ललनदाम ललामक
प्रिय नाक या पनि । ६माल, सारजूका पेह । ७ नियाल, , सामुद्रिकमे भी इसका विशेष विवरण दिया गया
चिरीजीपेड।
जो सामुद्रिकशास्त्रमें अभिन्न हैं, वे ललाट देख कर
लालनद्राम-दुलमऊ के रहनेवाले एफ वालण। इनका मनुष्यको थायु और शुभाशुभका हाल कह सकते हैं।
में आया । ये बडे महात्मा हो गये २भाग्यका लेख, किस्मतका लिखा।
हैं। इनकी शान्तरसकी कविता उत्तम है।
ललोटक (सं० क्लो०) ललाटमेव ललाट कन् । १ प्रशस्त
ललना (सं० वी०) ललयति ईप्सति कामान लल ल्युट्
ललाट २ ललाटमात्र, मस्तक।
टाप। १ कामिनी, स्त्री। २ जिहा, जीभ । ३ एक
ललाटन्तप ( स० त्रि०) ललाटं तपतीति ललाटन्नप
वर्णत्त जिसके प्रत्येक चरणमें मगण. मगण गौर दो
(नमस्तानाटयो शितपोः।। पा ३।२।३६ ) इति स्वस् मुम् ।
सगणोने है।
१ ललाटनापक, ललाट-तापकारी । (पु०) २ सूर्य ।
ललनाप्रिय (मं० लो०) ललनाना प्रियं । १ होवेर । (पु०)
ललाट-पटल (स० क्ली०) मस्तकका तल, माथेकी
कदम्ब। ३ कामिनीवल्लम, खियोंका प्रिय ।
सतह।
लनिका (सं० स्त्रो०) ललना, स्त्री।
ललाटपुर (स० की०)एक नगरका नाम । (पा ५४७४)
ललतिका । सं० स्त्री० ) ललन्त्येव स्वार्थ क्न् । १ नामि-
ललाटफलक (सं० क्लो०) कपाल, ललाट-पटल ।
__ लग्यफपिटदादि, नामि तक लटकती हुई माला या हार ।
ललाटरेखा (स स्त्री०) कपालका लेख, भाग्यलेख ।
२ गोधा, गोह।
लला (दि० पु.) । प्यारा या दुलारा लडका।
कहते हैं, कि विधाता जातकको पष्ठी जागर वासर अर्थात्
। छठो रातम उसके ललाटमे चिह कर देते है।
२लटका, समार। लड़के या कुमारके लिये वारका
शब्द । ४ नायक या पति के लिये प्यारका शब्द, प्रिय
ललाटाक्ष ( स० पु० ) ललाटे अक्षिणी यस्य । शिव ।
नायक या पति।
ललाटानी (सं० स्त्री०.) दुर्गा।
ललाई दियो०) लालिमा, सुनी।
ललाटिका ( स० स्त्री० ) ललाटे भवोऽलङ्कारः (कर्ण-
ललाक (सं० ० ) शिश्न, लिन्द्रिय ।
ललाटात कननड कारे । पा ४३६५ ) पति कन् । १ माथे पर
स.टाट (Bio) ललं मां अनि झापयति राट-अण।। वांधनका एक गहना, टीका । २ माथे परका टोका,
१ सयाचिनेर, माधा। संस्थान पर्याय-अलिक, गोयि, तिलक।
मदान, माल, पालक, अलीर, लाटक । गरुडपुगणमे ललाटल ( स० त्रि०) उन्च कपालयुक्त, जिसका ललाट
लिगनिजिमका ललाट उन्नत, विपुल और विषम चा हो।
होता या निधन नया जिसका अचन्द्राकृति-सा शेता ललाटेन्दुकैगरी-३डिण्याके केशरीवंशीय एक राजा।
या पनवान होना है। इसी प्रकार शुक्तिविशाल होनेसे
उडिष्या देखो।
धार्मिक और निगल होनसे पापी, म्वस्तिकादि रेखा पार ललाट्य ( स० त्रि०) ललाट सम्बन्धीय, ललाटका ।
उन्ननियन धनवान, संवृत होनेसे कृपण, उन्नत ललाम (म क्ली०) लड क्लिासे किप, तम् ममति
होनेने नृप तथा निम्न होनेसे पापी होता है । ललाट पर प्राप्नोतीनि अम गती अन् इस्य लत्वं । १ चिह, निशान ।
तीन रेना रहने मी वर्षसी परमायु, चार रेशा रहनेसे २ध्वज, दंड और पताका । ३ शृङ्ग, मींग । ४ भूषण,
१५ वर्षकी परमायु और राजा, रेवा नही रदनेमे १० अलंकार । ५ घोड़े या मिहको गर्दन परका वाल, अयाल ।
गर्मी परमायु, रेवा छिन्न मिन दान पुश्चल, फेशान तुरङ्ग, घोड़ा। ७ प्रभाव। ८ घोड़े या गायके माथे पर-
क मे ८० वर्गकी, या अनेक रेशा रहनेमे का चिट अर्णन् मरे रंगका चिढ़ । । घोड़े का गहना।
६ मा जनगामी रेा हानि ३० वर्गकी, घाई मोर १० रत। (त्रि०) ११ प्रधान, श्रेष्ठ । १२ रमणीय, सुन्दर।
२वी परमायु और रेखा छोटी होने १३ लाल रंगका, मुब।
में युन्नी ( ०)
लिलामक (सं०सी०) माथेमें लपेटनेकी माला।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/१९७
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