१८ अमर होते हैं। पहला, दूसरा, तीसरा, चौथा, लनापना (हिं० पु०) १लता और पत्ते, पेडों और पौधों
पांचवां, ठा, आठवां, ग्यारहवां, चौदहवां और सत्तरहर्वा का समूह । २पाधोंकी हरियाली 13 जडी बूटी।
गुरु और वाकी लघु होता है।
लतापनस (म० पु०) लतायां पनमनिव फलमस्य ।
लताफर (स० पु०) नाचने होध हिलानेका एक फल-लताविशेष, तरबूजा। पर्याय-चेलाल, चित्रफल,
प्रकार।
| सुखाश, राजनेमिप, नाटान, लेदु ।
लताकरज ( स० पु०) लताल्पं करजः। १ प्रकारका लतापर्ण (सं० पु०) विष्णु।
करा, कटकरेज। संस्कृत पर्याय-दुप्पर्श, वीरास्त्र, लतापणी (म० स्त्री०) १ तालमूला मधुरिका, मोफ।
वज्रवीजक, धनदाक्षी, कण्टकल, कुवेराक्षी । इसके पत्तेका लनापाग (स० पु०) लताका झापस या समूह, लता-
गुण कटु, उष्ण, कफ और वातनाशक नया वीजका | जाल।
गुण दीपन, पथ्य, माल, गुल्म और विपनाशक माना गया लतापृका (स० स्त्री०) लनाप्रताना पृका । समुद्रान्ता।
है। (राजनि।
लताप्रनानिनी ( स० स्त्री०) लनामतानोऽम्त्यस्येति नि ।
लताकस्तूरिका (सं० वी०) लतारूप कस्तूरो, तहत् शाखाप्रचयवतो लता। पर्याय-वीरुध, गुलिमनी, उलए,
गन्धत्वान्, ततः स्वार्थे क्न् । दक्षिणमें होनेवाला एक ; योरुधा, परध, प्रताना, कफ ।
पौधा। वैद्यकमें इमे तिक्त, स्वादु, वृष्य, शीतल, लघु, लताफल (सं० लो०) लतोयां फलमम्य । पटोल, परवल ।
नेत्रोंको हितकारी तथा श्लेषमा, नृणा और मुनरोगको । लताइतिका ( स० खो०) वृदनो लना।
दूर करनेवाली माना है।
लताभद्रा (सं० स्त्री०) लतया भद्रा यस्याः। भवालोवृक्ष ।
लताकुञ्ज ( स० पु० ) लनाओंसे छाया हुआ स्थान। लताभवन (स० क्लो) लतानिर्मित भवनं । लतागृह,
लागण (स० पु०) वैद्यक सून या डोरोके रूपमें फैलने लताओंका कुज।
पाले पौधोंका वर्ग।
लतामणि ( स० पु०) लतासदृशो मणिः । प्रवाल, मूगा।
लतागृह ( सं पु० क्लो०) लतानिर्मित गृई। लताओंसे लतामण्डप ( स० पु०) लतागृह, छाई हुई लतायोंसे
मंउपकी तरह छाया हुआ स्थान ।
वना हुया मडप या घर।
लताड़ी (स स्त्री०) कर्करङ्गी, काकडासींगी। | लतामण्डल (म. पु०) छाई हुई लताओंका घेरा या
लताजिए (स० पु०) लनेर जिहा यस्य । सर्प, सांप। कुज ।
लताड (हिं० स्त्री०) लथाड़ देखा।
लतामरुन् ( स० स्त्री० ) लतायां मरुत् यस्याः । पृक्का।
लताडना (हिं० क्रि०) १पैरोंसे कुचलना, रौंदना । २ लातों- लतामाधवी (सं० स्त्री० ) लताप्रधाना माधवी | माधवी.
से मारना। ३ लेटे हुए आदमीके शरीर पर खडे होलना ।
कर धीरे धीरे इधर उधर चलना जिससे उसके वदनको लतामृग (संपु०) शाखामृग, वानर ।
थकावट दूर होती है। ४ हैरान करना, थकाना। लनाम्बुज (स० क्ली०) खोरा।
लतातरु ( स० पु० ) लनेव दीर्घ स्तरुः । १ नारङ्गवृक्ष, लतायष्टि (स. स्त्री० ) लता यष्टिरिव । मञ्जिष्ठा, मजीठ ।
नारनीका पेड। २ तालवृन. ताड़का पेड़। ३ शाल या लतायावक (सं० पु० ) लतायां याव इच यस्य । प्रवाल,
साखूका पेड। ४ पुष्पलतिकाभेद ।
मूगा ।
लताताल (सं० पु०) हिन्तालवृक्ष ।
| लतारसन (सं० पु०) लदेव रसना यस्त्र । सर्प, सांप।
लता म (सं० पु०) लतेय द्रमः दीर्घत्वात् । लताशाल। लतार्क (स पु०) लता अर्क इवतोबा यस्य । पलाण्ड-
स्कृत पर्याय-तार्श , अश्वकर्ण, कुशिक, वन्य, दीर्घ। वृक्ष, प्याजका पौधा ।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१८५
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
