लियाकत बीगल रिमेन्द्र सर
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समीपवासो लिन्चुगण बहुत शराब पीने तथा देवोदेशसे, और 'लिटोरा' भी कहते हैं। इसका पर्याय श्लेष्मान्तक
उत्कृष्ट पशुमांस भोजन करते हैं। इन लोगोंका विश्वास और भूकचुदार है।
है, कि वलिरूपमें निहत पशुको प्राणवायु ही देवता ग्रहण लिग्न्ट (अं० स्त्री०) फेहरिस्त, दालिका।
करते है । उसका मासपिण्ड मनुष्य ही उपभोग्य है। लिह (सं० क्रि०) १ चाटना। (नि० २ चाटनेवाला।
डा० काम्वेलने इनकी भापा जिज्ञासलीय और लिहाज ( म० पु० ) १ घ्यवहार या वरतावमें किसी बातका
ध्यान, कोई काम करते हुए उसके सम्बन्धमें किमो वात-
तालय्य वर्णको अधिकता देख कर कहा है कि
का ख्याल । २किसी कोई बात अप्रिय या दुःखदायी
जातिको मापासे लिंबु भाषा ही अधिकतर श्रुतिमधुर |
है। मारनीय और तिव्वतीय मापा साथ उक्त मापाका |
न हो इस वातका खयाल, मुहब्बत, मुलाहजा । ३ वडोंके
यनेक सादृश्य देखा जाता है। लेपछाओंके निकट ये
सामने ढिठाई आदि न प्रकट हो इस वातका ध्यान,
लोग छुद्र नामसे परिचित हैं। इनका शारीरिक गठन |
अदवका खयाल । ४ कृपापूर्वक किसो वातका ध्यान,
वहुत कुछ मोदलीय सा है।
मेहरवानीका खयाल, कृपा-दृष्टि । ५ लजा, शर्म, या ।
६ पक्षपात, तरफदारो।
लियाकत ( अ० स्त्रो०) १ योग्यता, कादिलोयत । २ गुण,
लिहाड़ा (हिं० वि०) १ नीच, वाहियात । २ खराव,
हुनर । ३ शोल, मद्रना । ४ सामथ्र्य, समाई ।
निकम्मा।
लिलाहो (हिंपु०) हाथका बटा हुआ देशी सत।
लिहाफ (अ० पु०) रातको सोते समय ओढ़नेका रूडेदार
लिबाना ( हि० कि०) १ लेने का काम दूसरेसे कराना,
कपड़ा, मारी रजाई।
थमाना। २ लानेका काम दूसरेसे कराना।
लोक ( हिं० स्त्री० ) १ लम्बा चला गया चिह्न, लकीर ।
लिवाल (हि.पु०) खरोदनेवाला, लेनेवाला।
२ गाडीके पहिएसे पड़ी हुई लकोर । ३ गहगे पड़ी हुई
लिवैया (हिं पु०) लानेवाला।
लकीर । ४ चलते चलने वना हुआ रास्तेका निशान, दुरीं।
लिप्ब (सं० पु०) लप कर्तरि वन, निपातनात् साधुः, उप-
५वधी हुई मर्यादा, लोक नियम । ६ महत्त्वकी प्रतिष्ठा,
धाया अत्। नर्तक, नाचनेवाला।
नाम, यश। ७ हद, प्रतिबंध। ८ बंधी हुई विथि, प्रया,
लिसरी-हिमालय पर्वतप्रान्तबासी जानिविशेष । मिथुन-1
दस्तूर । ६ कलंककी रेखा, धव्या, बदनामी । १० गिनतीके
कोटके समीप गुर्चानी शैलके समीप लिसरी शैल पर
लिये लगाया हुआ चित, गणना। ११ मटियाले रगकी
इन लोगोंगा वास है । ये गुर्चानी जातिकी एक शाखा एक चिडिया। यह बत्तखसे बहुत छोटो होती है।
माने जाते हैं सही, पर उन लोगोंसे बलहीन हैं । १८५० | लोका (सं० स्त्रो०) हस्खमूपिकीमारी, श्रुतश्रेणी नागको
और १८५२ ई० में दो वार तथ १८५३-५४ ई०में लगातार छोटी लता!
आठ बार सदरेजी-सेना आक्रमण करके भी इन्हें परास्त लीका (सं० स्त्री०) लिला, लख ।
न कर सकी।
लीक्षा (सं० स्त्री० ) लिक्षा, लोख।
लिसोढ़ा (दि. पु०) मझोले डीलका एक पेड। इसके लीग्व (हिं० स्त्री०) जू का मंडा।२ लिक्षा नामक परिमाण
पत्ते कुछ गोलाई लिए और फल छोटे बेरके वरावर | लीग ( स्त्री० ) संघ, समा। जैसे मुसलिम लोन ।
होने हैं और गुच्छोंमे लगते हैं। एकने पर इसमें लस लीगल रिम सर ( पु०) वह अफसर जो सरकारके
दार गूदा हो जाता है जो गोंदकी तरह दिपकता है। यह कानूनी कागज-पत्र रखता है। कलकत्ता, बंबई और
गूदा हकीम लोग खांसीमें देते हैं। पत्ते वीड़ीके ऊपर युक्तप्रदेशमें लीगल रिमंत्र सर होते हैं जो प्रायः सिवी-
लपेटनेक काममें आते है । छालके रेशेसे रस्से बटे जति । लियन होने हैं। इनका दर्जा एडवोकेट जनरलके वाट
है। अदरकी लकड़ी मजबूत होती है और विश्ती तथा है। इनका काम सरकारी मामले मुकदमोंके कागज-पत्र
बेनी मामान बनाने के कामकी होती है। इसे 'लभेरी रचना और तैयार करना है।
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३३१
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