पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३८०

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लोमशकान्ता सोय लोमकान्ता (स. खा०) लोमश कातो यस्या ।। लोमशातन धनता है। लवण, हरवाल, तण्डुलोफल तथा वक्टो, रही। लाक्षारस इन सब द्रयोंको एक्त्र र प्रलेप देनेसे भी लोमशकोड़ा (स. स्त्री०) लोमशान्ता दखा। लोमशातन होता है। फिर करि चूर्ण, हरताल, शड्डा लोमशच्छद (स.पु०) १ देवताडरक्ष रामघास २पोत मन शिला, सैघा इन सयका बरेचे मूबफे साथ पीस देवदालो पीला घघरयेल। पर लगानेसे तुरत लोमशातन होता है। वैद्यफमें लिया लोमशपत्रा (स ० स्त्री०) पोत देवदालो, पीली घघरवेल। है, कि भिलावा, विडड, यवक्षार सैधव, मन शिला लोमशपत्रिका (स.बी०) लोमशपता, घरयेल। | और चूर्ण इन सर्वोको नेलमें पका कर उसका प्रलेप मशपणिना (स. स्त्री०) लोमश पणमस्त्यस्या इति । दोसे रोमशातन होता है। (भेषज्यरक वशीकरणाधि०) इनि डोप । मापपर्णी नामक ओपधि । लोमशो ( स० स्त्री०) करंटो, कही। रोमशणी ( स ० स्रो०) लोगशपणिनी देखो। लोमश्य ( स ० क्लो०) लोमबहुलता, रोए को ज्याददी । रोमापुष्पक (स.पु०) रोमणानि पुष्पाणि यस्य, कप।। लोमसदर्पण ( स ० लो०) लोमहपण, रोमाच । शिराप, सरिम। लोमस (स.पु०) लोमश देखो। रोमगार्जार (स0पु0) लोमशो लोमबहुलो मालार । लोपसार (स.पु.) मरक्त मणि । मारि विशेष, एक प्रकारको विल्ली। इसके बाल कोमल लोममिक (सस्त्री) गाली, सियारिन । होते हैं और इसमे मुश्क निकलता है। पर्याय--पूतिक लोमहप (स० पु०) लोग्ना हर्ष । १ रोमाञ्च, पुरक । म रजाता, सुगधी, मूत्रपानन, गधमार्जारइसका ) २एक राक्षसका TIHI (रामायण ११२६१३) मुश्क चोर्यपद्धक, पावातनाशक, पपष्ट और पोष्ठपरि , | लोमहषण (स को०) लोग्ना लर्पणमिच । १ रोमाञ्च, कारक, चक्ष का हितकर, सुगध, स्वेद और गधनाशक पुलक । लोम्ना हर्पणमस्मादिनि । (नि०) २ लोमहर्ष माना गया है। फारक, रोमाञ्चकारों। (पु०) विवित्रपुराणधाश्रयणात् गेमशवक्षस् (स.नि.) रोमाच्छादित पक्ष या घपु, रोम्ना हर्पण उद्गमा यस्मात् । ३ प्रसिद्ध प्राचीन प्रपि। जिसकी छाती रस भरी हो। इनके पिताका नाम सूत था। सूत घेदव्यासको शिष्य थे। लोमशमथि (म त्रि०) पवादमागमें लोमयुक्त । शुक्ल । कतिपुराणमें लिखा है, कि परशुगमने इन्हें मार डारा था। यजु (४१) भाष्य, मदीधरने 'बहुरोमपुच्छिका" अर्थ | रोमपणक (स० वि०) लोमहर्षण सम्बधीय । किया है। लोमहर्पिन (स० वि०) लोमकारक, रोमाञ्चकारी लोमशा (स. स्त्रो०) मानि सत्यस्या इति लोमन् ऐसा भीषण जिससे रोप बड़े हो जाय । टाए । १ काकजड्डा, मासौ । २ यच । ३ वैदिक कालकी रोमदारिन (स.लि.) गमवाहिन् । पक सी जो कर मत्रोंकी रचयिता मानी जाती है। लोमहत् (स० पु०) मानि हरति नाशयतोति ह दिए । ४ गिग्बी, सोमको फलगे। ५ महामेदा। ६ कसीस। हरिताल दरताला ७शफिनीगेद। ८ वतिघला। शणपुष्पो, वनमाह ।। लोमा ( स० सी०) यचा, यव । १० एव्याय। ११ गधमासो। १२ फेवाच, कोछ। लोमायणि (स.पु०) रामायणका गोलापत्य । १३ मियी, सौफ।१४ क फोलो। लोमालिका सत्रा०) लोमाल्या लोमश्रपया कायतोनि लोमशातन (स० को०)लेना छातन । १ रोमपातन, केकराप। शृगालिया, सिपारिन। लोमपाशक । २ मोपविशेष, यह सीपय वाल पर लगा | लोमाश (स.पु०) गाल, गीदड। देने वाल मापसे आप उस जाते हैं। गडपुराणम | लोमाशिश (स.स्त्री०) शृगाली, गीदहो। लिया है, कि हरवाल और पूर्ण केले पत्तेकी रोय(हि.स.)१लो, लपट । (०) २ मारा, नयन । भस्मफ साप गिला कर रोए पर प्रप दनेसे उत्तम (मध्य) ३भी देखो। fol 197