पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३६०

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लेवार-रेद इतना दरसना शि जोतने पर पेतकी मिट्टी और पानी | लेशना (हि.नि) १ जलाना । २ किसी चीज पर मिल कर गिगवा बन जाय। ६ गाय, भैस आदिवा लेस लगाना, पोतना। २ घरफो दीगार पर मिट्टीका थन! (वि०) रेराला। गिलाया पोतना, हगिरा परना।३ चिपकाना, सटाना। लेपार (स.पु०) अनहार । ४ इधरकी पात उधर लगाना, चुगलो पाना। ५ दो अद ले यार (हि.पु.) रेप, गिलाया। मियोंमें पिवाद उत्पन कराके लिये हे उत्तेजित याल (हि.पु०)ने या घरीदोगाला। करना। रेघोग-गुरुप्रदेश पुमायू जिलान्तर्गत एक गिरिभ्रेणोलेसिक (स.) पारोहक फील्यान् । यद हिमालयपर्वतका शममझो जाती है और अक्षारोह (स० पु०) ले हनमिति लि. धन।। आहार, भोजन । ३० २० उ० तथा देशा० ८० ३६ पू०के मध्य विस्तृत पर्याय-स्वादा रसन, सदन, स्वादि। लिहार्मणि है। यह गिरिशाना वियान और धर्म उपत्यकाके मध्य घन। २ रस। ३ अपर है। घोपके पलायलके अनु फैला हुइ है। पर्वतके ऊपरसे एक रास्ता दूसरी ओर सार स्नानविशेष थाहा प्रयोग करना चाहिये। चला गया है। इस महरका सोच स्थान समुद्रपृष्ठसे अरले हप्राय ऊळजलगत रोग नए घरता है, इस कारण १८६४२ पुट कचा और चिरतुपारात है। इसका साय कालमें प्रयोग करना होता है । यह अलेह ले7 (म • पु०) लिश घम् । १ कणा, अणु । २ सूक्ष्मता, अपाद और चतुरङ्ग आदि मेदयुक्त है। छोटाइ। ३ चिह निशान | ४ ससग, लगाव । ५एक ____ मष्टाहायलेह-वायफ्ल पुटपरम्, अभाउमें पुर अरद्वार। इसमें क्सिो वस्तु के वन केपर पर ही तर्फटडी, मिच पोपट, मोठ दुरालमा तथा ग गरेग भाग या अशमै रोचाता थाती है। ६ एक प्रकारका | इन सदको चूण पर मधुके साथ गटना होता है। इमी गाना। (वि०) ७ अल्प, थोडा। रेश्या (सक स्रो० ) १ दीप्ति, आरोष । २ अनियों के फो अष्टाहायल। कहते हैं। यह चाटनेस मग्निपात, हिका श्यास, कास तथा कएठरोग नष्ट होता है। कफ अनुमार जोशी यद अरस्या जिसके कारण पम जीय प्रधान मनिपातमें अदरफरे रसके साथ इसका प्रयोग को वाधता है। यह छ प्रकारको मानी गई है-कृष्ण परे। दूसरेक मतमे-हिक मधुके साथ या अक्षर नोट, कपोत, पीत, पा और शुङ्ग। इसे जैन रोग जीवका पर्याय भीमााते हैं। रसके साथ सेवन करनेसे तद्रा और कासयुन दारुण ले एथ्य (स.नि.) १ नाशयोग्य, घरवाद होने लायक ।। मोद विनष्ट होता है। २छिन्न करणोपयोगा काटने लाया । ___ चतुरङ्गायले ६-सिद्ध आयर को पीस कर दास लेट (स. पु०) विश्वन इति लिश पालात् तुन् लोट । और सौंठ के साथ मिलाये। पोछे मधुके साथ चाटनेसे देला, पत्थर भ्यास, कास, मू और अरुचि ए होता है। लेष्ठुइन् (स' पु०) लेष्टु हन्ति हन-ढक् । रोष्ट्रमेदन, (मावप० मध्यस.) पदार फोडना। द्रव और पल्क धनाने में जैसा माग घनाया गया है, रेष्टुभेदा (स.पु.) लटु मिनत्तीति 'मिद व्युट । लोष्ट । मले का माग भी पैसा हो नानना चाहिये। भङ्गसाधन मुद्गर, पत्थर फोडनेका मुगदर। पर्याय- अवलेह देयो। फोटो लेन, ले भेदी, चूर्ण दण्ड। लेह-~पक्षावप्रदेश कारमोर राज्यान्तगत लदाख राज्यका रेस (म. खो०) १ कनावतू या किनारे पर रोक्नेको प्रधाा नगर। यह अया० ३४ १० उ० तथा देशा० इमीमारी और कोइ पटगे, गोटा । २ येल । (०)। ७७ ४० पू०१ मध्य सिधुनदफे उत्तरी कून्से १ कोस ३ मिट्टाका गिलाषा जो दोषार पर लगाने लिये बनाया की दूरी पर अवस्थित है। यह स्थाा सिधुनद और जाता है। ४ पिसा वस्तुको पानी में घोल कर तैयार पावती पर्वतमालाओं के मध्यस्थिन समारत पर किया हुआ गाढ़ा गिलापा, चेप। पसा हुआ है। यहा नगद जगइ गोलाकार दुर्गवाटि Vol x2