पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३८१

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लोर-लोवा लोर (हिं० पु०) १ कान का कुण्डल।२ लटकन । आन्।। दो गुरु होते हैं। इसमें सात सात पर यति होती है। लोरी (हि. खो०) १ पक प्रकारका गीत । लियां बच्चों-- ६४ हाय लम्बी ८ ह य चौटी और ६हाथ को मुलनेके लिये यह गीत गाती है। साथ ही अंची नाव। बच्वेको गोदम ले कर हिलाती सो जाती है अथवा बाट लोला । हिदु०लड़का खिलौना। यह एक पर लेटा कर यपको देती जाता है। २ नातकी एक उडाहोता है जिम दोनो सिरों पर ट्रोल होते हैं। जाति। लोलाक्षिका ( स० जी०) र्णितलेोचना, वह स्त्रा टोमी (लुमि )-मध्यप्रदेशके विलासपुर जिलान्तर्गत | जिसकी आरं वकराती हों। पक जमींदागे। इस जमीदारीके अधिकारी एक वैरागी लोलार्क ( स० पु० ) लालनामा अर्क। सूर्य । महादेव- है। १८३० ई०मे उनके पूर्वजोने यह स्थान जागीरस्वरूप | ने सूर्यका लोल नाम रावा या इसलिये मृयाका लोलार्क पाया था। भूपरिमाण ६० वर्ग मील है। लेग्मी गांव कहते हैं । (कर्मपु० और कानीया) यहांका प्रधान याणिज्यस्थान है । यहा नाना तरहकी लोलिका ( म० स्त्री० ) लालतीनि लुल-ण्वुल टाप् धन फसल लगती है। त्वं । चाङ्गेरी, पट्टी लेानी । लोल ( स० वि०) लोहनीति लुड़-बिलोड़ने मच । लोलित ( स० वि०) लुल-त्रिमर्दै धम् लोलः सोऽरर १ चञ्चल। २ कम्पायमान, दिलना डोलता ! ३ परि- जातः इति । श्लथ, ढोला। वर्जनशील । ४ क्षणिक, क्षणभंगुर। ५ उत्रनुक, अति लोलिनो ( स ० वि० स्त्री० ) चञ्चल प्रनिवाली। इच्छुक । (पु०) ६ नामस मनु । ( मार्कण्डेयपु० ७१४१ ) लोलिम्बराज ( स० पु० ) वैद्यकनिघण्टुके प्रणेता। ये लिनेन्द्रिय। दिवाकरके पुत्र और हरिहरकै निष्प थे। इन्होंने चम- लोलक (सं० लो०) १ लटकन जो बालियों में पदना कार-चिन्तामणि, रत्नकलाचरित्र, वैद्यजीवन, वैद्य जाता है। यह मछलीके भाकारका या किसा और बिलास या हरिबिलास, वैद्यावतंश, हरिविलासकाम्य आकारका होता है। स्त्रियां इसे नय या वालोंमें पिरो और लोलिम्बराजीय नामक यौर भी स्निने वैद्यक अन्य कर पहनती है। २ कानको लब, लोलकी। ३वटी प्रणयन किये। या घटेके बीचमे लगा हुआ लटकन जो हिलानेसे इधर | | लोलुप (सं० लि. ) गहित लुम्पतीति लुभ यड् अच् । उघर टकरा कर घटीमें लग कर शाद उत्पन्न करता है।। ४ में मिट्टाका एक लट्ट । यह राछ, इसलिये १ अतिशय लव्ध, बड़ा लोमी। २ किसी बात के लिये परम उत्तुर । ३ चटोर, वह । लगाया जाता है, कि उसकी ऊपर या नीचे करके राछ । | लोलुपता (स० स्त्रो० ) लोलुपस्य भावः तल्-टाप् । उठा या दवा सके। लोलकी (दि स्त्री०) कानका वह भाग जे गालोंके। लोलुपत्व, लोलुपका भाव या धर्म, लालच । किनारे इधर उधर नीचेको लटकता रहता है। इसी में छेद | लोलुभ ( स० त्रि०) भृशं लुपतीति लुभ यड. अच । करके कुएडल या बाली आदि पहनने है। लोलुप, लालची। टोलजट (स.पु.) वृहत्संहिताके नमार पनपता लालुया ( स० स्त्री० ) काटनेको दृढ प्रतिज्ञा। जा ईशानकोणमे है। लोलुप ( स० वि० ) पुनः पुनः कर्त्तनमोल, बार बार लोलदिनेश (सं० पु० ) लोलार्क नामक सूर्य । काटनेवाला। लोला (स'० स्त्री०) लोल-टाप् । १ जिह्वा, जीम | लोलोर (संक्ली० ) एक नगर का नाम ! (राजतर० १०६६) २ लन्यो । ३ चञ्चला स्त्रो। ४ मधु दैत्यकी माता। लोट-कल्पवृक्षगना नामक दीधितिके रचयिता। ५एक योगिनीका नाम। ६ एक वृत्तका नाम। इसके खोलटनह-काव्यप्रकामधून आलङ्कारिकभेद । प्रत्येक चरणमें मगण, सगण मगण, संगण और मातमें ' लोवा (हिं स्त्री०) १ लामड़ी। (३०)२ तीतरको जाति