पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४३८

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चन-वधेशखण्ड ४४३ कहा और इस कुमारके नामसे एक स्वत र दलकी, फलावादके वघेलौका कहना है कि माधोगढमें उन उत्पत्ति होगी, यह भी कह दिया । देवविडम्बनासे ध्यान | लोगोंक पूर पुरुषों का वास था। नोज पति जयचटके देयके भी कोई पुत्र न हुआ। यागिर वारफे यनुग्रहसे समय धेरोग इस देशमें आ कर बस गये । यहाके यधेर उनके पक पुत्रन "म लिया। व्याघ्रदेयके नामानुसार ही पति छत्तगालने टिशगमष्टके विरुद्ध अस्त्र धारण उनका घश परम्परा बघेल या 'वाघेल' नामस प्रासद किया था इस कारण वरराज्य जन्न कर लिया गया। उन लोगोंके धम ज्ञानेचे कारण हो रेवाराज्य 'बघेल' या ध्यानदेयके पुत्रका नाम था जयसिह । पितामहके । 'वधेल्पएड' नामसे प्रसिद्ध हुमा। आदेशमे चेयनेक सैन्य सामन्तोंके साथ दिग्विजयमें निकले। नर्मदाके किनारे या कर उन्होंने गोददेशको यमुनाफे दक्षिण पघेल राजपूत परिहार और गहरवाड जीता। यहा सुधियापेराकी वैराजपूत क्याके साथ | राजपूत के घर अपनी कन्या देते तथा घेश, गौतम और उनका विवाह हुमा । उनके याधर फरणसिद और गहरवाडका क्या लेते हैं। केशरीसिह दिग्विनयके उपलक्षमें नाना स्थानोंको जीत इलाहाबाद मञ्चलके पल अत्यात अपराध्य मार पर मुसलमान मवावफे अधिकारभुरु गोरखपुर | दुए स्वभावक होत हैं। मौकश पाने पर चे चोरो डपंता करनेसे भी बाज नहीं आते। दखल पर बैठे। उन लोगोंके बाद मल्लारसिह सारङ्ग-। देव और मोमलदेवने फ्याफम राज्यमोग किया। भीमल | वघेलखएड-मध्यमारतके अतर्गत एक विस्तीर्ण भूखण्ड। के पुत्र ग्रह्मदेव गहरपाड र पपूर्तीके साथ मिल गये। बघेल जातिका वासभूमि होनेक कारण इस विस्तृत भू उनके परपत्ती प्रतापाली उत्तराधिकारीका नाम पीर खण्डका ययेरखएड • नाम पहा है। अगरेजोंक जमानेर्म सिद्द था। प्रवाद है कि उनके एक लाख घुडसवार थे। । यह सामतराज्यपुस बघेलखएसएजेसी नामसे प्रसिद्ध पोरसिहने मुसलमानों हायसे कुछ दिनये लिये हुमा। भारतराजप्रतिनिधि व लाटके अधीनस्थ मध्य- प्रयाग तीथका उद्धार किया। यह मवाद पा र बाद । मारतक एजेण्ट तथा रेवाराज्यक परिदर्शक पालिटिकल गाइने दलयर के साथ चित्रकूट में चोरसिदका मुकाबला एनेटरूपमें यहाका शासन करत है। ये पालिटिकल किया। बादशाहने हे धुला कर पहा 'मेरो प्रज्ञाका | एनेण्ट सतना या रेवानगरम रहते हैं। शान्तिभङ्ग करनेमें क्या तुम्हे भय नदों हुआ ?' योरसिहने । ___ इसक उत्तर इलाहावाद और मिर्जापुर जिला, पूर्व में उत्तर दिया, 'क्षत्रियका अपना अधिकार जायज रखना । छोटानागपुरके अधीनस्थ सामन्तराश्य, दक्षिणम मध्य कर्तव्य है। दुष्टका दमन और पिएका पालन क्षतियधर्म | प्रदेशका बिलासपुर और मण्डला जिला तथा पश्चिममें है। “पादशाहने उनको योग्ता पर मुग्ध हो उनके पुत्र अश्यलपुर और युन्देलखण्डका सामन्तराज्य है। १८७१३० घोरमानुको 'रापा' को उपाधि दी। बादशाहके उत्साह । तक यह विभाग पु देशमएड एजेन्सोफे म तमुस रक्षा । से धीरसिहने १२ राजशे हराया और पीछे आप बन्यो । युदेला और ययेल जातिका कात्तिनिफेतन होने के कारण गढमें जा कर रहने लगे। दक्षिणमें तमसा तक उससे यह म्यान भौगोलिक सौर ऐतिहासिक समसमें पता जयपनाका उहती घो। उहाँ अतिम कालमें पुरके | पद्ध था। पोळ युदेलों प्रमाप जाता रहा। पुटिन दाय राज्य मार सौंप प्रयागर्ने जीवन पिसनन रिया।। न पिसनन किया गयमण्टने उन लोगों में फर पैदा कर मयिय शपिसग्रह पोरमानुने कच्छपह-राजकन्पासे पियाद दिया। यौतुक में उन्हे रतनपुरमा राय मिला था । मन्नतत्सविद पनि हम साहबके मतानुमार ५८०से ६८३ सपत् तर पधेनोंने } निस वपणा जातिके नाम पर यह इस प्रदेशका नाम पा, गोन और तमसाकी उपत्यकामें अपना थाधिपत्य | यह शिसोदीय राजपूतोंकी एक शापा । गुजरार प्रदेशग दक्षिण फैलाया था। पोडे कलचूरो, बदेल, चाहमान सेडर जा कर यह जाति बम गइ है। सम्राट् मकपर शारखी इस बार और दाखिरगो ने उन स्थानों पर काजा किया। जाति पर विशेष पा रहती थी। वषेत देता।