पृष्ठ:हिन्दी विश्वकोष विंशति भाग.djvu/४५३

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चटदेशश ४५८ प्रमाणोसे यह शेपोक्त अनुमान ही ठीक मालम होता , नामक एक प्राचीन फिला, अनेक सुरम्य और सुन्दर है-गंगासे जो ना वाणिज्य-द्रव्योंके ढोने में व्यवहत गृहादिके भग्नावशेष डोर टूटी फूटी देवमूर्तियां दिखाई होती थी, वे समुद्रगामी जहाजके आकारकी थीं, नदीमें देती हैं। जो हो, इस काजिनगढ और कोशी नदीके पूर्व- जो नावें व्यवहृत होती थी, वे सम्भवतः वहा जानेका तटसे भारम्भ पर ब्रह्मपुत्र तक फैला पूर्णिया, मालदह, साहस नही कर सकती। एसीसे सामुद्रिक जहाज व्यव- दिनाजपुर, रङ्गपुर, वांकुडा, कूचविहार आदि स्थान ले हृत होते थे। सिवा इसके गंगाके मुम पर धन समिकर प्राचीन पौण्डवद्धन राज्य संगठिन था। पौण्ड विष्ट नगर और वाणिज्य पन्दरादि मह "ससे” नामक वईनके पूर्व और ब्रह्मपुत के पूर्व ओर फैला सारा एक प्रकागड टाप् था। सुतरां गगाले दक्षिण भागमें ! 'भूभाग प्राचीन पागज्योतिप या कामरूप राज्य कइ. नदीके बदले वहुविस्तृत समुद्रग्याडी विद्यमान न रहनेसे लाता है। पेरिप्लुसकी इन दो उक्तियोक्ता कोई मूल्य नही रह यूएनचुवगने लिखा है, कि कामरूपसे ढाई सी जाता। मील दक्षिण ओर ममतर राज्य मोजूद है। इस दूरत्वक भागीरथीके पूर्वी किनारको मिट्टी क्रमने उच्च और निरूपणसे मालूम होता है समतट रायके बदले उसकी अपेक्षाकृत कठिन हो जाने पर और वढीपके अन्यान्य | राजधानीका दुग्न्य हो निरूपित करना यूएन. अंशोंमें भी बहुतायतसे भूमिपण्ड निर्मित और जलरेवा चुवंगदा अभिप्रेत है। वर्तमान ढाका, पावना जिले छोड कर मस्तक उठाने पर विविध नैसर्गिक कारणको मालूम होता है, कि उस लम्य समतट राज्यके अधीन ये प्रबलतासे गंगाका मूलस्रोत भागीरथी 'खाद' छोड! और पाके वर्तमान पान के दक्षिण भी कुछ दूर तक कर पद्मा नाम ग्रहण और स्वतन्त खाद नावलस्बन कर वह राज्य विस्तृत था। पद्मा क्रमशः और भी उत्तर भागीरथीके पूर्वी किनारेसे और भी उत्तरपूर्व भागमे हट | अर्थात् उपके वर्तमान स्थानमें हट जानेसे यह दक्षिणांश गया था। इस समय भी पदमा क्रमशः उत्तर और हट क्रमसे गागेय व डोके अन्तर्गत आ गया है। उस समयके रही है। गत सौ वर्षीमे पद्माकी गति कितनी हट गई। समतर राज्य का आयतन पद्माको प्रसरणशील गतिसे है, उसकी चिन्ता परनेले चमत्कृत होना पडता है। अनेक रूपान्तर प्राप्त हुआ है, इसमें तनिक भी सन्देह फरीदपुर जिले में मदारीपुर महकमेके समीप जो छोटो नही । केवल उस समयका समतट ही क्यों-इस समय- नहर इस समय पालड़के नीचेसे होती हुई बीर्ति के विक्रमपुरका भी बहुत रूपान्तर हो गया है। पहले नाशामे जा कर मिली है, वहाँ ७०-८० वर्ष पहले पद्माका | उत्तर-विक्रमपुर और दक्षिण-विक्रमपुर एक ही सटा हुआ मूलखात था , किन्तु अब पद्मा उससे १५-१६ कोस | | भूखण्ड था , विन्तु इस समय मध्यस्थल हो कर पा उत्तर विद्यमान है । जो छोटी नदी कुमार नाम फरीद- प्रवाहित होनेसे उत्तर विकापुरसे दक्षिण-विक्रमपुर पृथक पुर जिले परमे फैली हुई है, ठीक १२५ वर्ष पहले हो गया है। जो हो, समतटका दक्षिणस्थ भूभाग जो उसमा बहुत माग पद्माका प्राचीन प्रवाह था । बहासे समुद्रतट पर अवस्थित था, यह वाहनेका प्रयोजन नहीं । पद्मा इस समय बहुत दूर हट गई है। समतट और ब्रह्मपुत्र के पूर्वस्थित भूभाग अर्थात् इस ___गागेय वद्वीपकी अवस्था जव ऐनी ही थी, उसका | समयका त्रिपुरा, नवाखाची, एवं चट्टग्राम आदि स्थानमें देशविभाग कैसा था? इसकी संक्षिप्त आलोचना सम्भ, उस समय जिरात आदि विविध अनार्य जातियोंका वतः अप्रासङ्गिक नही होगी। चीनपरिव्राजक यूएन | निवास था। चुवगने काजिनगढके बाद ही पौण्ड्वर्द्धन राज्य देखा पूर्वोक्त काजिनगढ़के दक्षिणसे और भागीरथीके था। वर्तमान ईष्ट-इण्डिया रेलवे कम्पनीके लूप लाइनका पश्चिम तट तक प्राचीन बङ्गराज्य कहा जाता है। यह रेलवेस्टेशन साहबग निकटका स्थान काजिनगढ दक्षिणमें मेदिनीपुरकी सीमा तक फैला या। रामायण, होनेका अनुमान होता है। वहां पहाड़ पर तेलिगगढ | महाभारत आदि पुराणोंमे जिस वङ्गदेशका उल्लेख