पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२४८

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लोमा २५३ निकाल दिया नाता है और उसके शिक्षा दण्डनीय होते , शिखा रहता है। उसके बाद उसको सघरे प्रगन प्रकोष्ठ है। उपाध्याय उसे ये तसे पटते हैं और मठमें दिया | में उपाध्यायके मामने ला कर सन्यामोका वेश धारण जलानेके रिये बह कर मेर मकवन देना होता है। कराया जाता है। एक मात्र पढ़ने के बाद श्रेष्ठ लामा ____ उपाध्यायरे सहमत होने पर शिक्षक पुन: इस अथवा मठाध्यक्ष लामा उसका सन्यास आश्रमका एक धारकको मठके नालो ' या श्रेष्ठ गमाके पामरे नाते स्वतन नाम रखते हैं। बादमें इस बाल मने सन्यास हैं और उ हे भो एक उपरना और एक रुपया प्रणामी दे धर्म अपना कामे और सहर्ष प्रण दिया है पेसा पर अपना वक्तव्य जताने हैं। श्रेष्ठ त्रामा उसे मठमें जताने पर मठाधिकारी या दोक्ष कार्यके समय उपस्थित रहने अधिकार और स्थान दे र पुन एक बहोमें | लामा उस शियाको काट देते हैं। उस समय उसे उसका नाम लिख लेते हैं। यह बालक यदि मयिष्य गेल्धुल ३६ धमापदेशों और ३६ नियाका पालन करना कोई अपगध करता है, तो उस और उसके गुरुको दण्ड पडता । घद प्रधान लामाको परदेही युद्ध समझता। दिया जाता है। पाछे लामाके कहे 'हुए 'मैंने युद्ध, धर्म और सपका जाल्टोलामा द्वारा नाम लिखे जाने वाद यह माश्रम पहण किया" इस महामत्रको बडोकार तथा पालक डापा पदाभिषिक्त हो कर मठो लौट आता है। तोन धार उच्चारण करनेके बाद सस्कारकाय समाप्त अवस्थानुसार यह उसी मठके अपरापर सहपाठियोंको होता है। सरकार समाप्त होनेके याद यह लामाको चाय पिलाता है। अगर या उसके कोई भात्मीय नहीं! पर पड़ा और १०) रुपया प्रणामो देता है। तमीसे रहत हैं तथा खाद्यादि रोंधनेको असुविधा होती है, तो यह गेत्पुर लामाके रखे हुए नाल और उपाधिसे मठमें यह मठ मोटारसे भोजन पाता है। उसके आत्मीय । परिचित होता है। धानेके लिये जो कुछ भेज देते हैं, उसका सोन भाग तदनन्तर यह सपके दालानमें लाया जाता और 'मटके कर पर भाग मठ भाडारमें लिया जाता तथा चाकोमे | साथ एमफे वियाहरूप' पर प्रक्रियाका अनुष्ठान होता पेस्तोद गग पम् ठायम् गान, कला-गम, याय-सेर है। उस समय उसके सिर पर एक रोपर और हाथर्म समोन्लुगस आदि यतिका उपयोगी वस्त्र पीनका परतन, , प्रज्वन्ति धूप रहना है। उसके बाद यह निर्दिष्ट आसन मैदका चैला और एक छड माला पाते हैं। तदम तर पर विठाया जाता है। जो बौद्वपति इस ममय उसे प्रमज्यापन यलम्बन कर यह नत्र त यासोके समान यतिधर्मका राति नाति आदि शिक्षादेत हैं. ये च-गाना माचार अनुष्ठान नहीं कर साता नब तक यह गेत्पुट कहलाते है । वज्राचार्य-सम्प्रदायभुक्त तान्त्रिक पौधा भ्रमण पद नहीं पाता और न मठ धर्मकार्य में साथ चाया को यह दोशाप्रथा बहुत कुछ नेपाली "वाढा" ओंसे एनका अधिकार ही पाता। मिलती जुलती है। नपाल दखो। दापा पदामिपिक्त याला मनिष्ठा, पारदी हो| ___यतिरूपमें दाक्षित तथा तत्तापदायिक सब को में कर धर्मधार्य में लिप्त होने आनासे मठाधिकारी श्रेष्ठ भधिकार होने पर मा यह डापा या छात्र कहलाता है। रामा (दुगे लदेन ख-ऋन्-पोछे )के सामने अपना अमि | इस समय भी उसे करीब तीन वर्ष तक विधाभ्यास प्राय प्रफर करता है। इस समय उसे एक उपरमा और करना होता है। पोडे यहो वाला यतिधगका मंग 'पाति रुपया (पहरेस अधिक ) प्रणामीमें दा होता | छ'योन शिक्षाशाल अतिकम करता है। उसके बाद है। धेष्ठ लामाके ममिनन्दनके अनुसार यह गेरपुल अठाहदा रहाक ठिये उस एक फोठरी मिलता है। इस पद पाता है। बालकको गेटपुल पदामिपित करनका प्रकार शिक्षाको पारदर्शिताफ अनुमार यह पर-पा और एक दिन मिशियम होता है। माधारणत 'उपोसय गेलोट (पूर्ण पति) हो जाता है। तिनतीय प्रधान पा उपपाम दिन दो उचम ना गया है। इस दिन प्रधान सघारामोंके अध्यक्ष यति रोग हो पेयल लामा इसरि मुड्या दिया जाता है। सिफ बाचा एक उपाधि पा सरते है। Vol, xx, 64