पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१८७

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लयेड़ना-ल दख यहां प्राचीनताके निदर्शनस्वरूप २६ फुट ऊंचा एक | हैं। हिमालका वफंसे ढकाग तथा जनधान्य कुएनल. स्तम्म है। इस स्तम्सको मथनी शिल्पनैपुण्यसे पूर्ण है। नकी अधित्यका भूमि और लिमिथंगका पहाडी प्रान्तको चोटीमें जो दो स्त्रीको मूर्तियां है वह हट कर अभी ले कर यह विमाग गठिन हुआ है। डा. कनिमके स्तम्भके नीचे पडी हैं। मतमे जानस्कर को मिला कर इसका भू-पग्मिाण तीस लथेडना (हिं० कि० ) १ कीचड़ आदिसे लपेटना, कीचड़ हजार वर्गमील है। आदि पोत कर भारी करना। २ जमीन पर पटक कर हिमालय-पर्वतके मध्यांगवती विम्न्न शैलपृष्टमें इधर उधर लोटाना या घसीटना। ३ मिट्टी, कीचड़ स्थापित रहने से यहाफी जनताका निर्णय करना कटिन है। आदि लिपटा कर गंदा करना। ४ दातो या गालियोंकी। उक्त महात्माकी गणनाके अनुसार यहाकी जनसंख्या घोछाडसे व्याकुल करना, मिडकियां सुनाना। ५ कुश्ती १६८:०० है लेकिन मुर फटने १६५००० और डा० चेलिर या लडाईमें पछाडना, हराना। ६श्रमसे शिथिल करना,! ने २००००० जनसंरया ठीकको है। लदानके वर्तमान थकाना। इतिहास-न्लेग्नक एफड के मतसे मर्दुमशुमारी २०६०१ है। लदन (हिं स्त्री०) लदाय । ___ लदारसके समान सौर कहीं भी ऐसे ऊंचे स्थान पर लटना (हि. क्रि०) १ भाराक्रांत होना, वोकसे भरना । लोगोंका वास नहीं है। यहां की अधित्यका और उपत्यका २किसी वस्तुका किसी वस्तु के समूहसे ऊपर ऊपर भर मात्र ही समुद्रको तहसे १०००.१७००० फुट ऊँची है। जाना, पूर्ण होना। किसी भारी या बज़नी चोजका उनमे बहुत से पर्वतग मी २५ हजारमै कम नहीं है। दूसरी चीजके ऊपर होना या रखा जाना, किसी वस्तुके । यहा सिन्धु और उमको सहायक निओना, चानचेंगमो ऊपर वोझके रूप में पड़ना या रम्ना जाना। ४ सामान और जानस्कर शाखा बहती हैं। यहांके गड्ढे पारे पानीसे ढोनेवाली सवारीका वस्तुओंसे पूर्ण होना, बोझसे भर भरे हैं जिनमेंसे पोंगोंग और छोभारिरि प्रधान है। जाना या भरा जाना। ५ सामान ढोनेवाली सवारी, इस जनपटमा प्राकृतिक परिवर्तन योर असाधारण पर वस्तुओंका रखा जाना, बोझका डाला या रखा। तुपारशीतल हिमालयकी चोटो पर अवस्थित रहनेक जाना। ६ परलोक सिधारना, मर जाना । ७ जेलनाने ! कारण यहां गरमो बहुत बेनी पड़ती है। दिनमे यहां जाना, कैद होना। भोपण गरमी और रातमें इतनी ठढ पडतो है, किलेजा लदनी (सस्त्री०) एक विदुपी स्त्री-कवि। कापने लगता है। गीतको अधिक्ता तथा वायुकी लटलद ( हि क्रि० वि०) किसी गोली और गाडी ग, रूक्षतासे यहां विशेष काई फसल नहीं उपजती। यहां जमो हुई वस्तुके गिरनेके शब्दका अनुकरण। लिखने योग्य कोई वन्तु नहीं होती। सिर्फ कई तरहके लदवाना (हिं० कि० ) लादनेका काम दूसरेसे कराना।। फल के पेड़ देखे जाते हैं। यहांके जंगली जंतुओं में जंगली लदाख-काश्मीर-महागजके अधिकृत हिमालयको सीमा गढहा, भेडा, वकरा, ग्वरगोश और Marinot तथा पक्षि- न्तवत्तों एक विभाग। यह काशमारसे पूर्वमें स्थित है। योंमें ईगल, मुर्गा आदि प्रधान है। लदाखके रहनेवाले और एक स्वतन्त्र शासनकर्ता द्वारा परिचालित होता) पालतू भेडे के लोमसे माल तैयार करते है। यह लोम है। हिमालयशैलके वर्फ से ढके शैलटंगमें अवस्थित खास कर काश्मीर, नेपाल और भारतमें भेजा जाता है। रहनेके कारण इसकी सीमा निर्देश करना कठिन है। यह १८५३ ई०में डा० कनिंदम लदाखसे काश्मीरमें २४०० हो कर सिन्धु नद और उसकी शाखा-प्रशास्त्रा बहती है मग पशमकी रफ्तनीका विषय उल्लेख कर गये हैं। इसलिये इसे सिन्धुनदकी उपत्यका भूमि फहना अत्युक्ति यहांका बकरा साधारणका बडा उपयोगी है। पहाडी नहीं है। यह अक्षा० ३२ से ३५ उ० तथा देशा० ७५ वड़ी वरीका वे दूध पीते और वकरके पीठ पर पण्यद्रव्य २६ से ७६.२६ पू०के वोत्र पड़ता है। लादते हैं। रूपसु और निमोना नामक मध्यमागके दो जिले यहां जो सब द्रव्य उपजते है, उनमेंले पशम, सोहागा,