लोग-मोह
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का पक पक्षी। यह बटेरसे छोटा होता है और काश्मीर, । लोष्ट (म • पु० ) लेट, ढेग।
मध्यप्रदेश तथा सयुक्तप्रातमें पाया जाना है। नर | रोष्द्र (स.पु.) रोट रन् । राष्ट देला।
प्राय मादासे कुछ अधिक बढो होता है। शिकारी रोसर-पायप्रदेश के काइडा जिले स्पिति राम्या त
इस शिकार करते हैं। इसे गुरगा भी कहते हैं। र्गत परतपृष्ठस्थ एक गएडग्राम। यह अभा० ३२ २८
गया-अयोध्या प्रदेशके उपाय जिला तर्गत एक ३० तथा देशा० ७७४६ पू० तक पिस्तृा है तथा समुद्र
नगर । यह अक्षा०२६ २० तथा देगा ८११ को तहस १३४०० फुट ऊचा है। इसके अलाना और
पू० मध्य स. पदी तट पर भरस्थित है। पूना पर | काइ मा गाय इतने ऊचे पर नहीं है।
उ*नार गरके साथ यदाका व्यापार चलता है। लोहड़ा (हिं० पु०) लोहेका एक प्रगरका पात जिसम
लोवागढ-पखावप्रदेश द मिलान्तर्गत पर पत। पाना पकाया जाता है। क्भा कभी इसमें दस्ता भी
मैदानी दम्ो। | लगा रहता है। २ तसला।
टोगन (10 पु०) अधिक पान म घुली हुइ ओपधि । लोह (स० पु० क्लो०) लूपनेडोनेति लू वाहुरकात् ह ।
यह रोरम उारसे रगाने, तिमी पोडिन अप धोन | स्पेनामररात धातुविशेष हा । सस्हन पयाय-ह,
या तर रखने सादिरे काममें गाती है।
जोङ्गक, सर्वतजस, रधिर । तीक्ष्ण, मुण्ड और कान
रोशरापणि (स.पु.) एक प्राचीन प्रयास मेदसलेोद तीन वारसा होना है। मुण्डलोदक पर्याय-
रोण ( स० पु०मी०) रोएत इति लोप घम् यदा यत । मुण्ड, मुण्डायस, दूपत्मार, जिलात्मज, अश्मन । कान्त
दशी टू (ल एपनिती। उण १२) इति प्रपन निपात , रोहके पाय-आर, पृष्णायस । तीक्ष्णहके पयाय-
पात् साधु । १ मृत्तिावएड, देला। पयायोष्ट तीक्ष्ण शनायम, शस्त्र, पिएड, पिएटापस, शट, भायम,
दलि। लौदमर । ३लेष्टु।
निशित, तीत । इग, मुण्डज, थपस, चित्रायम घीना ।
रोटा ( स० पु०) १ मृत्पिण्ड। २ चन्दन ॥ दि रम्रन
वैज्ञानिक विवरया नौह शब्दमें दग्ना।
पी रस्तु।
वैद्या मतस इसका गुण-पक्ष जण निर, वात
लोधन (स.पु.)ोट ताति इन टर। तो पित्त, कफ, प्रमेह, पाएड और शूलनाशक ।
पर औजार जिसमे खेत के देले फोडत हैं, पटेला। ____ मनुमं लिया है, कि अश्म (पत्थर ) सहदेवी
गोष्टदेव-चीनामदनस्तोत्रके रचयिता तथा रम्यदेव । उहात्ति होती है।
पुत्र । 4 U'कएठनस्तिक प्रणेता महरे मममाम ___पैया में रोहको उतात्ति, गुण और मारणादिक्षा
विष पे।
विषय इस प्रकार रिखा है।
रोपन ( स० को०) मृत्पिण्ड ।
पुगार देर रानव युद्ध में देवताओं द्वारा ठोमिल
रोएमेदा (म० पु०) मिनतोति भिटायु, नष्टस्य भेदन | TIम दानर मारा गया था। उमीक शरीरसे भाग
लाष्टमगसाधन मुद्गर, यह मुगदर निसमे देला पोहा प्रारके रेहेकी उत्पत्ति हुइ । लोद विशेष उपकारको।
जाता है, पटेला। पर्याप-टभेदन, रे।एन, अनुन्न । सैरन या बीपघमें इस शोधन पर ध्यरहार किया जाता
पाटि पोटो
है। गोधित रोक्ष विशेष उपकारी है। अशोधित
लोटमदिन ( स ० ० ) परेशा।
दका रूपन रिनेमे पण्डता, छ, होग, श्रष्ट,
रोमय (स.नि०) रोटस्वरूपे मघट लारन्यरूप | अमरी, सुहास आदि रोग उत्पन होत हैं। इमसे मृत्यु
देने समान।
11 भी हो सकता है। इसा व्यवहार पदापि नहीं
गेष्टपत् (स. त्रि०) मृत्तिकानिर्मित, मिझोरा यना मा।। कसा चाहिये।
लोटस-एर मातीन कथि।
। नोधनप्रणाली-लोहका बारीक पत्तर या बर माग्न
रोटाक्ष (स० पु०) एक ऋपिका नाम । (Healरकौतुदी) । म सलाय । पाछे गरम रहते उस पर यथाक्रम तेल, मट्ठा,
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३८२
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