पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३०१

विकिस्रोत से
यह पृष्ठ अभी शोधित नहीं है।

लिक्विडेशन-लिखितसंहिता फार्मका कारवार उठाने, उसकी ओरने मामला मुकदमा । लिलाई (हिं स्त्री० ) १ लेख, लिपि। २ लिखनेका लड़ने या दृसरे आवश्यक कार्य करनेके लिये नियुक्त कार्य। ३ लिखनेका ढंग, लिखावट। ४ लिखनेको किया जाता है। मजदुरी। लिक्विडेशन ( ० पु० ) सम्मिलित जोसे चलानेवाली | लिखाना ( हिं० कि०) मकित कराना, दुसरेके द्वारा फम्पनी या फार्मका कारचार बंद कर उसकी सम्पत्तिमे लिखनेका काम कराना। लेहनदारोंका देना निपटाना और बची हुई रकमको लिखापढ़ी (हिं० स्त्री०) १ पत्र व्यवहार, चिट्ठियोंका आना हिस्सेदारोंमे बाँट देना । जैसे-वह कम्पनी लिकिडेशनमें जाना । किसी विषयको कागज पर लिख कर निश्चित चली गई। या पका करना। लिक्षा (सं० स्त्रो०) लिश गतौ बाहुलकात् श, सच लिखावट (हि० स्त्री०) १ लिये हुए अक्षर आदि, लेख। वित । ( उण ३६६)। मकाण्ड, लीख। पर्याय- २ लिखनेका ढग. लेग्व-प्रणालो । लिका, लीक्षा, लोका, लिक्षिका । २ एक परिमाण । यद लिग्वि-बम्बई प्रदेशको महिकान्या एजेन्सीके अन्तर्गत एक कई प्रकारका कहा गया है, जैसे, कही चार अणुओंकी | छोटा सामन्तराज्य। यहां के सरदार ठाकुर उपाधि लिक्षा कही गई है, कहीं आठ वालानको। (८ पर- धारो मूकवाना कोलोवंशोद्भय हैं। ये लोग अंगरेजराज माणु =रज। ८ रज बालान)। ३ लिनाका एक सर्पग| अथवा किसी भी देशी राजाको कर नहीं देते । ज्येष्ठ पुत्र या सरसों माना गया है। ही राज्यके अधिकारी होते हैं। अगरेज गवर्मेण्ट द्वारा लिक्षिका (सं० स्त्री० ) लिक्षा, लीस । अनुमोदित दत्तक लेनेका व्यवस्था पन या सनट इन्हें लिम्व (सं० त्रि०) लिसतीति लिख (इगुपवजे ति। नहीं है। पा ३१२१३५) इति क । लेखक । लिखिखिल्ल (सं० पु० ) मयूर, मोर । लिखत (हिं स्त्री० ) १ लित्री हुई वात, लेख । २ दस्ता-लिजित (सं० क्लो०) लिख-भावे क्त। लिपि, लेख । वेज। लिखित पत्र । २ लिखी हुई सनद, प्रमाण पत्र । ३ एक स्मृतिकार ऋपि, लिवन (सं० क्लो. ) लिख ल्युट । १ लेखन, लिपि, लिखा- इन्होंने जो संहिता लिसो है, उसे लिखित सहिता करते चट।२ कर्मकी रेखा, भाग्यमें निश्चित वात । विधिलिपि है। यह महिना १६ सहिताओंसे एक है। थखण्डनीय है। विधानाने जो अदृष्टमें लिख दिया है, ___परादरच्यासशनिखिता दहगोतमौ। - - - उसे खण्डन करनेकी किसीकी शक्ति नही है। शातारपा वशिष्टश्च धर्मशास्त्रप्रयोजकाः ॥' “यस्य यल्लिखन पूर्व यत्र काले निरूपितम् । (यादतत्त्व याजवल्क्य) तदेव खण्डितु राधे क्षम्य नाहश्च को विधिः॥ पितृपुरुषोंके श्राद्धकालमें धर्मशास्त्र-प्रयोजक इन सब विधातुश्र विधाताह येषा यल्लिखन कृतम् । ऋपियोंके नाम उच्चारण करने होते है। बादीनाञ्च क्षुद्रापान तत् खयड्य कदाचन ॥" विशेष विवरणा लिखितसहिता' शब्दमें देसो। (ब्रह्मवैवर्तपु० श्रीकृष्णजन्मख० १५ अ०) लिख-कर्मणि क्त। (त्रि०) ३ लिपिवद्ध किया लिखना ( हि क्रि० ) १ किसी नुकीली वस्तुसे रेखाके | हुआ, कित। रूपमें चिह करना, अंकित करना । २ स्याहो में डूबी हुई लिखितक (हिं० पु०) एक प्रकारके प्राचीन चौखूटे अक्षर कलमसे अक्षरोंकी आकृति बनाना, अक्षर अकित करना। जो खुतन ( मध्य पशिया) में पाये गये शिलालेम्वॉमें ३ पुस्तक, लेख या काव्य आदिकी रचना करना । ४ रगसे मिलने हैं। आकृति अंकित करना, तसवीर खोचना। लिखितरुद्र-एक प्राचीन वैयाकरण। रायमुकुट इनका लिखवाई (ईि स्त्री०) लिख देखो। मत उल्लेख कर गये हैं। लिखवाना ( हिंकि०) लिखा। देखो। । लिखितसहिता-पक स्मृति प्रन्य। महर्षि लिखित इस