लोहकान्त-मोहपारक
लोहबान्त (नं0 .) लोहः कान्तोऽस्य | अयस्कन, लोहज (नक्ली०) लोहालायने ऽनि जन-ड। १ लाह-
बुवक।
किट्ट, मण्डर । २ कांस्य, कासा ।
लोरकार ( पु० ) लोह लोहमयं शस्त्रादि करोतीति लोहना (म. पु० ) १ ब्राह्मण । (कथासरित्सा०५२।८४)
- लौहकारटा, लोहार ।।
२ महाभारत के अनुसार एक जाति ।
मोइशारक ( स० पु० ) लोह तन्मयशस्त्रादि करोतीति | लोहज ल (सं० जी०) लोहनिर्मिन जाल, पद जाल जी
-बुल । लोहार, कमार । पर्याय-व्योकार, लौहकार, लोहे के बना होता है। २ वर्म, वकतर । ३ लाहका
याचार, वर्माशर, सार । जातिमालाके मतसे ) पत्तर।
ग्बालेके औरम और जुलाहिनके गर्भसे इसकी उत्पत्ति | लोइजित् ( स० पु० ) हीरक, होगा
लोहतारिणी (0 स्त्री० ) महाभारतके अनुसार एक
लोदकारी ( स्त्री० ) नन्त्रोक्ता यतिबला देवी। नदी।
लोकिट ( स० क्ली०) लोहस्व लिट्टा लोहमल, लोहनी लोहदारक (स० पु०) नरकमेद ।
मीट या मैल । यह मढे में डाल र लोहे को गलाने या लोहदाविन् ( स० पु.) लोहानि द्रावचनीति इ-णिच-
नाव देनेसे निकरती हैं। उता पर्याय-हि, लोह- णिनि । १. रणक्षार, साहागा। २ अस येत ।
चूर्ण, अयोगल, लोह, कृष्णाचूर्ण, लोष्ट । वैद्यकम उन लोहनगर ( स० को०) एक प्राचीन नगरका नाम ।
कृमि, वात, पित्त, याट, मेह, गुल्म और मोकका नाशक
(कथामरित्या० २७५८८)
लिया है। इसका स्वाद मधुर और कटु तथा प्रकृति उण लोहनाल (गं० पु० ) लोहम्न्य नालं दण्डो यत । नाराच
मानो गई है। मपट्टर देन्यो ।
नामक बला नाराच देखो।
लोहगढ-बम्बई प्रेसिडेन्मीय पृना जिलान्तर्गत भारगिरि- लोहपञ्चक ( स० क्लो० ) साना, बांदी, ताबा, रागा और
सम्टके सोच गिसर पर स्थित एक नगर और दुर्ग। नीमा वैद्यक्के अनुसार पञ्चरोह कहनसे उक्त पांव धातु
वाटलाने दो मान दक्षिण-पश्चिममे अवस्थित है। समझी जानी है।
१ मे महाराष्ट्र-जलदस्यु कान्होजी बनियाने यह लोहपाश (सं० पु०) लौहट्टाल, लोहे की मेनटा या
दुर्ग कव्जा कर लिरा। एक सदी वाद शेष मगठा जजीर!
पेशवा बाजीरावके साथ लडाई र १८५८ ई० मे अगरेज लोहरपुर ( स० क्लो०) प प्राचीन नगर ।
लेनापति लेफ्टनेंट कर्नेल प्रोयरने इस स्थान पर अपना लोहपृष्ट (सं० पु०) लोहस्येव कठिनं श्यामल' चा पृष्ट
दल जमाया। १८४५ ई०से यहां पक सेनाके अधीन यस्य । १ कडुपक्षी, कांक । (त्रि०) २ लौहमय पृष्ठयुक्त।
अगरेजी सेना रहती है।
लोहप्रतिमा (स० स्त्री०) लोहस्य प्रतिमा । लोहमयी
लोहन्ध (सं० पु०) महामारनके अनुमार एक जातिका प्रतिमा। पर्याय-सूमी, स्थूणा, शर्मि', श्रम, शूमिका ।
नाम।
लोदवड ( स० वि०) लौहमण्डित ।
लोहागिरि ( पु० 97 पर्वतका नाम।
लोहबान् (हिं० पु०) लोबान देखा।
लोयानक ( ० पु० ) कर्मकार नामक जाति । इस लाइमय ( स० दि०) लोह खन्न मयट्। लात्मक,
जातिलोग दोहेको तपा कर पीटने है।
लोहेका बना हुआ।
लोहचारिणी ( स्त्री०) प नदीका नाम । इसे लोहमारक (सं० पु०) लोहमाग्यनि जारयतीति मृ-णिच.
लोहतारिणी भी कहते है।
प्रचुल । १ शालिञ्चशाक, शाचि नामक साग १ २ रसेन्द्रमार
लोहचानिश (गं० क्ली० ) एक प्रकारका बकतर जिससे संग्रहके अनुसार द्रव्यगणमेद । इस गणोक द्रव्यके द्वारा
मारा शरीर ढका रहता था ।
लोरेमें पुट देनेने लोहमारण होता है इसलिये इसे लाह-
लोहचूर्ण (सं० लो०) लाइस्य चूर्ण। लोहकिट। । मारक कहते हैं। इसका दूसग नाम त्रिफलादिगण भी
पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३८५
Jump to navigation
Jump to search
यह पृष्ठ शोधित नही है
