पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४२०

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वशवादो ४२५ १६०१ माद ( १६७६ इ० ) में यह मदिर प्रतिष्ठित | धनसे वञ्चित हुए। नृसिहदेव अपने हायसे यह वात गुथा है। लिम्ब गये हैं-"सन् १९४७ साल माह आश्विनमें मेरे ___ उस मन्दिर में प्राचीन बंगला हरफमें निम्नलिखित | पिता गोविददेव रायको मृत्यु हुइ, उस माय मैं गर्भम गेर मान भी दियाइ रता है- या।वर्द्धमान मांदारके पेशकार मानिषयचदने नवाब "महीन्यामाशीतांशुगात वत्स। अलीवदी खाके निकट मेरे पिताका नि सन्तानाम्याम श्रीरामवरदन निमम मिनामन्दिरम् ॥" मृत्यु है, ऐसा लिख कर मेरो पुम्ना मौरी राना रघुदेवको पाव मुर्शिद पुरोला शूद्रमणि - | अपने मालिककी जमींदारामें मिला ठा।' को उपाधि दी थी। रानम्व उगाहन में मुर्शिद पुरीका कठोर नियम व गला इतिहामने प्रसिद्ध है। कि मुर्शिदको गुण-ग्राहिता मो सामान्य न थी। सुगा नाता । है, कि एक प्राह्मण नमोंदार यहा बहुत बाकी पड गया । । इस कारण पायो उदे वैकुण्ठकुए में फेछ । दोकायम दिया । राना रघुदेवो जब यह बात मालूम हर, तय उहीन दुर देना चुक्ता पर ब्राह्मणको मुक्त घर दिया। रघुदेवा इस उदारता पर मोहित हो। नगावने उदे शूदमणि को उपाधि दी थी। तमास उनका नाम 'शद्रमणि राना रघुदेव राय महाय" पडा। समुच एक समय पा रानकाय क्या समरौशल पया दानधर्म, पपा नातिनिपुणता, सभीम पाटुलोय राना नृसिंहदेर राय हाशय । महाराय य बङ्गाल के गौरव थे। उदार अश्वर, कुटिल औरष्ट्रजेय, जागार और पाहनहा पाटुली व शको मुक्त इस घटनाक कुछ समय बाद बहारका मुमरमान कएटमे प्रशसा कर गये है। मुशिः कुली और मुबानम | सिंहासन विलुप्त हो गया। सोहि य में सात नराव आदिको इन तानि हिदू कापस्य व श पर अच्छा मुशिदावादक नाव हुए । इससे बड़ा ना पहुन भय निगाह रहती था। कुल पक्षिा तथा मुसल्मान नि । भात और स्तम्भित होगा। कुमार मिहदर उस दाम पाटीवशायधेट प्रशसा है। राना रघुवक समय पैतृक सम्पत्तिका उद्धार रोकी कोशिश कर रहे पुत्र राना गोविन्ददेव घट्नाल के प्राह्मणाशा पक लाख थे। अगरेजोक जमानेमें व गारमे अरास्ता बहुन वोघा जमीन ब्रह्मोत्तर दी थी। छ दूर हो गइ। चास हेटिस बङ्गाल के सामना हुए। ___ राजा गोविन्ददरम पुत्र राजा नृसिहदेर पिताक नृसिंहदरने उनसे परमार मरनेके तीन मास वाद १९४७ सार ( १७४०३०) १७७६ ६० पान दृष्टि सन राना नृसिंहदरको पर पूस मासमें उन्पण हुए थे। उस समय यहाठ और मनद दा। उस सनदक अनुमार पै जमींदाधर्मसे घिदारक नवाय थे अरोपदों ना। घर मानके जमींदार पर नौ परगन नृमिहदवा मिले । मिददेर उसनेमे फ पेशकार माणिचन्द्रने सायदों साको पयर दी, दि | सतुष्ट न तुए। जब गई कानगारिस गवनर नगार धादिया राजा गोविन्ददेवका निमन्तग्नावस्था दन घर आये, तव नृसिहतेवन उनके पास ना कर मृत्यु हो गई। अलौनदी पाने गोवि देवका कुल अपना पुल दुखडा रोमा और जमीझरो लौटा दोर मादारो वर्तमान नमांदारको ३ । पारमहीलिये प्राधना को । लाड कारोलिसन उ मिलरायता र नृसिहदेव गबुड़े की एसे क्षण भरमै बिपुराट आय दिरेकरके निकट अपील करने कहा। नृमिह Vol 107