पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२४३

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२४८ लान्दीखाना-लाभस्थान लान्दीवाना-मकगानिस्तानके अन्तर्गत "वरबादी" लाप्य ( स० त्रि०) लप्यते इति लप-प्यन्। कथनीय, नामक प्रसिद्ध पहाड़ी गम्नका एक अन । ऐमा ऋठिन कहने योग्य। और दुर्गम स्थान और कही भी नहीं है । पूर्वमुग्वमें कदम लाफा-मध्यप्रदेशके बिलासपुर जिलान्तर्गत एक जमीदारी नामक स्थानसे यह स्थान २० मील और पश्चिममुग्वले ७ सम्पत्ति। भृ परिमाण २०२२ वर्गमील है।३६ ई०से मोल पडता है। गिरिमंकटके इसी स्थान पर लान्दीग्वाना, यहां जमीदारवश इस सम्पत्तिका भोग करने आ रहे नामक एक गांव है। यह अक्षा० ३४३ उ० तथा देशा है। स्थानीय जमीदार कुनवार वंशीय है। ७. पृ०के वीच पडना है और समुद्रकी नहम्ने २४८८ लाफागढ़-मध्यप्रदेशक विलासपुर जिलेशा एक गिरि- फुट ऊंचा है। हम गिरिप यकी म्यसे ऊंनी सुरंग । दुर्ग। यह अक्षा० २६४१ उ० तथा देशा०६९६ पू० के लान्दीकोटाल ३३७८ फुट ऊँची है। यहां एक दुर्ग है। बीच विलासपुर नगरसे २५ मील उत्तर लाफाशैल पर वैवर गिरिपथ हो कर जाते समय अगरेजी मंना इमी ' स्थापित है। समुद्री तहस यह स्थान ३२०० फुट दर्गमें ठहरतो है। दुर्गकी नाईकी बग ट में एक सराय ऊंचा है। दुर्गके चारों ओर अधित्यकाभूमि तान है। यात्री तथा वणिक लोग जाने आने समय इसी वर्गमील है जो अमी छाटे से जंगल में परिणत हो स्थान पर भोजन आदि करते है। लान्दीकोटालके अंगहेजगजके एक कर्मचारी (Poli- : इम सुशीतल अधित्यकाभृमिमें एक समय छत्तीस. tical officer ) के अधीन यह संकट रक्षित है। पहाडी ___ गढ़कं हैहयवशाय राजे रहते थे । पीछे वे रत्नपुर में सेना (Irregular lettec ) इसकी रखवाली करती है। .

राजधानी उठा ले गये । आज भी दुर्ग और चहारदीवारी

लान्दीकोटालके पास ही पिमगाह नामक एतिटग है।' ' आदि अमान अवस्था में पड़ी है। विगत अफगान युद्धके समय इस जिग्नर पर आरोहण पर स्थानीय अंगरेज-कर्मचारोने जलालाबाद तक अफगा; लाम (स० पु. ) लभ-करणे अन् । १ प्रानि, मिलना। निस्तानके समतल क्षेत्रका पर्यवेक्षण दिया था। '२ फायदा, मुनाफा । ३ उपकार, भलाई। लान्दीकोटाल पार र गिरिप यकी चौडाईकल लाभक (स० पु० ) लाम स्वार्थे फन् । लाभ, फायदा । संकीर्ण हो गई है। उसी कन्दर में लान्दीखाना प्राम।' लाभकारक ( स० वि०) जिसमें लाभ होता हो, फल- यहास कुछ दर जाने पर अफगानिस्तानका समतलनेत्र दायक, फायदमदा पडता है। ताभकारी (सत्रि०) फायदा-करनेवाला, फायदेमंद) लान्द्र-पाणिनीय यावादिगणोक्त एक शब्द । लाभक्षायिक ( सं० पु० ) जैनोंके अनुसार वह अनन्त (पा लाभ जो समस्त कर्मों का क्षय या नाश हो जाने पर लाप (सं०पू०) लप-घर । कथन, वात । आत्माकी सुद्धताकै कारण प्राप्त होता है। लापता (हि. वि.) १ जिसका पता न लगे, खोया हुआ। लाभदायक (सं० त्रि०जिससे लाभ हो, गुणकारी। २ गुप्त, गायव । लाममद (सं० पु० ) वह मद जिससे मनुष्य अपने आपको लापरवा (फा० वि०) १ जिसे किसी बातकी परवा न हो, लामवाला और दूसरेको हीनपुण्य समझे। वे-फिक्र । २ जो सावधानीसे न रहता हो, अमावधान । लामलिप्सा (स स्त्री०) पानेको इच्छा। लापरवाह ( फा०वि०) लारवा देखो। लाभलिप्सु (सं० त्रि०) पानेकी इच्छा करनेवाला । लापरवाही (फा० स्त्री०) : लापरवा होनेका भाव । लाभवत् (स० वि० ) लामः विद्यतेऽस्य मतुप मस्य वः। बेफिक्री। २ असावधान', प्रमाद । लाभयुक्त, फायदेमंद। लापिन् (स० वि०) लप-णिनि । क्यनशील. कहनेवाला। लामस्थान (सं० क्ली० ) लाभस्य स्थानं । जातवालकके लापु (सं०९०) रुद्रवती, रुदंती। । तन्वादि बारह भावोंमेले लग्नले ग्यारहवां स्थान इस