पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३८८

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लोहारदंगा अनागं माम्यदलपतिगण एक ममप सभ्यताके संमि | अगरेज पजेएट पप्तान कनाकके सामने आ पर पलामू धणसे साम राजरूपमें गिने नाते थे। इन दलपतियोंमें राका यथार्या उत्ताराधिकारी घोषित पिया। कानून गो जो दरबल के साथ शर के आनेके पथ घाटोको रक्षा की प्रार्थना पर कप्ता पर्नाकने कहा, कि गोपाल रायो परता था यह घाटयाल या सरदार बहलाता था। ममी राजसिंहासन पर बैठनेमें अगरेन-पौएटका मोरसे घे सब सरदार अपने देश और समानमें पूारत् पूज्य मदद पहुचायंगे। तदनुमार उहोंने उस समयके पररामू हैं। यहा अगरेजी शासन फैलने पर भी मुएडा पा) राजशे परास्त पर गोपाल राय और उनले दो भाइयों ओराउन-नेताओं के अधिकारमें उतना धक्का नहीं पहुचा को पाच वषकी सनद दो। तमोसे पलामू विभाग है। परतु म गरेजोंके अधीन रहोसे ये लोग अब पहरे अगरेजाधित रायगढ़ जिले के अतभुक्त हुअा। इस को तरह रणमें या लूटमें प्राप्त यन्दियोका नृशसरूपसे | घटनाके दो वर्ष बाद कानून गो उद्धन्त रायफे त्या हत्या और अमानुपिक महिपोत्सर्ग आदि पाशविर मत्या काण्डमें लिप्त रहनेके अपराध में विश्वासघातक गोपाल चार करने नहीं पाते । पृटिश गरमेंट के कठोर शामासे | राय कारारुद्ध हुए और वसात राय गद्दी पर बैठे। वे सभी शात हो गये हैं। १७८४ इ० को पटना नगरमें गोपाल रायकी मृत्यु हुई। लगभग १६१६ इ०में मुगठ-सम्राट जहागीर बाद | राजा वसन्तगयका भी उप्ती साल देहात था। पीछे शाहके राज्यकाठमें मुगल सेनाने कोका (असल छोरा | चूडामण राय राजसिंहासन पर बैठे। ये १८१३'३०र्म नागपुर)को अधिकार किया। इस समय यहाकी जालसे जडित हो गये इस कारण वाकी खजाना न क्सिी किसी नदाम हीरा मिलता था। यद्ध विनय | देनेके कारण पृटिश गवर्मेण्टने उनका पलामू सम्पत्ति और होरा मिल्नेश समाचार पा पर दिल्ली दरवारमें | सरोद ली। बडो धूमधामसे आनन्दोत्सव मनाया गया था। इति ___ गया जिसके अन्तर्गत देव विभाग राजा फतेनारा हास पदनेमे मालूम होता है, कि उक्त घटनाके बाद यण सिहको सहायतासे उपरत हो अगरेज गनमेंटो १६४०६० इ०के मध्य मुसलमानोंने पर पार पलामू पर प्रत्युपकार गौर पुरस्कार स्वरूप १८१६ १०म उ ई परामू मात्रमण किया, पर एक बार भी ये इतकार्य न हुए। सम्पत्ति जागीर स्वरूप दे दी। रामा फतनारायण न्याय आसिर १६५० ६०म दाऊद खान पलामू दुर्गको आममण पूर्वक रापस्य नहीं उगाहते थे तथा प्रजा पर मारी अत्या रिया और जीता। उनके पशुधन उस दुर्गम ३० पुर चार करते थे। फ्लत ममी प्रना धागो हो गइ। १८१८ हम्मे और १२ पुर चौडे पर व चित्रपट पर उनका इमें मनरेज-गयमेष्टने यह सम्पत्ति पुा हस्तगन आरमण कौश7 लिख दिया है। कर ली। दाऊद द्वारा पलामू दुग जीते जानेके वादसे लेकर अनमोके पलमें मानेने बाद पलामूने शालभार १७२२ ६० तक यहा और कोई ऐतिहामिक उल्लेपनाय, धारण किया है। १८३१ ०1 छोटा नागपुरमें फोर घटना देखने में नहीं आता। शेशेत यमें स्थानीय सामग्त विद्रोह उपस्थित हुआ। पहा इतिहासमै 'याड विद्रो।' राज रपाजित् राय गुप्तरूपसे मार डाले गये। पीछे नामसे प्रसिद्ध है। छोरा नागपुरक मदाराज भात्मीय अहीके भताजे पयरप्या राप गदा पर बैठे थे। कुछ दिन और अनुरोंत अत्याचार ही इस विद्रोदा पारण रायपुखरा सम्भोग करके जयर'णने पर छोटो रडार था। १८३८ १० मा मासमें महरेजोंके यत्नसे पद में प्राण विसर्जन किया । पोडे उनकी स्त्री और परिवारके । मा गया। मानभूम गया। सभी लोगों ने विहार प्रदेशके मतर्गत मंगरा नाम | इस भीषण चिद्रोदन कोल्गण ऐसे उत्तेजित हो गये म्यानमें मादर यहाँफे कानून गो उदय त रायका माश्रय थे, कि बहुत गा सरावाफे बाद भा यान्त न हुए। लिया। उदयन्त राय १०७० ६०म मृत राना रणनित् राय बससे ग्राम स्टे और जलाये गये गा मरनस पृथ्वी के पौत्र गोपाल रापको पटनेमें लाये थे, पाछे यहाफे , सराबोर हो गह। पाछे गवानारायण आदि दस्युदउनेना Poli,99