लाहौर-लिक्विडेटर इसका यह नाम पहा। इसके बाद मुसलमान ऐति । १कान्दारीन, १०० लिका १ मन, १००० लिका १ तायेल = होसिन इसे पज्ञानके निकटपत्ती पान लाहोर नगरके अगरजी ५ शिरि । नामानुसार इसका लाहोरो यन्दर नाम रखा ।।०३०६०में २ जमीनका दूरो नापनका एक नाप, २६३ गज या मन विरुणीन इम नगरका ठहरानी तथा १३३३ इमें । म गरजो मोरा छठा हिस्सा। चीन परिबानक यूएन- इवन् वतुताने लाहरा नामसे उलेप किया था । तारान | चुवगने इसीके अनुसार लाइ नाप कर भारतीय नगर दि ताहिरि नामक इतिहासमें लिखा है,-१९९५ इ०में | नादिको दूरी जाना था। फिरगियो ने लाहोरो वन्दर पर आक्रमण क्यिा शालि पायक काडा जिले में प्रवाहित एक नदो । १६१३ इ०में से सवारो, १९६५ इ०मे खेवेन तथा १७२७ । स्पिति दखा। इ०में मकसदर हामिल्टनने इस नगरको ओर पदर और लिए-हिन्दीका एक फार चिह्न । यह सम्प्रदान में आता लाइ यदर कह कर उल्लेख किया है । इबन वतुता कहत है, है और जिस शदके भागे जाता है उसके व या 'हमने अमीराला उल मुल्स सुरा है, कि उस समय इस निमित्त किसो फिराका होना सूचित करता है। जैसे,-मैं Fथानका वार्षिक राजस्व ६० लावण्या वपुल होता था। तुम्हारे लिए आम लाया है। यह हिदक सम्बध लाहोर-साहार देवा। कारक रूप काके साथ लगता है। जैसे-उसके लिए। लाहौरो नमन (हि.पु०) सैन्धारण सेंधा नम:।। बहुनर इसका व्युत्पत्ति मन रन' से बताने हैं, पर नमक देवा। गौर 'सरग इसे इसका अधिक लगाव जान लाहोल ( १० पु.) पक भरवा पापका पहना नद।। पडता है। पुरानी काय्य मापा विशषत अपनो में 'लगि' इसका व्यवहार प्राय भूानत यादिको मगाने या घृणा रुप वरावर मिलत है। यह प्राय लिये" भो लिवा प्रकट करनेक लिये किया जाता है। जाता है। लाय ( स० पु०) लह्य का गोलापत्य । लिओ-पार प्रदशके यसहर राज्य के शतगत एक गएड लाद्यायनि । स० पु. ) भुम्युका गोलापत्य । ग्राम । यह अक्षा० ३१ ५३ ३० तथा देशा० - ३७ पू० (रत० प्रा० १४।६।३१) तक अठावारके अन्तर्गत स्पिति और लिप नदोर राहा ( स . स्त्रो०) उल्लू पक्षा। मगम पर म्पिरिक दाहिी किनार ए गण्डशेल पर लिर (अ० पु०) तूनिय में रंगा हुआ मुलायम कपडा या अपस्थित ह' प्रामस पूरव शैल शिपर पर एक भग्न फलालीन जो घाम मरहम लगा कर इसलिये मर दी दुर्गका दर्शन पड़ा हुआ है जो समुद्रको तहसे ८३६२ जाता है जिसमें उसका मुह एक्वाएगा यद न हो जाय फुट ऊचा है। यहाक वाशिद भोटजाताय और बौद्ध 'मीर मयाद न सके। धर्मावलम्बो हैं। लिंफ . पु०) शोतलाका चेप जो टीका लगाने काम | लिफिन (हि.पु.)मटिपाले रंगकी एकबनी चिडिया। माता। लि (स.पु०) १ शान्ति, कानि।२ क्षति, घस । ३ शेष, इसी टागे हाथ हार भरको और गादन पक वालिन की होती है। भात । ४ साता। ५ हस्तालङ्कारभेद, हाथमें पहननेका एक जेवर लिकुच ( स० को०) रक्यते मास्वायत इति लक वाहुल लि-एक चीन दार्शनिक। ये इम्बोसन् ५वीं सदीके म में कात् उर, पृषोदरादित्यादित्य । चुक, यउहरसा पेड़। अर्थात् कमपुची के माय एक शताद घाद ता विद्यमान लिकुति-एक पण्डित । ये शिवस्तुतिय प्रणेता नारायण थे। हॉन शानोन्मतिविषय जो मत विस्तार दिया। पण्डितफ पिता थे। था, वही पोछे चान-साम्राज्यक योद्धधम विस्तारका परिरिका ( स नो०) हिरा जू का पडा, लोस। पोप हुमा था। लिपवाह (हि.पु.) बहुत नियाला, भारो लेप । लि-१ चीन देशीय पर प्रकारको मुद्रा। १०लिका | लिकिडेगर (म.पु.) पद मासर ना किसी को या ___Yorn
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३००
दिखावट