पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/२६३

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६८ लापा के मध्यभागमें जोनड-प शाखाकी उत्पत्ति हुई है। १७वों उद्भव हुआ था । १२वो मदीक शेषभागमें दिन-प संदीके मध्य भागमें तारनाथने जोन-ड प शाखाका मत जावाले तलुन-प नामक एक सौर स्वतन्त्र मालाको प्राधान्य स्थापन किया । १५वीं सदी के प्रथमाई मे उत्पत्ति हुई। करग्यु-प और नाश्यप सम्प्रदायाश्रित शाफ्यप शाखासे नोर-प नामक एक दूसरी शाप्पा मात्रा मई संस्कन लामामत नामसे प्रसिद्ध है। संगठिन हुई, वह प्रधानता लाम न कर सकी। वर्तमान ममयमें कोई कोई लामा गुरु पद्मसम्भवकी ११वीं सटीके शेष भागमें मर-प मीर मिल ग्म-प गाग्वा गुहा में छिपा पर रो एप प्राचीन धर्म ग्रन्थको दोहाई दे स्थापन कर गये है। लामा द्वग्-पो-लहले उक्त साम्मा कर जो मब शापा-मन प्रचार करनेकी चेष्टा करते हैं, ये दायिक मतको प्रतिष्ठा कर जनसाधारणमें उमरे प्रवर्तक मब नर-म' चा गुरुफे अभिव्यक्त साम्प्रदायिक मत प्रिड. रूपमें परिचित हुए थे। लगभग १९४२ ने १२२० ई०के म-प सम्प्रदायके अन्तर्भुक माने जाते है। इसमें मानी मध्य कर यु-प सम्प्रदायग्ने पृथक और संस्कृतभावमे बोन-प और भूतादिकी उपासनाके साय विशुद्ध लामा दिकुन् प, कम प तथा प्राचीन वा उत्तर टुर-५ मतका समन्वर दिग्नलाया गया है। उपरोक्त विभिन्न (२१६० ई०) शाखाकी उत्पत्ति हुई। आमिर १२१०३० सम्प्रदायकी पद्धति परम्पर पृथक है। उन लोगों का परि- में उक्त दुक-प सम्प्रदायले संस्कृतभावमें मध्य और च्छद और शिरस्त्राण भी अलाहदा है। नीचे दिये गये दक्षिण भोटान्तके लुक-प तथा फिरसे १२२० ई०में उक्त चित्रों ने उसका पता चलेगा। मोटान्त दुक पसे आधुनिक वा दक्षिण दुक-प जाग्याका NA URI M 457 STHAN Crics: SARL BALARIANTRA . SHANT " स्क्यानामा - मोहतनामा श-रा। कर-गुस्तामा । नामा उग्येन्ग्य त्सो। निट मा लामाद्वय । कतामा उपरोक्त सम्प्रदायसमष्टिके विस्तार और प्रतिष्ठाके प्रलोभनसे निलितभावमें अवस्थान करना हो बौद. साथ साथ लामाधर्मराज्यमें अमख्य मठ और सहा- यतियोंका प्रधान कम है। क्योंकि इससे वे निश्चिन्त रामकी प्रतिष्ठा हुई। उन सब विभिन्न शाखा-सम्प्रदाय मनसे ईश्वरकी उपासना कर सकते हैं। यही कारण है, और उनके अन्तर्भुत विभिन्न मठादिका विवरण विस्तार कि वे लोग निर्जन और प्रलोमनशून्य निर्जन प्रदेशमे -हो जानेके भयसे यहां पर नहीं दिया गया। सांसारिक मा कर वास करते हैं। वही सब वासस्थान वादों के