पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३९४

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लोगातिमारकर लौह है। आपाध्याय, उपनयनत , काठगृह्यसूत्र, प्रारा लोम ( स० वि०) लोम सम्बधीय । २ हमसे ध्याय और श्लोक्तपण नामक प्रथहीके बनाये हुए उत्पन। हैं। पैटीनमा, विज्ञानश्वर तथा हेमादिने रोगाशि स्मृतिका लौगायन (स० लि.) लोमक सम्बाय। भी उल्लेप दिया है। लीमकायनि (स.पु. लोमकका गोलापत्य । लौगानिमार-यंस प्रहनामक मीमासाशास्त्र प्रधक लोमकीय (म०वि०) लोमा सम्बाय। प्रणेता। इनक बनाये और मा क्तिने दर्शनशास सम्व न्य (रा०नि०) रोम बहुल, जिसके बहुत रोए । "घायघमिलते हैं। रौमशीय (० लि०) १ लोमशमे उत्पन्न । २ लामा रोज (१० पु.) १ वादाम ! २५ प्रकारका मिठा जो सम्पकोय । काट कर तिकोनिया दरपीके गाकारको बनाइ जाती है। महाक (सं० लि.) शमणक्त, जिससे रोगटे इम प्राय बादाम पीस कर डाला जोया है। खडे हो गये हों। रौटना (हिEि) कहीं ना कर पुन वक्षसे फिरना |लोमद ििण (स पु०) गणका गोवापत्य । यापम आना। २३धरसे उधर मुह फेग्ना पोछेकीलोमायन (स. त्रि०) १लाम सम्बन्धोय । (पु.) योर मुह करना। २ लोभनका गोलापत्य। नोटपोट (हि.कि०) १ दोरम्वो छपाइ, यह छपाइलोमयन्य ( स० पु० ) मनके पशघर। जिममें उररा सीधा न हो । २उटो पुरी निया। गौमि ( स . पु०) लोमका गोलापत्य । लोटपोट देखो। लीलोह-प्राचीन स्थाभेद। (रानतर० ७११२५३) गी'फेर (हि. पु.) घरका उधर हो नाना, उलट |ौमिक-एक प्राचीन पनि। फेर। लील्य (म. १०) लालस्य भार । १चाश्चय, तो ( हि ० रो०) टोकी क्रिया या भार। अमिधरता। २ गस्यायिय, तोपत्व । ३ छा रोटामा (हि० कि०) १ फेरना, पलटा। २ वापम स्पृहा। शैशिल्य, शिशिरता। गेल्यता (स. स्त्री०) पल्पती माकाटमा गहरी इच्छा। बरना। ३कार ना करना। होगनी (kिo frofre) लौटते समय लौटी हार। | लोल्यरत् (स. त्रि०) १ गतिशय स्पृहाशील, पहुत इन्जु । २मर्थगृध्नु अर्थलोलुप । ३ बााक्षा रोडा (हि० पु.) शिश्न, लिङ्ग, पुरुषका मूठिय। युक, इन्दुरु। गैद (दि. पु.) अरहर आदिकी नरम डाली। इसमें लीरा (स.पी.) पर प्रकार साम। छाना छानेका काम लिया जाता है। | लौह (सं० पु०)ोह पय । स्वनामप्रसिद्ध गोद नामक धातु। सौदरा (हि.पु.) लौद देखो। इम धातुकी उत्पत्ति पृथ्ष गभम है । इसम नाना प्रकार रौतहार (हि. पु०) तीनो परनेवाग, वेत पारने , के गुण रहो के कारण दूसरे दूसरे देशोंके चिकित्सा याला। 1 तथा कौन सफ रासायनिक वलायलको परीक्षा लीना (वि.पु.) १ यह रस्सी जिमस पिसी पशुके एक करके औपधके रूप में इसे सबन पानेको कदा खनिज अगले और एक पिछले परको एक साथ वाघ ६, जिम गैह इसारा दुसरा योषधियों के योगसे शुद्ध किया जाता में गुला छोड़ दने पर भी यह दूर तक न जा सके। है। लोहके वैद्या मतसे निम्नलिखित तेरह प्रकार के २६धा, जापा। पसल काटनेका काम करनो। सार साधित मुप है- शालिघर्षण, २ उदत्तन, ३ सौनी (दि. खो०) १पमाको मरनो बटा डावा, मममारन, ४ मातपशोप, ५निक मारण, न, रहना। ८क्षान्न, सूर्यगार, १० स्थानोपार, ११ चूर्णन, १० सौरस ( TO Ato } समिमे । | पुटपाक १२ १३ पानिपत