पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३७३

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. ३७८ लोनार-लोनी यह स्थान अति प्राचीन है तथा पर्वतकी तराई में | हृदगर्भमें गिरता है । इस प्रस्रवणके मामने पक अवस्थित है। यहां लोना नामका एक तालाव है। मन्दिर है। जिसका जल नमकीन या खाग होता है। कहते हुदके ढाल देशके दनप्रदेश और जलगर्म मध्यपत्ती है, कि इन हदके गर्भ में दानवश्रेष्ठ लवणासुर रहना स्थानमें एक विस्तृत दलदल है। वर्षा ऋतुम वह जलसे था। गोलोकविहारी विष्णु सुन्दर वालकका रूप धर भर जाती है, किन्तु और समयमें जल ग्नुप जाता या वह कर धरामें अवतीर्ण हुए थे। वालकले मोहन रूप पर जाता है जिससे चारों ओर ही एक विस्तीर्ण क्षेत्र नजर मुग्ध हो कर लवणासुरने अपनी दोनों बहनों के साथ | भाता है। उसमें कभी भी कोई अन्न पैदा नहीं होता। उनका विवाह कर देना चाहा था । पीछे विष्णुके। हदका जल सारा होनेसे इस दलदलका मिट्टी भी वारी मोहजालमें पड़ कर उन्होंने विष्णुसे अपने भाईका हो जाता है। इसलिये सूप जाने पर यह सफेद दिग्नाई निभृत निकेतन बतला दिया । तब विष्णुने पाद पडती है। तब इस मिट्टीस नमः वनता है। वहांक रपर्शसे उन गुप्त वासभवन के पत्थर उखाड डाले और नमकम सेफडे पीछे ३८ भाग अदाराम्ल, ४०६ झार भूतलम प्रवेश कर घरमे सोये लवणासुरको यमपुर भेज (soda ), २०६ जल और ०५ कठिन पदार्थ तया दिया । विष्णु द्वारा लवणासुरके तिहत होने पर उसी थोडी मानामे सलफेट मिलता है। यह सजोमिट्टी जगह उसकी समाधि हुई तथा उसके खूनसे यह गर्ग मर साबुन बनानेमे मा काम आती है। आया। आज भी स्थानीय लोग लोनारहदके खारे जलको लोनारा-अयोध्याप्रदेशके पदोई जिले के अन्तर्गत एक लवणासुरका लह तथा विष्णुपादस्पर्शसे पवित्र समझते। नगर। करीब साढ़े तीन सदीके पहले निकुम्मोंने मुह- हैं। निकटवत्ती यायाल नामक स्थानमे एक गएटोल | मड़ीसे दक्षिण आ फर यहाँके आदिम अधिवासी है। इसकी लम्बाई और लोनारहदका घेरा करीव समान | कमानगारोंको मार भगाया और इस नगरको अपने है। जनसाधारण इस शैलको लवणासुर-भवनका आच्छा- कन्जेमे कर बुट रहने लगे। आज तक भी निकुम्भगण दन-प्रस्तर समझते है। विष्णुके पैरकी अंगुलिके स्पर्शसे | यहाँके सत्त्राधिकारी हैं। वह पत्थर उछल कर यहां गिर पड़ा था। लोनिका (हिं० कि० ) लानी नामक साग । इस हदका प्राकृतिक सौन्दर्य वड़ा ही मनोरम है। लोनिया (हिं० पु०) र एक जाति । ये लोग लोन या नमक इसके चारों ओर वृत्ताकारमें चार मो फुट उच्च पातकी बनानेका व्यवसाय करते है और शूद्रों के अन्तर्गत माने चोटी विराजित है। इस चोटी पर असख्य मन्दिर और जाते हैं। (स्त्रो०)२ लोनो नामक साग। कीर्तिस्तम्भ खडहरों में पड़े हैं। आज कल वह लोनो (हिं स्त्री०) १ कुलफेकी जातिका एक प्रकारका एक जगल बन गया है। उसके ऊपरके किनारेकी परिधि ) साग। इसकी पत्तिया बहुत छोटो छोटी होती है। प्रायः पांच मोल तथा जलके आस-पास स्थानकी परिधि यह ठंढी जगह पर उत्पन्न होती है, इसका स्वाट सटास प्रायः तीन मील है। इसके अलावा किनारेको ऊचाई होता है। इसमें तरह तरहके फूल लगते हैं। इमको १७ से ८० तक है। हृदको गभीरता और उसके ढाल | लोग गमलामे वोते हैं और विलायती लोनी कहते हैं। किनारेको देख कर भूतत्त्वविद् कहते हैं, कि वह एक समय इसके बीज विलायतसे आते हैं। २ वह क्षार जो चने किसी आग्नेयगिरि (ज्वालामुखी पर्वत ) का मुंह था। आदिकी पत्तियों पर बैठता है । ३ एक प्रकारको मिही। पार्श्ववत्ती पर्णनके पत्थर आज भी उसकी साक्षा देते। इससे लोनियां लोग शोरा ओर नमक वनात हैं। हैं। यहा नाना तरहके पेड़ दिखाई पड़ते हैं जिससे उस- लोनो-युक्तप्रदेशके मीरट जिलेकी गाजियाबाद तह- की शोभा और भी बढ़ गई है। सीलके अन्तर्गत एक प्राचीन नगर । अभी यह नगर ___ हृदके दक्षिणस्थ पर्वतपृष्ठमे एक छोटा गर्त या प्रत्र । श्रीभ्रष्ट और जनमान्य हो रहा है। दिल्लीश्वर पृथ्वीराजके वण है । यहासे हमेशा मीठा जल निकल कर तेज धारासे | प्रतिष्ठित एक प्राचीन दुर्गका खंडहर आज भी उस कोर्ति-