पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३४०

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लुवरी-मुरिस्तान ३४५ अलङ्कार जिस उममा कोद अग लुप्त हो अर्थात् न इस विस्तीण भूपण्डमें लर नामक एक पहाडी कहा गया हो। उपमा दम्रो। | जातिका वास है। उन लोगोंके मध्य कोधिल लेक लु वरो (हि ० स्ना) किमा तरल पदार्श के नोचेको बैठो और खुर्द नागक कई शाखाए हैं। जितु शोतकालमें हुइ मैट, तरो छ, गाद। चे पर्वतका परित्याग पर दिनफुल अथवा शासिरीय लम्घ (स • त्रि०)रमत्त । ( आकाक्षायुक्त लोमयुक्त । समतलक्षेत्र में उतरते हैं तथा हाके तुर्दिस्तान सीमा त पयाय-गृनु गद्वन, अभिलापुर, तृप्पा । २ मोहित, स्थित भ्रमणकारी अरव और तुर्क जातिके साथ ऐस तन मनको सुध भूला हुआ। (पु०) ३ श्याध, पहेलिया। मिल जाते हैं, कि ये अरवा और तुर्कजातिसे मालूम होते लुम्पक ( स० पु.)77 पर साथै फन् । १ व्याध, बहे हैं। वे लोग महम्मद तथा उनके चलाये कुरान शास्त्रका लिया। २ लम्पट । ३ उत्तरी गोलार्द्ध का एक बहुत तेज | आदर नहीं करते। एकमात्र यावा युद्धर्ग तथा दूसरो सात वान् तारा। पवितात्माकी उपासना करते हैं। उनके बहुतसे निया- शुधना (स० खो०) र धम्य भाव तर याप् । लुब्धका | क्लामि महम्मदके पूर्णवत्ती सस्कारका निदर्शन पाया भार या धर्म लोभ। जाता है। उन लागांके मध्य शकजानिके उपास्य मिथ रम्घापति ( स० स्त्री०) केशव अनुसार प्रोढा नायिका । और अनादिता दयताको उपासना देखी जाती है। इस का चतुर्थ भेद, यह मौदा नायिका जो पति और कुलके पूजाके लिये वे रातको इकट्ठे हो कर भौतिक आधारादि सब लोगों की लना करे। का अनुष्ठान करते हैं। लव्यल याद (२० पु०) १ गूदा, सार । २ किसी वातका सरिकलक्या सर विभाग को निले rat तच, मारा। सिने, दिलपुल आमलह और वा ठसेरिये (पाल प्रीप) लभामा (हिं० कि०) १ध होता मोहित होना । नामा चार शायाका दास है। उनमेंसे प्रथमोर दो मोहमें पडना तन मनमा सुघ भूरना। ३ सालमा | लेक शाखासे उत्पन हुइ हैं। बाकी दो ल र कहलाती करना गालचमें पटन। । ४ लुघ करना मोहित करना । | गिगिले और दिलपुलोंके मध्य प्राय ३० हजार ५सुध उभुलाना मोदर्म डालना। ६ प्राराको घर हैं। शिलाशिलेगण अत्यत पराक्रमी और युद्ध गहरा चाह उत्पन्न करना, 7उचाना। विद्या सुनिपुण हैं। घे सहजमें वशाभूत हो पिये भित (स.नि.) उभ रु । १ विमोहित, लुभाया) जा मक्ते। हुमा ।२विरक्त, जिससे चाद न हो। ___ वर्तमान राजरवशके प्रतिष्ठाता आला महम्मद नाके लम्बिा (म. स्त्रो०) राय वमेद, एक प्रकारका वाजा। आदेनमे अमराहोंने स्वदेशका परित्याग कर पार राज्य र म्बिनी ( स. स्त्रो०) पिस्तुके पासका एक वा में उपनिवेश बसाया है। तभीसे उनकी सख्श बहुत या उपवन ज । गौतम बुद्ध उत्पन हुए थे। घट गई है। आग महम्मदो मृत्युके बाद उनमें से किनने लटका (हि.पु.) मुमश। अविका परित्याग पर म्पदेश चले गये। रितु ने 7 टका (हि.सी.)१कान पहननेकी बाली, मुरको। अगी पाले जैसे वोर्यशाली नहीं है। भ्रमणकारी - २ लुदक। देखा। Bode ने पातिपालिस प्रातरस्थ हस्तासर पवेतके नीचे ल रिस्तान-पारस्य मतर्गत एक प्रदेश। यह यक्षा मामलाद शाम्बार एक विभागका वास देखा था । ये ३५३४५ ३० फार राज्य मीमासे पश्चिम क्मनाया उहे भत्स भौतिक आचारके उपास घता गरे। सा विस्तृत है। इसके मध्य हो पर दिजफुल ामक रोग क्सिो राजातिकी वश्यता स्वीकार नहीं करते। नदी बद्द गद है । इस नदीक रक्षिणस्थित बपतियारी ति मीठो मीठी वातांसे जिस किसी कार्यमें उहे पार्वत्य क्षेत्र लरि धुनुर्ग तथा आमिरोय प्रा तर ता गाया नाय, वे पडी पुशीसे उसे कर डालते हैं। विस्तृत नदार उत्तर रि-कुल्लु नामसे प्रसिद्ध है। लूर शाम्या भी दूसरे क्सिोका ययापार वा Tol xx 87