पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३५०

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लेखक-लेखनपत्र ३५५ हैं-जो एक दार बहनेसे उस अथ समझ सस्ते हैं | रेपन (सलो०) लिख-च्युट । छान उल्टो परना, तथा नो मुनते हो विशुद्ध मायमें जन्दी और साफ माफ के करना। २ अक्षरवि यान, लिखनेका कार्य त नर्म लियने में समर्थ है तथा जो शारर ज्ञानते हैं ये हा उत्तम | लिया है, कि भूमि पर नहीं लिखना चाहिए। ३ भूज पर भोजपन जिम पर प्राचानकालमें लिखा जाता राजपाके लक्षणप्रवीण, मन्त्रणा कुशल राज था। लिपनेकी कला या विद्या । ५चित्र बनाना। मोति विशारद नाना प्रकारपती शिपिसे जानकार, ६ हिसाव करना, रेषा लगाना। ७ औषध द्वारा रसादि मेधानी, नाना मापार्म पण्डित, सन्धि विग्रहमे पुशल, सात धातुओं या पात आदि दोपोंको शोषण करफ पत। रानकार्यमे विचक्षण, सघदा राजाक हिताभिरापा तथा हरना। ८इस कामके लिये उपयुच औषध । (पु०) गजाफे समीप अरन्थिन पतंय योर यात्तव्य विषयमें पाश, पासा। विशेष दक्ष सत्यवादी, पितद्रिय, स्वरूपवादो, विशुद्ध | लेखनास्ति (स. स्त्री) रसादि सात धातु या यातादि स्यभाव, धार्मिक और राजधमकुशल, ये सब गुणयुन | सिदोष और वमन इत्यादिको पतरो कर देनेवाली पिच व्यति राजा रेखा होगे। (पत्रकौमुदी) । कारो। ____ पराशरमदितामे लिपा है कि लिम्रने काम लेखनि ( स० स्त्री०) फरम, लिखनी । लेखनी दसो। पायस्थशश। लेखनिक ( स० पु०) रेखन शिल्प मस्य छन् । १रेग्व "लेखानपि कायस्थान ले यकृत्य विचनपान " हारक, यह जो लेख लेता हो। २ यह जो दूसरेसे लिखा (पराशरसहिता १० अ०) कर रेखमें अपा नाम देता हो। ३ वह जो अपने हाथसे "शुची7 प्राशाश्च धमशार विमान मुद्राकरान्वितार। लिखता हो। लेषकानपं कायस्थान लेग्न्याच हितरिण ॥' (हत् पराशरसं० २०२०) रेखनिका (स. स्त्रा० सी चिनकर। यहत् पराशरक इस पग्नापुमार विद्वान् कायस्थ हा लेखनी ( (स. स्त्रो०) लिप्यतेऽनया लिव त्यु डोप । रेखा होंगे। मनोनिम लिया है, कि जो गणनाकुशल, लेपन साधन वस्तु कम । पर्याय-यणतुरिका, देशभाषाफ प्रभेदादिमे अमिन तथा नि स देश और वणतु, परम, भक्षरतूलिका, पराश्रय, चिवा । सरलभारमे लिखते हैं, वे हो वा होगे। शुक्रनाति (शदरत्ना०) कमतसे मोकापालबा होगे। ___बनाये शुभाशुभश विषय इस प्रकार रिखा है। 'प्रामपा माझया योज्या फायल्या लेवास्तथा। वामको कलम बना पर उसस लिघनेस अशुभ, तायेग शुभकाही तु वेश्यो हि प्रतिहारश्च पादज ।" कलमसे रिपसे उन्नतिलाम, सोनेको परमस महती (शुक्रनीति २०००)। रमालाभ, वृहन्नरवीर से मतिमृद्धि और चिसशष्ठ प्रामपति ग्रामण, कायस्य पर शुक्माहा येश्य | कीएमस सिनेसे धनधान्यादि राम हाता। परम और राष्ट्र प्रतिहार होगा। आठ ३ गोकी होनो चाहिये, चार उगोको समस महाभारत गणेश है। याममदाभारतको रिखना मना है रिसनेसे आयुका क्षय होता है। रचता पर गणेशको पद लिम्रो पा इस पर गणेन २रिका पडी। दाम लिया जाता है, इसस महा था, कि यदि मेरा रेसनो क्षणशाल मीन रणे तो इमोरपना कदन है । सरस्वता पूजापे दिन रेप। मैं गले दी रिय सफ्ता । प्यास पोले मा) पूना करनी होती है। होगा पर तुम बिना समझ रिख नहीं सकोगे। रेखनीय ( स०नि०) गिअनीयर । टेप, रिखी (भारत १४१५८६) योग्य । रिमा विषय पर लिप पर भरने विचार रोपनपत (स० मो०) १सि । २रियामा कागज पाला, अपार । ३एक प्रेसका नाम । दस्तायैन।