पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/३९९

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प्रस्तुत प्रगाली। | जो के रहता है उमा हो कर यह निकल पाता है तथा वाणिज्य के लिये बाजार मे जो लोहा देखा जाता है, लोहा दूसरे छेदसे बाहर आना है। यह तरल लोहा उससे यह प्राकृत लौह बिलकुल स्वतन्त है । पत्थर कोयले जय भटिन होता है, तब उसे प्राप्ट या पिग ( Cast or का एक बड़ा चूल्हा बना कर उसमे लोहे पनिज | Pig) बहने है । भारतवर्ष के नाना स्थानॉमें साधारणतः यौगिकोंको सबसे पहले दग्ध कर लेन्से लोहा मुक्ता- ४ फुटसे १० फुट तक ऊंचा पार्ने देखा जाता है। वस्थामे लाया जाता है। इस प्रक्रिधारने जन्ट, कार्यनिक ____काष्ट सायरनमे सैकडे पीछे से ५ भाग अनार आनहाइडाइड और गन्ध कादि आक्सिजन द्वारा सलफर! नया सिलिका, गधर, फोरफोरम, आमिनम आदि डाइअकमाइड रूप बाहर निकल पड़ते हैं और लोहा अनेक प्रकारको धातु मिली रहती है। शार फेरिक अकनाइड रूपमें बदल जाता है। इस फेरिक __ लोहेको विशुद्धावस्याम लानेमें उसको फिरसे गलाना असाइड के साथ कोयला अथवा कोक तथा लाइमष्टोग होता है। उस समय वायुदे मागमजन द्वारा अन्यान्य (कार्बनेट आव लाइम) मिला कर प्लाट कार्नेस ( Blast | एदार्थों के साथ लोहे को सम्मिलित पर पीछे उन पांट lu' tcc ) नामक बडे चूल्हेमें उत्तन करने से लोहा कर जिस अवस्थामे लाया जाता है उनको रट (Hron आलिजनविहीन हो जाता है। ght) आयरन फहते है। रट थायरनमें मैं पीछे ___ स्वीडेन, रूस और पूर्व भारतीय देशों में इसी प्रयासे/ ०१५ से ०५ भाग घद्वार रहता है। जब मेमडे पीछे लोहानाया जाता है। नीचे लोहे के गलानेको चुल्ली और ०६ सं२० भाग बार रामारनि योग रोहे के लोहे की पर्यायिक परिणतिका विपर लिया जाता है- साथ रहता है, जब बहरयात कदलाता है। ___प्लाट फानम-ईटका यह चूल्हा बनाया जाता है। इस्पात बनाने मे रट आयरनको कोयले मी अग्निमे बहुन इसकी ऊंचाई ८० फुट होनी है। ऊपर और नीचेका भाग देर तक उत्तप्त परना होता है। पोछे उमको ठंडे जलमें विचले भागने कुछ चौडा होता है। नीचे बागु घुमनेफे अथवा तेलमे' दठान गिरा देनेसे बह बहुत शर्ड इम्पान में लिये नल, धातु गल कर बाहर होने के लिये छेद रहता परिणत हो जाता है । वद एम्पात हट जाता है। जो जो है। चाहे के ऊपरसे उपरोक्त फेरिक अक्साइड मिला पदार्थ बनानेमें जिम जिस प्रकारके इस्पातली जान देना होना है। ब्लाष्ट फार्नम व्यवहार करने का तात्पर्य होती है उसमे उसी प्रकारका पान देना आवश्यक यही चुन्हे के निम्नरियत नल द्वारा जो वायु घुमती है। है। इस्पातको २२१ सेरिट के उत्तापमें उत्तप्त पर धीरे उसने जोक दम्प हो कर कार्यनिक अक्साइड उत्पन्न धीरे टंढा कर लेनेसे यह बहुत कठिन हो जाता है। उम- होता है। वह काप जितना हो ऊपर उठता है, अङ्गार- से छुरी आदि वस्त्रादि प्रस्तुत होते हैं। यदि २८७ से. के द्वारा वह उतना ही आक्सिजनविहीन हो कर कार्यानिक तह उत्तप्त कर शीतल किया जाय, तो वह बहुत मजदूत अमाइडमें परिणत हो जाता है। पीछे यह कार्गनिक हो जाता है। इससे घडोके रिनग आदि बनते हैं। अनाडका आफ्सिजन आकर्षण कर लेता है उस वेपुर, सलेम, पालमकोट्ट, पेनातुर और पुदुकोट्ट समय लोहा अलग हो जाता है। लोहा जिस समय द्रवो नामक स्थानों में लोहे का जो magnctic oxide योगिक नूतावनामें नीचे रहता है उस समय वह कुछ अडारके पाया जाता है, पार्थिव पदाथसे विद्युक्त कर Blast माय मिल जाता है । लाइमष्टोन व्यवहार करनेका Huu nacc के मा बह गलानेसे बढिया लोहा नैयार तात्पर्य यह, मिबह उत्ततावम्यामे कार्बनिक अनहाइड्राइड, होता है। उसमे सैकडे पीछे ७२ भाग लोहा रहता है। वारहीन हो कर कालसियन अकमाइडमे परिणत होता वह गत्यक, आर्सेनिका अथवा फोसफोरस हीन है। है तथा दम अवस्थामे पाठिन कदमादिके साथ सम्मि पानपाड़ा और होनर नामक स्थानका वनिज लोह हो लित हो कर तरलाकारगे लोहेके ऊपर बहने लगता इम्पात दनाने के काममें विशेष प्रशस्त हैं। है। इसको स्लाग (Slay ) कहते हैं। चूल्हे के नीचे वेपुरके लोहेके कारखाने में भारतीय काप्टष्टील (Cast