पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२६२

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लापा २६७ नपारर्म गुखा जात प्रादुर्भाय शैयदिन्दूपमा कहा जाता है। सिकिममें प्रिङ-मन्य और कर ग्यु-प प्रचार हुआ। पौडपो होने पर मा उनमें में अधिकाश] (रम प) सम्प्रदाय प्रभाव हो अधिक है। यहा दुक् नेपाली यौद्ध हो रामामताम्यो हैं । यसमान भूगन | पसम्प्रदायका कोई मठ नहीं देखा जाता। देश लामाधर्म पूर्णमात्राम विराजित है। यहा तासि पहले हा लिखा जा चुका है, कितिपत लामाधर्म- सूदन जिले में ५ मी, पुनासा ५ सो, पारो जिले ३ सी के विस्तारके साथ साथ उसके क्तिने मापदायिक तोङ्गमोरम ३ सी, टागनामे २॥ सौ भोर यन्दापुर विभाग संगठित हुप । भारतीय महायान और ताविक (मन्दापुर) में २ सौ लामा पुरोहित हैं। इसक सिया पौरमत तथा भोट जनपदस्य प्राची। चोन धर्म को पर्णतगुहाम असण्य सामास न्यासा तथा मठमें वौद्ध परयहाके लामामनकी उत्पत्ति हुई है। ७४७१ में मिक्षुणी देखी जाती हैं। मठवासोको छोड र प्राय ३ योगन या उद्यानयासी गुरु पद्मसम्मका चेपासे परि हमार लामा पुरोहित रापकर्म और वाणिज्य व्यवसायम । पद्धिप्त होने पर भी यह उसी प्रतिष्ठानरमा रित है। ८६E में राज र दमन पौद्धधर्म का उच्छेद करनेकी सिकिमर्म रामामत दो राजधर्म है। यहाफे तामा कामनासे यौकि प्रति विशेष अत्याचार करना शुरु कर तथा साधारण रोगोंग विध्याम है, धिमात्मा पन्न दिया। उस समय तिम्वतमें प्रतिष्ठिन पौरमत धरे धीरे सम्मय (गुरु रिम-या ) लामामत स्थापन करनय लिये | होनमम हो गया। उसके पादसे ले र महात्मा अतीश तिम्बत जाते समय इसा देशदो पर गपे थे। १७वीं के शुभागमन न लामाधम फिर उठ र पठान हो सदाप लामा परिमाजक सामुन छेम्यो तिम्वतस! सका। १०५०१०में अतीश और उन शिष्य वरोम स्तो मिशिसभाये थे। उनके विचरणसे मालूम होता है, कि कदम प सम्प्रदायको स्थापना कर वादि लामाधम के उस समय पाक अधियासी थRITIFघकारम निमजित | सस्फारक कद पर पूनित हुए। इस शाखामताप र म्यो थे। शायद उनके गाने के बाद मिचिमवासी लामाधाम / सुप्रसिद्ध लामा लासोन पपने १४०७ ३० गालदन् दीक्षिम हुप दोगे। ये यहा परिखाणता धमात्मारूपमें | सपाराम स्थापन कर बौद्धधर्म पैलाना चाहा। १६४० पूति होते हैं। १०मे यही तितके पारमार्थिक मण्डलरूपमं गिना जा १७वी सदाफे शेष भागमें लहा तसुम छेम्योको मृत्यु रसस्त गेलुगप (क्यम प शास्वान्तभुक्त) सम्प्रदाय पादसे मितिम लामाधम पारे धार पर गया तथा| पामसे प्रतिष्ठित हुआ । १६४० १०से यह पारमार्गिक थोडे दो समयमै बौद्धयति और सद्धाराम सिविमराज्य मएडभ्यर यत्तमा माप सा इस सागपदायिक मत माधान हो गया। हातपय मिक्मियासीको सभ्यता गौर मपने प्रभायको एक मगरसे दान मा रहे है। और साहित्य तथा रेप्छा जातिको वर्णमालामा उत्पत्ति २०२६ में प्रि म भाषा प्रतिष्ठित यह १३थी काल लामाधर्मको सहायतासे परिपुर हुया है, ऐसा सदोके शेप मागता अछी तरह सस्यन हो मापिर मिइ माप सम्प्रदायरूपम प्रधान होगा। १५ों सदी मातगुन टेम्पने दक्षिणपूर्व निम्मत भूभागफ का । पेशेपाई से ले घर १७यों सदी मध्यभाग तास बिलेको समारो (ममपुत्र ) उपत्यकामें १५६५ १०%ा मम मम्प्रदायफे गाघानुरूपमें यथारम भोगेन पदो साप माप किया था। माम सिकिम माते समय रादौ न मिन्दोरिन पाप पोप भार PET-तमुन प पौर एशाराम हुए. में हासानगर पहुंचे। यहां मादि सम्प्रदायोंको सटि हुई है। ये सव सम्प्रदाय मिर पाले स-सामा गायके गप उनको भई। व मार माप या प्राधाम मसस्टम लामा मतमम्यग्धापनासा पीयप मामा माममिका भतार परममित्र नामसे प्रमिस हैं। है। पतमान महावि-सहारा लिया जिस्मो-पका १०७२ सापय मोनने सो गाया प्रतित को, यह दमाम जप शिपाया। पयशामा नामसे पैलगा। उममे १क्ष्यों सो