पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२५१

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लामा ३ञर-प या सिय-नर-माएडारी। टास वहादुरने सुप्रसिद्ध तपिल्हुनपो संघाराममें परि- ४गे को तथा झाल नो-हाकिम और सेनाध्यक्ष भ्रमण कर उसका ठीक ठीक विवरण संग्रह किया था। यह दो व्यक्ति होते है और पुलिस-कर्मचारीकी तरह, उनके सम्पादित Jour Brd Text Socs. India iv, इधर उधर पहरा देत तथा मठवासियों के दोष गुणका p. 14 (1893) तथा Journey to Lhasa and विचार करते है । इनके सहकारी दो हर भेर है। Central Tibet नामक अन्य विगदरूपसे यह विवरण ५ उम्-दुस-प्रधान गायक।। लिया है। शेयोत प्रन्यके ७६ पन्नेमें लिया है,-तु- ६ कु-नेर-धर्मालयका परिचारक। ग्लम प्रदेशवासी तपिल हनपोके एक देवरुपालन्ध नवीन ७छ'श्रीव टेन्-जल देनेवाला । लामाने १८८१ ई०की १५वीं दिसम्बरको उपवास और ८ जम-चाय बनानेवाला। इसके अलावा प्रत्येक | त्योहारका दिन समझ कर बौद्धयतिओके तु वमत्सन् मठमें ही सम्पादक और परिदर्शक, पाचक, पुररक्षी, पदलामका इरादा किया। अनः उन्होंने फुन खेव लिङ्गसे अतिथि सत्कारक, हिसाव-रक्षक, फर-संग्राहक, चिकि पञ्चनको निमन्त्रण करने भेजा। उन्होंने उन सवाराम- त्सक, चित्रकार, वाणिक यति, भूतके ओझा और मागल्य के मध्यस्थ ३८०० यतिम्रोको एक एक रुपया करके, दण्डवाही आदि नियुक्त हैं। श्रेष्ट लामाको उपहार और प्रणामी तथा लामा विद्यालय. संघागमोंको कार्यावली निया पूर्णक परिचालित में ( College of Incarnate Lamas) बहुन धन दिया करनेके लिये अलग अलग विभाग निदिष्ट है। दे.पुन धा। पञ्चेनके पधारने पर समो बाजे गाजेके साथ उन्हें संघाराममें ७७०० यति वास करते है। वे चलोग माल सम्मानपूर्वक मठके प्रधान प्रकोष्ठम ले गये थे। वे इस ग्लिङ्-सगो मड्, हे यडस और सटगस प उपासनागृह ( त्सो वह )में आ कर बेदीके ऊपर बैठे नामक चार विश्वविद्यालयके अधीन हैं। प्रत्येक और तब उत्मय क्रियाकाण्ड शुरू हुया । १० बजे रानमें विद्यालय एक उपाध्याय द्वारा परिचालित होता है । उसका शेप हुआ। पीछे भोज्यद्रव्य, माल्य और अपरापर यतिगण प्रादेशिक और जातोय विमागानुसार विभिन्न | द्रश्य ले कर यतिगण अपने अपने मठवास लौट आये। मठमें स्थान पाते हैं । उस विभिन्न श्रेणीके मध्य करनेका इस यानके वाद उक्त नवोन लामा तुपिलहनपो संघाराम- स्थान खम्प-त्यन् ( Provincial messing club) तथा में शिक्षानवीयरूपमें रह कर पाठाभ्यास करने लगे। विद्यालय प्रव-त्यन् (College ) कहलाता है। प्रथमोक्त पंछे उन्होंने परीक्षा दे घर लामा पट पाया और इस स्थानमें यतिगण आहार, शयन और अध्ययन करते देशमें तपिलामा नामसे प्रसिद्ध हुए। ये बौद्धतीर्थ देखने- तथा शेपोक्त टोलमें जा कर घे अपने अपने गुरुके पास | के लिये भारतवर्ष आये थे। अपना पाठ मुनाते है। इस संघारामके सबसे बड़े ____ उपरोक्त संघारामके छात्रावासमें दो लामा रहते है। बरामदे (उसोगस-छेन-लह-खड़)में जनसाधारणको उनमेसे ज्येष्ठ लामा ही छात्रावाससलग्न मठके परि- -ज्ञानेका अधिकार है। दर्शक और मन्दिरके पूजक तथा छातमण्डलीके उपदेष्टा ___सेर-मंधाराममें ५५०० यति रहते हैं। उनमेंसे है । कनिष्ठ लामा केवल भाण्डारको देवरेखमे रहते हैं। वपेरा, सङगस-प स्मद् प विद्यालयके प्रत्येकके अधीन | यदि उनके अधीनस्थ मठका कोई छान असदाचरण एक शास्त्राममिति है । गाल्दन् संघाराममे ३३०० करता है, तो वह दण्डका भागी होता है 1 - हरसाल इन बौद्धयति वास करते हैं। बेड से और यर-त्से नामक दो कर्मचारीको बदलो दोती है। इन सब कर्मचारियों को दो शाखा विद्यालय इसके अन्तर्गत हैं। निपिलहूनपोके नियुक्तिके सार स्वतन्त्र प्रक्रियाका अनुष्ठान होते देखा प्रमिद्ध संघाराममें तीन 'तत्पङ्ग' या विद्यालय है। उमके | जाता है। मधीन प्रायः ४० स्त्रमत्पन या शिष्यावास देखे जाते हैं। प्रति दिन सवेरे अथवा चार बजे एक बालक मंदिर- बंगाल के प्रसिद्ध परिव्राजक श्रीयुक्त राय शरत्चन्द्र' को चोटी पर चढ़ कर छहोसपद् गाता है। यह गान