पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२५६

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लामा गारफे पुरोहित सम्पूणरूपसे लामाके मदामठमा । लामा धर्मको उत्पत्ति। अनुकरण करते हैं। लेकिन पूजा और कर्मकाण्ड में बहुत कम और कैमे भाटराज्यमें बौद्धधर्मको प्रतिष्ठाके पृथक्ना देखी नाती है। रातमं नींद टूटने पर भनन साथ साथ त बमनप्रसून इम लामाधमकी उत्पत्ति, काल में बहुतेरे हठयोगका अभ्यास करते हैं। जिनकी। स्थिति और प्रतिपत्ति फैली थी इसका विशेष किरण नींद रातर्म न दृग्नी, वे प्रात काल मुम्प भादि धोनेक , स ग्रह करने का को, पाय ही है। जी मदीमें यहां वाद उपरोक रूपसे माचारानुष्ठान करते हैं। तदनतर सरमुरबौद्धधमका वोज उगने पर भी तिम्मन जापद देवाचना, प्रेताच ना और भोग देकर चाय मूढो चासी मात्र ही धरता घोर अपारसे आच्छन स्वात हैं। २ यजे सभा पेट भर पाते हैं। ६ वने शाम था। मोगरान स्रोट स्थान् गम्पो (२३६४१६०) को घे पुन कुलदेवता आदिको पूना और म्ननादि पाठ माने वाहुर मे चान राज्यसी पश्चिमा सामा तक जय करते हैं। रातने ६१० बने घे शयन किया करते हैं। पर एक विस्तृत राज्य जाता था। धडपशाय धीन तप परायण लामा योगा ऐम क्रियाकाण्डका अनु सम्राट् थैलुङ्ग अपनी या पेन्डेदक साथ उसका धान नहीं करते। ये पर्चतगुदामें रह कर निरन्तर ईश्वर विवाद र मिलतापाशम भाव हुए थ । चीन इतिहास चितार्म निमग्न रहते नथा प्रगत सासीके पालनीय में मोटराज सोड त्सान् गम्यो उित्सुङ्ग पुट सान् नामसे आचार अनुष्ठान करते है।यह योगाभ्यास तान मास प्रसिद्ध है।६४१ ३०में यह घटना घटी। इसके दो वर्ग तीन दिन ले कर करना होता है। इस समय 'मूलयोग याद उहोंने नेपाल रान अ शुममा या कुटोदेवीसे महोन गो'को चार शाखा हो ये लक्षाका प करते शादी कर ली। दोनों राजा याका चौद्धमें अटल और माध्रमम मिक्षाम व पढने के समय रक्षमा देवो, विश्वास था। इसरिये पतियों के अनुरोधस राजा भी देशसे मत होते हैं। वे यनयोग मतावलम्यो तथा वौसमम मासक्त हो गये। किसा विमा अधकारका सन्यासोके हठयोगसाधनारी हैं। ये मिद्धि पानेको कहना है, कि उ होने धौदधममें दाशित होकर पीछे मागासे यह कार्यानुष्ठान किया गत है। वौद्धराज + यासे ध्याद किया था। वे अपनी दो महियो पश्चिम भोटराज्यशासी अधिकाश लामा हा पाणिज्य , की प्रार्थनासे तथा निबत राय बीघम पैलानेकी भौर शिल्प ले कर व्यस्त है। वे खेती पर और धान इच्छासे वौद्धधमप्र का संग्रह करनेम रन सक्प हुए मादि ये कर जो लाभ उठाते है, उमीमे मा सच थे।उही ये उद्योगसे भोटराय वौद्धधाचार्ण लागेको चलता है। बहुतोंने मठके लामाओंक पहननक रिपे ध्यवस्था हुइ थी। भारत, नेपाल और चीन राज्यक दही, मार और तसबार पो चनका काम उठा लिया, नाना ध्यानी मोट राजदूत जायर प्रादि सप्रद है। फोह गार गाव मिझा माग पर मठका मडार परते थे। मरते है। उनके आदेशस जो दूत मरत आय थे उसका नाम ___ लामा लोग खास कर घायल, दूध, मपया, दाल, था धोन मि सम्मोट । यह ६३२ इ० भारत आये और चाय और माम पाते है । ये दरा, मेहा और गौका ६५० इ०म भोटराज्य लौट गये। उन्होंने भारत में रह कर मास संपनाप तथा मछला और मुरगेका मास निषिद्ध ब्राह्मण लिपिदत्त तथा पण्डित देवयित् सिंह (सिंहघोष) मानते हैं। गे-लोड मास कदापि नहा खाते । सम्पूर्ण स बौद्धधमशास्त्र पाया। म्यदेश जाते समय घ सैकड़ों रुपसे ग्रह्मवर्यावलम्यन करते है । तपिलगन पोरे प्रधान बौद्धप्रग्य साथ ले गये थे। घे उत्तर भारताय कुटिल लामा मास लाते हैं। प्रसिदरासा मठक मागण वर्णमाला मिधित निस अक्षर पुस्तक लिख ले गये थे साधु मरतिक होते है। ये मराय नहा पाते । मयान्य उसा अक्षरम तिम्वतीय भाषामें उहोंन व्याकरण लिम्ब जगहोंके एरामा चमय पीते हासा मठ लामा लोग र प्रचार किया। सिफ तिम्वतीय वर्णमालाश स्वर भून यादिशी तृप्तिके लिये मय उत्सर्ग पर । सामअस्यके लिये उन्होंने उसी मक्षरमा ठामें कुल चिन्हों Not x 66